रायपुर:सिपाहियों को जीवन प्रबन्धन तकनीक सिखलाया गया

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सड़क यातायात के साथ ही मन में विचारों के ट्रैफिक का भी कन्ट्रोल जरूरी…ब्रह्माकुमार शक्तिराज सिंह

– सड़क यातायात के साथ ही मन में विचारों के ट्रैफिक का भी कन्ट्रोल जरूरी…
– पुरानी बातों को मन में दबाकर न रखें, उसे भूल जाएं…
– मन में उठने वाले नकारात्मक विचार हमें बिमार बना रहे हैं…

रायपुर,छत्तीसगढ़: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आज यातायात विभाग के सिपाहियों को जीवन प्रबन्धन तकनीक सिखलाया गया। इन्टरनेशनल माइण्ड व मेमोरी मैनेजमेन्ट ट्रेनर ब्रह्माकुमार शक्तिराज सिंह ने यातायात थाने में आयोजित कार्यक्रम में सिपाहियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विचारों का हमारे जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। हमारे मन के निगेटिव विचार हमें बिमार रहे हैं। जैसे आप यातायात को नियंत्रित करते हैं। वैसे ही अब मन के विचारों को भी नियंत्रित करने की जरूरत है।

उन्होंने बतलाया कि इस पर एक किताब भी छपी है जिसमें बतलाया गया है कि कौन-कौन से नकारात्मक विचार से कौन- कौन सी बिमारियाँ होती है। क्रोध करने वाले को कैन्सर हो जाता है। जो ईष्र्यालु होते हैं उन्हें अल्सर होने की सम्भावना बढ़ जाती है। जो घमण्डी होते हैं उन्हें सर्वाइकल हो जाता है। इसलिए यदि हमारा माइण्ड हमारे कन्ट्रोल में है तो वह हमारा सबसे अच्छा दोस्त होता है। किन्तु कन्ट्रोल में नही होने पर वह सबसे बड़ा दुश्मन साबित होता है।

उन्होंने कैदियों का उदाहरण देते हुए बतलाया कि हमारा माइण्ड एक छोटे बच्चे की तरह है। उसे अगर सही मार्गदर्शन देंगे तो वह ठीक रहेगा लेकिन अगर उसे खुला छोड़ देंगे तो वह आपको यहाँ-वहाँ भटकाएगा। कुछ भी गड़बड़ काम करेगा और आपको फंसा देगा। जेल में कैदियों से मैने पूछा कि यहाँ कैसे पहुंचे तब उन्होंने बतलाया कि उनको गुस्सा आया उस समय उनका मन नियंत्रण में नहीं होने के कारण उनसे हत्या हो गई। जेल जाने के बाद अब पछता रहे हैं। यदि मन को काबू में करना सीख जाते तो यहाँ आने की नौबत ही नहीं आती।

किसी भी बात अथवा घटना को मन में छिपाकर नहीं रखें:
उन्होंने बतलाया कि बीती हुई घटना को मन में दबाकर रखने से धमनियों में ब्लाकेज बनते हैं। उसे भूलना सीखें। कभी भी कार्यालय के तनाव को घर में लेकर न जाएंं और न ही घर के तनाव को कार्यालय में लेकर न आएं। इसी प्रकार पहले से ही किसी के प्रति मन कोई गलत धारणा न बनाएं कि यह तो है ही ऐसा आदि। मुस्कुराने से चिन्ता और तनाव खत्म हो जाता है इसलिए बच्चा बन जाईए और मुस्कुराईए।

बाहरी स्वच्छता के साथ मन की स्वच्छता भी जरूरी:
उन्होंने आगे कहा कि यदि खुश रहना है तो स्वयं को कचरा डिब्बा (डस्टबिन) न बनने दें। कोई आकर आपसे निन्दा ग्लानि, चुगली करता है तो हाथ जोड़कर उनसे कहें कि मैं डस्टबिन नहीं हूँ। अपना कचरा कहीं और जाकर डालें। बीमारियों से बचना है तो स्वच्छ बनना पड़ेगा। हमारे देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है। लेकिन सिर्फ बाहरी स्वच्छता से काम नहीं चलेगा। आन्तरिक स्वच्छता भी जरूरी है। ब्रह्माकुमारी संस्थान मन को स्वच्छ बनाने का काम कर रही है।
प्रारम्भ में यातायात थाने के उप पुलिस अधीक्षक ने ब्रह्माकुमार शक्तिराज सिंह का परिचय दिया। कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी, भावना दीदी और ब्रह्माकुमारी नीलम दीदी और ब्रह्माकुमार महेश भाई आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर व्याख्यान सुनने के लिए काफी संख्या में यातायात थाने के सिपाहीगण उपस्थित रहे।

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