मां की प्रेरणा से ही बच्चों के जीवन का होता है निर्माण- आदरणीय राजयोगिनी चक्रधारी दीदी
सृजनकर्ता है मां, जिसके बिना जीवन की कल्पना ही नहीं तो हर दिन मातृ दिवस ही है- बी के संजीव
नि:स्वार्थ प्यार का प्रतीक मां, सकारात्मक व आंतरिक शक्तियों को जागृत कर श्रेष्ठ परिवार की रचनाकार है- अदिति बहन
दिल्ली: मातृ दिवस के अवसर पर अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में राजयोगिनी चक्रधारी दीदी ने मां की महिमा करते हुए कहा कि वह जन्मदात्री ही नहीं है परन्तु एक श्रेष्ठ जीवन की निर्माता भी है। इसका आधार है स्वयं मां का जीवन। जितना वह स्वयं के जीवन में मूल्यों को समाहित करती है उतना ही मूल्यवान उसकी रचना भी होती है। आध्यात्मिकता मां के व्यक्तित्व को संपूर्णता प्रदान करता है।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली पुलिस के पुलिस निरीक्षक बीके संजीव ने अपने भावनात्मक वक्तव्य में कहा कि भारतवर्ष में कौन सा ऐसा दिन है जो मां के बिना है। पाश्चात्य सभ्यता का यह भी एक प्रभाव है कि अनेक दिवसों के साथ मातृ दिवस का भी एक दिन बनाया है। अन्यथा वृद्ध आश्रम में मां को छोड़ देने वाले बच्चे भी एक दिन के लिए मातृ दिवस मना रहे हैं। सृजनकर्ता मां, जो पूजनीय है, वंदनीय है वह तो सदा ही है। आंतरिक जीवन में सकारात्मक, दिव्यता या श्रेष्ठता से पांडवों की रचना तथा नकारात्मकता एवं भौतिकता से कौरवों की रचना हो रही है।
वर्ल्ड गिनीज बुक रिकॉर्ड धारी एवं मेमोरी ट्रेनर बहन अदिति ने मां के प्यार में निःस्वार्थ भावना की बात करते हुए कहा कि सकारात्मकता तथा निमित्त भाव मां को स्वयं भी सशक्त बनाता है तथा रचना अर्थात बच्चों पर भी उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे श्रेष्ठ परिवार का निर्माण होता है।
इस अवसर पर सभागार में 300 से अधिक बहनों एवं भाई भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में सभी को श्रेष्ठ विचार का कार्ड तथा प्रसाद वितरित किया गया। पुष्प गुच्छ से स्वागत रश्मि गुप्ता बहन ने किया और शाल पहनाकर अभिनन्दन दिनेश यादव भाई ने किया