कुरुक्षेत्र: श्रद्धेय लक्ष्मण भ्राता जी की 7 वीं पुण्यतिथि, स्मरणांजलि दिवस के रूप में मनाई गई

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कुरुक्षेत्र,हरियाणा: विश्व शाति धाम ब्रह्माकुमारीज सेवा केंद्र के संस्थापक और पूर्व क्षेत्रीय निदेशक श्रद्धेय लक्ष्मण भ्राता जी की 7वीं पुण्यतिथि, स्मरणांजलि दिवस के रूप में मनाई गई। ब्रह्माकुमार, ब्रह्माकुमारियों ने भ्राता जी को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि पुष्प अर्पित करते हुए दिव्य गुणों को धारण करने का संकल्प लेकर दी। करनाल ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र से पधारी बी. के प्रेम दीदी ने श्रद्धेय लक्ष्मण भ्राता जी की विशेषताओं, चमत्कारी आध्यात्मिक व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि त्याग, तपस्या की प्रतिमूर्ति, महारथी, महावीर, बाबा के नूरे रतन आदि अंलकारों से सुशोभित भ्राता जी को श्रद्धासुमन अर्पित करने स्मृति दिवस मनाने और उनकी मधुर यादों को ताजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन परमात्मा की सेवा में समर्पित कर दिया। भक्ति मार्ग में तो हम अनेक आत्माओं के नाम सुनते हैं, पर ज्ञान मार्ग में हजारों आत्माओं के प्रेरणास्रोत बन कर उदाहरण हो गए। उन्होंने बताया कि परमात्मा का सत्य परिचय मिलने के बाद जीवन में ऐसी दृढ़ता धारण की, जिसने अपने जीवन के साथ दूसरों को भी बदल दिया। उन्होंने बताया कि भ्राता जी ने दधीचि ऋषि की तरह अपनी एक-एक हड्डी यज्ञ सेवा में स्वाहा की यह बात उनके लिए कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है। तीक्ष्ण बुद्धि और वाणी की शक्ति से हर व्यक्ति को प्रभावित कर अपना बना लेते थे। उन्होंने गांव-गांव जाकर प्रोजेक्टर के माध्यम से परमात्मा का परिचय दिया और अनेक सेवाएं करते हुए अपना जीवन प्रभु को समर्पित कर दिया। उन्होंने सभी बहन भाइयों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सब लोग भी धन्य है, जिन्होंने ऐसी महान विभूति की पालना ली। बी. के शकुंतला दीदी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि लक्ष्मण भ्राता जी कुरुक्षेत्र के ब्रह्मा बाबा थे, जिन्होंने कुरुक्षेत्र सेवा केंद्र में इतनी सुंदर फुलवारी लगाई। आज वे स्थूल रूप में हमारे बीच नहीं है, पर सूक्ष्म रूप में आज भी हम सब के बीच है। हम सभी को उनके जीवन शैली से प्रेरणा लेने की सीख दी। सेंटर इंचार्ज राजयोगिनी बी. के सरोज बहन ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि हमें भी ऐसी महान अत्माओं का अनुसरण करना है। उन्होंने कहा कि साकार में हमने उनके साथ जो शिक्षाएं और प्रेरणाएं ली, जब उन्हें अनुभव के रूप में सुन रहे थे, तो उमंग, उत्साह का अनुभव होता है। भ्राता जी ने सेवा में जो उमंग उत्साह दिखाया, वैसा हमें भी दिखाना है। सरोज बहन ने बताया कि वे सबसे मित्रता पूर्ण संबंध बना कर रखते थे, जिसके कारण हर व्यक्ति उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हो जाता था और हर्ष का अनुभव करता था। सादा जीवन उच्च विचार उनके व्यक्तित्व की पहचान थी। अंत में बहन जी ने अपना दिव्य जीवन बनाने में उनकी अहम भूमिका बताते हुए स्वयं को भाग्यशाली बताया। हम सभी भी पुण्य स्मृति दिवस पर दिव्य गुणों को धारण करने का संकल्प करेंगे।

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