भौरा कलां: व्यापार और उद्योग प्रभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन

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– परिस्थिति में रिएक्ट के बजाए रिस्पॉन्ड करना सीखें – बीके शिवानी
– व्यापार और उद्योग प्रभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन
– ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ तीन दिवसीय आयोजन


भौरा कलां गुरुग्राम,हरियाणा:

ब्रह्माकुमारीज के गुरुग्राम स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में व्यापार और उद्योग प्रभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन का समापन हुआ। बैलेंसिंग लाइफ विद ब्लिसफुल सेल्फ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में 1200 से भी अधिक लोगों ने शिरकत की। तीन दिन तक चले कार्यक्रम में अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे। साथ ही पैनल डिस्कशन के माध्यम से आध्यात्मिकता से जुड़े कई विषयों पर गहन चर्चा हुई। सभी को राजयोग का विशेष अभ्यास भी कराया गया।

दादी प्रकाशमणी सभागार में सुप्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी ने उपस्थित सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में रिएक्ट करने के बजाए रिस्पॉन्ड करना सीखें। योग हमें सिखाता है कि हमें किस प्रकार रिस्पॉन्ड करना है। योग मन को संयमित रखता है। योग की स्थिति का प्रभाव हमारे दिन भर चलने वाले कार्य व्यवहार पर पड़ता है। सकारात्मक विचारों की स्पीड कम होती है। नेगेटिव विचार मन की गति को बढ़ा देते हैं। मन के विचारों का प्रभाव दिल पर पढ़ता है। बीमारियों का प्रमुख कारण मन के नकारात्मक और अनियंत्रित विचार हैं। आज हम शरीर का इलाज तो करते हैं लेकिन मन के विचारों की क्वालिटी को ठीक नहीं करते। शरीर की अधिकतर बीमारियों का कारण मन ही है। आध्यात्मिकता हमारे विचार और दृष्टिकोण में परिवर्तन लाती है। आध्यात्मिकता हमें रिएक्शन के बजाए रिस्पॉन्ड करना सिखाती है। मन का प्रभाव वातावरण पर पढ़ता है। किसी भी स्थान का वातावरण  वहां रहने वाले लोगों पर निर्भर करता है।

परिवर्तन की शुरुआत स्वयं से करना जरूरी –
– बीके शिवानी ने कहा कि कोई भी परिवर्तन पहले एक से शुरू होता है। इसलिए दूसरों को बदलने कि बजाए पहले स्वयं को बदलना जरूरी है। आज हम उस दौर से गुजर रहे हैं, जहाँ ज्यादातर घटनाएं अचानक हो रही है। जिनसे निपटने के लिए हमें आंतरिक शक्ति से संपन्न होना जरूरी है। जल्दी-जल्दी रिएक्शन से आत्मिक शक्ति कम होती है। धन से हर बात का समाधान नहीं होता। आध्यात्मिकता हर परिस्थिति का सामना करने की ताक़त है। सही निर्णय लेने के लिए मन का शांत होना जरूरी है।शब्दों से हम किसी को शक्ति नहीं दे सकते। बल्कि एक शक्तिशाली मन ही दूसरों को शक्ति दे सकता है।

जितना हम प्रकृति का ध्यान रखते हैं, प्रकृति उतना ही हमारा ध्यान रखती है –
– बीके शिवानी ने कहा कि हर रोज सुबह उठते ही ईश्वर का धन्यवाद करना जरूरी है। प्रकृति के साथ अच्छा रिश्ता बनाने के लिए रोज उसका शुक्रिया करें। प्रकृति का ध्यान रखने से प्रकृति हमारा ध्यान रखती है। जब मन में सादगी आती है तो जीवन में भी सादगी आ जाती है। वस्तुओं का दुरुपयोग करना भी प्रकृति का अपमान है। प्रकृति के संसाधनों का उतना ही उपयोग करें जितना जरूरी है। प्रकृति का सम्मान ही हमारी प्रकृति को स्वस्थ रखता है। आत्मिक शक्ति को बढ़ाने के लिए प्रकृति का सदुपयोग बहुत जरूरी है। धन कमाने के साथ दुआएं कमाना भी जरूरी है। दुआएं ही जीवन में सुकून दे सकती हैं।

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