आबू रोड: रेडियो मधुबन का 13 वां वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया 

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 रेडियो मधुबन का 13 वां वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया

– रेडियो मधुबन का मोबाइल एप और तमिल भाषा में ऑनलाइन रेडियो एप अमूध मलई लांच
– बाल कलाकारों ने राजस्थानी गीतों पर दी सुंदर प्रस्तुति
– वर्ष 2011 में एक छोटे से कमरे से हुई थी शुरुआत, आज देश में दस कम्युनिटी रेडियो स्टेशन संचालित


आबू रोड (राजस्थान)। 
रेडियो मधुबन का 13वां वार्षिकोत्सव मनमोहिनीवन स्थित ग्लोबल ऑडिटोरियम में धूमधाम से मनाया गया। इसमें रेडियो मधुबन द्वारा सालभर में आसपास के आदिवासी गांवों में की गई सेवाएं को वीडियो शो के माध्यम से दिखाया गया। वहीं बाल कलाकारों ने राजस्थानी गीतों पर सुंदर प्रस्तुति दी।
समारोह में ज्ञान सरोवर की निदेशिका राजयोगिनी बीके सुदेश दीदी कहा कि रेडियो मधुबन का वाक्य है सुनते रहो, मुस्कुराते रहो उसके साथ जोड़ते हैं जो रोते हैं उन्हें हंसाते रहो। जिनमें खुशी की कमी है उन्हें भी खुशी दिलाते रहो। एक छोटे से कमरे में इसकी शुरुआत हुई लेकिन आज आसपास के गांव के हर व्यक्ति के मन को जानकर, उनकी छिपी हुई शक्तियों को जागृत करने का हिम्मत, उत्साह दिलाने, कला को निखारने का काम रेडियो मधुबन कर रहा है। जो महिलाएं बोल नहीं पाती थी जिनमें हिम्मत नहीं थी उनमें हिम्मत भरने का काम आप लोगों ने किया।

सामाजिक कुरीतियां मिटा रहा रेडियो-
सीआरपीएफ माउंट आबू के उप निरीक्षक जनरल सुधांशु सिंह ने कहा कि आबूरोड और आसपास के गांव में सरकारी योजनाएं पहुंचाने का काम रेडियो मधुबन कर रहा है। साथ में सामाजिक कुरीतियां, महिलाओं की हिंसा को कम करने का लगातार कार्य कर रहे हैं। पूर्व में विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य में रेडियो मधुबन के साथ मिलकर हमने कार्यक्रम किया था जो आज भी हम रेडियो मधुबन से जुड़े हुए हैं।

टेक्नोलॉजी के युग में भी रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका-
ब्रह्माकुमारीज़ के मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष और रेडियो मधुबन के निदेशक बीके करुणा भाई ने कहा कि एक समय था की टीवी चैनल आने के बाद रेडियो का क्या होगा, लेकिन आज टेक्नोलॉजी के युग में भी रेडियो की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है। रेडियो भी अन्य माध्यमों की तरह अपनी सेवाएं कर रहा है। प्रधानमंत्री भी मन की बात रेडियो पर ही करते हैं। आज ग्राम पंचायत में भी जाकर रेडियो के कार्यक्रम हो रहे हैं जिसका रेस्पॉन्स यहां पर गांव के लोग उपस्थित हुए हैं।

13 साल में दस स्टेशन किए स्थापित
रेडियो मधुबन कम्यूनिटी सोसाइटी के सेक्रेटरी सीए बीके ललित ने कहा कि रेडियो मधुबन ने चारों ओर से अपनी प्रगति की प्रेरणा से देश के अलग-अलग हिस्सों में और भी कम्युनिटी रेडियो स्टेशन की स्थापना में मार्गदर्शन और प्रेरणा दी है। कोई कॉरपोरेट कंपनी भी 13 साल में दस कम्युनिटी रेडियो स्टेशन की स्थापना नहीं कर सकती है। लेकिन पूरी टीम के समर्पण भाव, त्याग, सेवा की बदौलत यह सब संभव हो पाया है। ये सभी रेडियो स्टेशन समाज में जागृति लाने का कार्य कर रहे हैं।

लोगों में जागृति लाने में बड़ा योगदान-
रेडियो मधुबन के स्टेशन हेड बीके यशवंत ने कहा कि 2011 में रेडियो मधुबन की शुरुआत हुई। इसमें रेडियो मधुबन की टीम ने गांव-गांव जाकर कलाकारों ढूंढ कर उन्हें प्रोत्साहित किया। सरपंच और महिलाओं को साथ में लेकर गांव में जागृति लाने का बड़ा योगदान दिया है। इस दौरान रेडियो मधुबन का मोबाइल एप और तमिल भाषा के आध्यात्मिक कार्यक्रमों को पेश करने वाले ऑनलाइन रेडियो एप “अमूध मलई”  की लांचिंग भी की गई।

ब्रह्माकुमारीज़ का सूचना केंद्र शुरू-
ब्रह्माकुमारीज़ के सूचना केंद्र हैलो ब्रह्माकुमारीज़ का उद्घाटन किया गया। इस सेवा द्वारा पूरे भारत के टेलीफोन उपयोगकर्ता 02972–350600 नंबर पर फोन कर ब्रह्माकुमारीज़ से संबंधित सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं। आरजे बीके पवित्र भाई ने आदिवासी समुदाय में आध्यात्मिक जागरूकता हेतु कार्यक्रम “मेरा गाँव मेरा अंचल” के अंतर्गत की गई सेवाओं का वीडियो दिखाया। दिव्यांगों के कार्यक्रम हमराही के प्रस्तुतकर्ता संदीप त्रिवेदी जो स्वयं दृष्टि वधित होते हुए भी तीन रेडियो कार्यक्रम के होस्ट बन पाए हैं उन्होंने रेडियो मधुबन के साथ के अपने पाँच वर्षों की यात्रा अनुभवों को साझा किया। साथ ही ग्रामीण श्रोताओं ने भी कार्यक्रम के दौरान रेडियो मधुबन के साथ अपने सुखद अनुभव को साझा करते हुए बताया कि कैसे रेडियो मधुबन के कार्यक्रम उनके जीवन में नई रोशनी भरकर सकारात्मक परिवर्तन ला रहे हैं। बाल कलाकारों ने नृत्य पेश किया। संचालन बीके मोना बहन, बीके स्वर्णालता बहन, बीके श्रीनिधि और बीके विशाल ने किया। इस मौके पर आसपास के गांवों से आए श्रोतागण मौजूद रहे।

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