शांतिवन-आबू रोड: चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का गरिमामय समापन- “दुनिया में आध्यात्म और शांति का ग्लोबल कैपिटल है आबू”

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दुनिया में आध्यात्म और शांति का ग्लोबल कैपिटल है आबू  
– चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का गरिमामय समापन
– ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय आबू रोड शांतिवन में किया गया आयोजित

फैक्ट-

04 चार दिन चला सम्मेलन
05 हजार से अधिक लोग देश-विदेश से पहुंचे
10 विधायक देशभर से आए
06 खुले सत्र आयोजित किए गए
04 मेडिटेशन सत्र हुए

शांतिवनआबू रोड,राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन परिसर में चल रहे चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का बुधवार को समापन हो गया। इसमें छह सत्र आयोजित किए गए। सम्मेलन में देश-विदेश से पहुंचीं 50 से अधिक जानीं-मानीं शख्सियतों ने मंथन-चिंतन कर ये निष्कर्ष निकाला कि योग और आध्यात्म से ही आएगी विश्व शांति। भारत आदिकाल से शांति का पक्षधर रहा है। हमने कभी दुनिया जीतने के नहीं खुद को जीतने के प्रयास किए हैं। हमारी यात्रा स्व पर विजय और आंतरिक जगत है। दुनियाभर में आध्यात्मिक संदेश से ही विश्व शांति की संकल्पना साकार हो सकेगी। सम्मेलन का आयोजन विश्व शांति का अग्रदूत भारत विषय पर किया गया था। इसमें विश्व के कई देशों से पांच हजार से अधिक लोकतंत्र के चारों स्तंभ कार्यपालिका, न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और मीडिया के दिग्गजों ने शिरकत की।  
समापन सत्र में पद्मश्री से सम्मानित रामकिशोर ने कहा कि पहली बार आकर मुझे ब्रह्माकुमारीज में नई दुनिया का एहसास हो रहा है। मैं हैंडलूम थप्पा ब्लॉक पेंटिंग का काम करता हूं। हमारी इस काम में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 30 से 35 हजार लोग जुड़े हुए हैं। मैं ब्रह्माकुमारी संस्थान से भी गुजारिश करूंगा कि हमारे लिए कोई सेवा हो तो आप हमें जब भी बुलाएंगे जरूर आऊंगा। खेती के बाद कपड़े का कारोबार हमारे देश में दूसरे नंबर पर आता है। अगर कपड़ा उद्योग को और प्रोत्साहन मिलता है तो हमारे देश की बेरोजगारी खत्म होगी।
नेपाल के बागमती प्रांत के सांसद मुनु सिगडेल ने कहा कि आज पूरा दुनिया अशांत है। ब्रह्माकुमारीज शांति स्थापित करने जा रही है। इस संस्थान की निस्वार्थ सेवा से मैं बहुत प्रभावित हूं। आप सबका जीवन सीखने और धारण करने योग्य है।  

भगवान सभी के लिए सोच रहा है-
न्यू लाइट संस्था के फाउंडर उरमी बसु ने कहा कि शांतिवन की शांति, यहां के राजयोगी-राजयोगिनी भाई-बहनों ने मुझे जीवन में एक नई दिशा देने का काम किया है। हमारे इस छोटे से जीवन में हम स्वार्थ बस सोच लेते हैं कि जो नई दुनिया होगी वह सिर्फ मेरे लिए होगी। लेकिन भगवान तो हर एक के लिए सोच रहा है। जब तक हम लालच और मेरे पन के भाव से ऊपर नहीं उठेंगे तब तक हम ईश्वर के कर्मचारी नहीं बन सकते।

प्रोडक्ट को रिसाइकिल करना जरूरी-
करोसंभव के फाउंडर प्रियांशु सिंघल ने कहा कि आज जितने भी प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं जैसे कपड़े, मोबाइल, घड़ी, कलम जो सभी तत्वों से बन रहे हैं। पूरी अर्थव्यवस्था उनको सिर्फ बनाने में ही लगी हुई है। लेकिन हमारे पास इनका कोई समाधान नहीं जब यह प्रोडक्ट डेड हो जाएंगे, तब इनका होगा क्या। तब हम इस एलिमेंट को पुन: प्रयोग कैसे कर पाएंगे। तो हमारा ऑर्गेनाइजेशन इसके लिए जागरूक करती है कि हर प्रोडक्ट को रीसायकल कैसे किया जाएगा। इस बातों के लिए हमारा समाज जागरूक नहीं होता है तो 2030 तक इस दुनिया के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगेगा जैसा कि भविष्यवाणी की भी जा रही है।

राजयोग के अभ्यास से तीन माह से क्रोध नहीं आया-
अहमदाबाद से आए वरिष्ठ पत्रकार तुषार प्रभुजी ने कहा कि किसी को सलाह देना आसान है लेकिन खुशी देना कठिन। ब्रह्माकुमारी संस्थान खुशी और ज्ञान बहुत सहजता से सबको दे रही है। मात्र ढाई महीने पहले मैंने राजयोग अभ्यास शुरू किया है। पिछले ढाई महीने से मुझे गुस्सा नहीं आया। मेरे लिए यह बड़ी अचीवमेंट है। लेकिन जिनका जीवन क्रोध से तबाह है, उनसे जरा अनुभव लीजिए की क्रोध पर विजय पाना कितनी बड़ी अचीवमेंट है। डिप्लोमेसीइंडिया के एडिटर व सीईओ अमैया शाक्ते सीईओ ने कहा कि पिछले 4 दिन से आप लोग के बीच इतना कुछ सीखा हूं जिसे दिल्ली लेकर जाऊंगा। जीवन में ज्ञान को धारण करने के लिए अब किसी व्यक्ति से प्रभावित या निगेटिव से इनफेक्टेड नहीं होऊंगा। सिर्फ परमात्मा से ही प्रभावित होऊंगा। यह मेरा वादा है आप सब से।

स्वागत भाषण हुबली के बसवराज भाई ने दिया। आशीर्वचन देते हुए अहमदाबाद महादेव नगर सबजोन की निदेशिका बीके चंद्रिका बहन ने कहा कि आप सभी जब यहां से जाएंगे तो अपने साथ ज्ञान और अनुभूति का खजाना ले जाएंगे। इस ज्ञान का अपने प्रैक्टिकल जीवन में उपयोग जरूर करें। मुलुंद सबजोन की निदेशिका बीके गोदावरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन गुजरात मणिनगर की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके नेहा ने किया। आभार लखनऊ की बीके राधा बहन ने माना।

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