आबू रोड:-सुरक्षा सेवा प्रभाग की पांच दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस शुरू

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सेना जितनी सशक्त रहेगी हम उतनी शांति से रहेंगे: नौसेना उपप्रमुख घोरमडे
– सुरक्षा सेवा प्रभाग की पांच दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस शुरू
– तीनों सेनाओं जल, थल और वायु सेना के अधिकारी-जवान ले रहे हैं भाग
– नौसेना के उपप्रमुख वाइस एडमिरल एसएम घोरमडे भी पहुंचे आबू रोड


आबू रोड, राजस्थान। हमारे देश की तीनों सेनाएं जितनी सशक्त रहेंगी, हम उतनी ही शांति से रहेंगे। क्योंकि जब हम सशक्त रहेंगे तो कोई भी बाहर से आकर आक्रमण नहीं करेगा। सेना बाहरी व भौतिक शांति के लिए कार्य करती है और ब्रह्माकुमारीज संस्था आंतरिक शांति के लिए कार्य कर रही है। कैसे हमारा अंतर्मन शांत रहे। जितना हम अंदर से सशक्त रहेंगे तो अपना कार्य बेहतर तरीके से कर पाएंगे। जैसे इस संस्था में बहुत अनुशासन है, वैसे ही सेनाओं में भी अनुशासन पर जोर दिया जाता है। यहां बाहरी स्वच्छता के साथ मन की स्वच्छता पर विशेष कार्य किया जाता है। सेनाओं में टीम वर्क पर जोर दिया जाता है, वैसे ही यहां भी टीम वर्क पर ध्यान दिया जाता है। यहां जीवन जीने की कला सिखाई जाती है।
उक्त उद्गार अति परमवीर सेवा मेडल से सम्मानित नौसेना के उपप्रमुख वाइस एडमिरल एसएम घोरमडे ने व्यक्त किए। मौका था ब्रह्माकुमारीज संस्थान के मनमोहिनीवन परिसर स्थित ग्लोबल ऑडिटोरियम में सुरक्षा सेवा प्रभाग की ओर से आयोजित पांच दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का।
इसमें देशभर से सुरक्षा से जुड़े तीनों सेनाओं के अधिकारी, जवान, आईपीएस, सीआरपीएफ, बीएसएफ के अधिकारी और जवान भाग ले रहे हैं।
वाइस एडमिरल घोरमडे ने कहा कि जब पहली बार ब्रह्माकुमारीज के ज्ञान सरोवर परिसर में आया तो यहां की शांति, भाई-बहनों का निस्वार्थ प्रेम, अपनापन देखकर बहुत अच्छा लगा। अब मैं बिना अलार्म के सुबह 3.30 बजे उठ जाता हूं। सबसे पहले राजयोग ध्यान करता हूं। इसके बाद रोज आध्यात्मिक परमात्म महावाक्यों का श्रवण करता हूं। हम देखते हैं कि रोजाना की दिनचर्या में जब काम ज्यादा बढ़ जाता है तो हम सबसे पहले एक्सरसाइज और मेडिटेशन करना छोड़ देते हैं। मेरा मानना है कि जब हमारा काम बढ़ जाए तो हमें पहले से ज्यादा एक्सरसाइज और मेडिटेशन करना चाहिए। क्योंकि उस काम को हम और अच्छे से कर सकते हैं। कई लोगों का मानना है कि युवाओं को मेडिटेशन की जरूरत नहीं है। मुझे लगता है कि मेडिटेशन की जरूरत सभी के लिए होती है। राजयोग मेडिटेशन से प्रत्येक परिस्थिति में हमारा मन स्थिर रहता है। मेरी धर्मपत्नी बचपन से ही सुबह 4 बजे उठ जाती हैं। उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि आज उन्होंने मेरे घर को स्वर्ग जैसा बना दिया है।

खुश रहना हमारे हाथ में है-
पूर्व आईपीएस व नेशनल क्राइम ब्यूरो के डायरेक्टर रामफल पंवार ने कहा कि यहां आकर हमें ज्ञान मिला कि हम सब आत्माएं हैं। ब्रह्माकुमारीज  के परिसर में स्प्रीचुअल लेवल बहुत हाई है। काम को हम खुश होकर करते हैं तो हमसे मिलने वाले लोगों को जहां खुशी होती है, वहीं खुद को भी आनंद मिलता है। हम खुश रहना चाहते हैं या नहीं यह हम खुद तय करते हैं। यदि हमारी सोच बदल जाए तो कभी तनाव हो ही नहीं सकता है। खुश रहना हमारे हाथ में है। मैं 2012 से ब्रह्माकुमारीज से जुड़ा हूं। राजयोग मेडिटेशन के अभ्यास के बाद मेरा गुस्सा शांत हो गया। मेरे स्टाफ को हैंडिल करने में भी मदद मिली। मेरे सोच के स्तर में भी काफी बदलाव आया है।

माउंट आबू के आंतरिक सुरक्षा अकादमी (आईएसए) के आईजी सुनील जू ने कहा कि सीआरपीएफ और ब्रह्माकुमारीज का 1975 से जुड़ाव रहा है। पांडव भवन में जाकर बहुत खुशी होती और मन शक्तिशाली हो जाता। माउंट आबू में मैंने सात दिन का राजयोग मेडिटेशन का कोर्स किया है। समय मिलने पर मेडिटेशन की प्रैक्टिस करता हूं।
– डीआरडीओ, नईदिल्ली से आए कैप्टन शिव सिंह ने प्रभाग द्वारा पिछले 22 साल में की गई सेवाओं की वीडियो के माध्यम से सभी को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तीनों सेनाओं के अलग-अलग विंग और मुख्यालयों पर मोटिवेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं। आप ब्रह्माकुमारीज से भी लंबे समय से जुड़े हुए हैं।

सुरक्षा सेवा प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्षा राजयोगिनी बीके शुक्ला दीदी ने कहा कि आप सभी चार दिन तक यहां के पवित्र परिसर और आध्यात्मिक ज्ञान का लाभ लें और अपने जीवन में उतारें।

पानीपत रिट्रीट सेंटर के डायरेक्टर बीके भारत भूषण भाई ने कहा कि  हमारे शरीर के सभी आर्गंस पर आध्यात्मिकता से कंट्रोल आ जाता है। दुनिया की सबसे बड़ी पावर आध्यात्मिकता है। हमें जीवन में सेल्फ कंट्रोल बहुत जरूरी है।

वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके गीता दीदी ने कहा कि यदि मैं आज ब्रह्माकुमारी नहीं होती तो आर्मी ज्वॉइन करती। मुझे बचपन से ही बहुत वैराग्य था। देश के लिए कुछ करने की इच्छा थी। इसलिए लोगों के कल्याण के लिए मैं ब्रह्माकुमारीज से मात्र 14 साल की उम्र में जुड़ गई। 16 वर्ष की आयु में इस विश्व विद्यालय में समर्पण कर दिया। इस ज्ञान से हमारे सारे कॉन्सेप्ट क्लीयर हो जाते हैं।
कर्नल वीसी सती ने मंच संचालन किया। स्वागत गीत मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने प्रस्तुत किया।

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