बिजलपुर:“मातृ दिवस” पर आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया

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बिजलपुर, ,मध्य प्रदेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बिजलपुर उप सेवाकेंद्र द्वारा “मातृ दिवस” पर आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया| कार्यक्रम का विषय था “ स्वस्थ एवं सुखी परिवार में माताओं की भूमिका ” | इस अवसर पर नगर की मुख्य गणमान्य महिला अतिथि उपस्थित थी |

  1. बहन ममता चौधरी ( परियोजना अधिकारी, महिला बाल विकास अधिकारी)
  2. बहन हीराबेन सोनी ( प्रदेश अध्यक्ष, सोनी समाज महिला प्रभाग )
  3. डॉ नीलम कलपीवार ( मेडिकल ऑफिसर , शासकीय चिकित्सालय )    
  4.  बी. के. शशी दीदी जी ( प्रभारी, मुख्य सेवाकेंद्र प्रेमनगर इंदौर पश्चिम क्षेत्र)
  5. बी.के. यश्वनी दीदी (इंदौर प्रेमनगर सह संचालिका एवं बिजलपुर उप सेवाकेंद्र प्रभारी )
  6. बी. के. संगीता बहन ( इंदौर लोकमान्य नगर उप सेवाकेंद्र प्रभारी ) 

ब्र.कु. यश्वनी दीदी तथा ब्रह्माकुमारी बहनों ने अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान पुष्प गुच्छो, तिलक, श्रीफल एवं तुलसी पौधे से किया एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया | साथ ही कु. शिवांशी ने मातृशक्ति के सम्मान में नृत्य प्रस्तुत किया| ब्र.कु. संगीता बहन ने कार्यक्रम का संचालन किया | 

इस अवसर पर बहन ममता चौधरी ने कहा कि परिवार कि मजबूत आधार स्तम्भ एक नारी ही है, यदि वह स्वस्थ एवं सुखी रहेगी तभी एक परिवार स्वस्थ एवं सुखी रहेगा | वही परिवार का सौन्दर्य और गौरव है, हम एक कन्या को शुरू से ही एक देवी के रूप में पूजते है फिर विवाह के बाद वह परिवार में परामर्श देती है तब वह मंत्री क रूप में होती है, जब धर्म कार्य में पत्नी कि तरह, सहिष्णुता में धरती कि तरह है |

तत्पश्चात बहन हीराबेन सोनी ने संस्था के द्वारा किये जा रहे कार्यो कि सराहना की और अपने वक्तव्य में कहा कि नारी हमारी भारतीय संस्कृति में सदा ही पूजनीय है कहा गया है कि जिन परिवारो कि स्त्रियाँ सुखी है वो परिवार सदा ही संपन्न एवं सुखी है| एवं माँ शब्द से ही हमारे जीवन कि शुरुआत होती है प्रकृति कि हर चेतना पेड़, पौधे पशु पक्षी मानव का प्रादुर भाव मातृशक्ति दसे ही संपन्न हुआ है |    

बहन डॉ नीलम ने इस अवसर पर संस्था का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शायद हमने कुछ पुण्य किये है तभी हम इस पुनीत कार्य में उपस्थित हो पाए है | एवं उन्होंने सभी को जीवन में शान्ति पाने क लिए ब्रह्माकुमारी संस्था से जुड़ने कि अपील की |  

ब्र. कु. शशी दीदी जी ने कहा कि बिना प्रतिमा के एक मंदिर अधुरा है उसी प्रकार एक परिवार भी माँ के बिना अधुरा है, घर कि शोभा नारी से है | माँ के लिए तो जितना भी बोले कम है यह तो जैसे सूरज को दीपक दिखाना है | एक बच्चे क लिए माँ बहुत क़ुरबानी करती है |    

अंत में बी.के. यश्वनी दीदी ने कमेन्ट्री द्वारा राजयोग अनुभूति करवाई तथा कहानी के माँ के सर्वोच्च बलिदान से अवगत कराया |

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