रायपुर: नवा रायपुर के शान्ति शिखर में 88 वीं महाशिवरात्रि महोत्सव मनाया गया –

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– परमात्मा के दिव्य अवतरण की यादगार है महाशिवरात्रि…ब्रह्माकुमारी सविता दीदी
 – द्वादश ज्योतिर्लिंग की झाँकी सभी के लिए दर्शनीय… अरूण देव गौतम, गृह सचिव
 –  ब्रह्माकुमारी संस्थान जीवन जीने की कला सिखला रहा है… प्रो. बल्देव भाई शर्मा, कुलपति
 – नवा रायपुर के सेक्टर-20 में सजायी गयी है द्वादश ज्योतिर्लिंग की झाँकी

रायपुर, छत्तीसगढ़: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा नवा रायपुर के सेक्टर-20 स्थित एकेडमी फॉर ए पीसफुल वल्र्ड-शान्ति शिखर में आयोजित महाशिवरात्रि महोत्सव का शुभारम्भ कु शाभाऊ  ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय प्रो. बलदेव भाई शर्मा, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिरीक्षक साकेत कुमार सिंह, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी और राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करके किया।

इस अवसर पर कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि शान्ति शिखर भवन में आयोजित प्रदर्शनी मनुष्यता के सही अर्थ को परिभाषित कर सुख, शान्ति और सौहाद्र्र का पथ प्रदर्शित करता है। ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा जीवन को जीने की कला को जिस सहजता और सरलता से सिखाया जाता है वह सराहनीय है। वास्तव में इसी से वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना का साकार होगी।

गृह सचिव अरूण देव गौतम ने कहा कि यहाँ आकर द्वादश ज्योतिर्लिंग का एक जगह दर्शन करने का सौभाग्य मिला। यह झाँकी बहुत ही सुन्दर एवं रोचक होने के कारण सभी के लिए दर्शनीय है। खासकर आज के दिशाहीन युवाओं और बच्चों के लिए उपयोगी है। यहाँ पर लगाई गई प्रदर्शनी से जीवन की अनेक समस्याओं का अध्यात्म के द्वारा समाधान करने की प्रेरणा मिलती है।

केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिरीक्षक साकेत कुमार सिंह ने कहा कि यहाँ आकर असीम शान्ति की अनुभूति हुई। उन्होंने इस सुन्दर आयोजन के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान को बधाई देते हुए कहा कि इस आयोजन से शिव भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग को जीवन में अपनाने की प्रेरणा मिलेगी।

रायपुर सेवाकेन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि महाशिवरात्रि त्यौहार परमात्मा शिव के दिव्य अवतरण का यादगार है। जब इस धरा पर चारों ओर अज्ञान अन्धकार छाया होता है तथा मनुष्यात्माएं काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं अहंकार रूपी विकारों के वशीभूत हो जाती हैं तब ऐसे अतिधर्मग्लानि के समय पर मनुष्यों को निर्विकारी और पवित्र बनाने के लिए परमात्मा शिव का दिव्य अवतरण इस धरा पर होता है।

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