दुर्ग (छत्तीसगढ़): प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के नवनिर्मित भवन “आनंद सरोवर ” बघेरा के भव्य उद्घाटन समारोह में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी जयंती दीदी जी, अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारीज के सानिध्य में लोकार्पण, शिव ध्वजारोहण, राजयोगिनी कमला बहन सभागार का विधिवत् उद्घाटन किया गया । इस अवसर पर सम्माननीय अतिथियों के रूप में राजेंद्र साहू अध्यक्ष जिला नागरिक सहकारी बैंक , चतुर्भुज राठी अमर बिल्डर भ्राता अंशुल जैन, विद्याश्री आईल मिल , प्रभात पड़ियार, राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी जी, क्षेत्रीय निर्देशिका इंदौर जोन , ब्रह्माकुमारी उषा दीदी जी संचालिका, ब्रह्माकुमारीज उज्जैन, ब्रह्माकुमारी आशा दीदी जी संचालिका ब्रह्माकुमारीज भिलाई, संस्था के मुख्यालय माऊण्ट आबू से ब्रह्माकुमार टोमन, प्रकाश, देवेन्द्र, आनंद व शंकर मंचस्थ थे ।
इस अवसर पर दुर्ग शहर में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थापना से लेकर अभी तक की 41 वर्षों के संपूर्ण सेवाओं के कार्यक्रम की बहुत ही सुन्दर डॉक्युमेंट्री प्रस्तुत की गई जो ब्रह्माकुमारीज के संघर्ष एवं सफलता की दास्तां है, जो सभी दर्शकों को प्रेरणा दे गयी। आये हुए सभी आमंत्रित अतिथियों ने आनंद सरोवर के उद्घाटन समारोह पर अपनी-अपनी शुभकामनाएँ व बधाई दी।
इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि लंदन से पधारीं ब्रह्माकुमारीज की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि परमपिता परमात्मा की कमाल है कि किस तरह से परमात्मा ने सारे विश्व के अंदर शांति के ऐसे स्थान बनवाए हैं और विशेष उसमें भी भारत में कोने-कोने में मनुष्य आत्माओं की ज्योत जगाने के लिए शांति का दान देने के लिए इतने सुंदर भवन बनवाए हैं ।
दुर्ग का भाव है फोर्ट अर्थात किला तो यह इतना शानदार किला बन गया है जो कि दुर्ग के अंदर जहां पर हर आत्मा की रक्षा भी हो सकती है | हर आत्मा को ऐसे महसूस हो सकता कि यहां पर हमें सुख-शांति-आनंद का अनुभव हो रहा है तो मुझे लगता है कि परमात्मा ने जो यह कोने-कोने में भवन बनवाए हैं इसका कारण यह है कि जब हम बाहर में होते हैं तो बहुत तनाव की बातें, बीमारियों की बातें , अनेक प्रकार के समस्याओं की बातें होती है, परंतु ऐसे गर्म वातावरण में ऐसे ऐसे भवन है जहां पर परमात्मा की शीतल छाया हमें प्राप्त हो रही है , परमात्मा के संग का हमें अनुभव प्राप्त हो रहा है जिससे सब प्रकार की जो भी मन और तन की बीमारियां दूर हो सकती है।
आनंद सरोवर अर्थात सच्चा आनंद स्वरूप , तो परमात्मा है सत्यम-शिवम-सुंदरम | इतना सुंदर परमपिता परमात्मा जो है ही सत्य , उससे हमें यही शिक्षा मिलती है कि हम सब सत्यता के मार्ग पर चलें , और जैसे-जैसे हम सत्यता के मार्ग पर चलते जाते हैं , अनेकों को भी वही प्रकाश , वही रोशनी मिलती है ।
इस कार्यक्रम में कुमारी आंचल ,धरनी , चारू ,लिपिका , कशिश , सुरभि , धारिणी , युक्ति , मौसमी , गिरीशा , चंद्राणी , जागृति ने भिन्न-भिन्न नृत्यों की प्रस्तुति दी । ब्रह्माकुमार युगरत्न ने सुमधुर गीतों की प्रस्तुति दी तथा सुंदर मंच संचालन ब्रह्माकुमारी रूपाली बहन ने किया ।
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