माउंट आबू: साइंटिस्ट इंजीनियर आर्किटेक्ट प्रभाग द्वारा नए युग के लिए नई दृष्टि विषय पर अखिल भारतीय सम्मेलन

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माउंट आबू ज्ञान सरोवर,राजस्थान: ज्ञान सरोवर के हार्मनी हाल में राजयोग एजुकेशन & रिसर्च फाउंडेशन की भगिनी संस्था ब्रह्मा कुमारीज  साइंटिस्ट इंजीनियर आर्किटेक्ट प्रभाग  द्वारा नए युग के लिए नई दृष्टि विषय पर एक अखिल भारतीय  सम्मेलन का आयोजन हुआ. इस सम्मेलन मे इस विषय पर  गंभीर चर्चा हुई. इस सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में प्रतिनिधियों ने भाग लिया.  दीप प्रज्वलन द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन संपन्न किया गया.

अपनी बात रखते हुए संस्थान के अतिरिक्त महासचिव राजयोगी बृजमोहन भाई ने कहा कि आप सभी लोग जो यहां पधारे हैं वह पद्मा पदम भाग्यशाली अनुभवी विद्वान और विशेषज्ञ बच्चे हैं. आप सभी का ज्ञान सरोवर में स्वागत है. यह ईश्वरीय विश्वविद्यालय पूरे ब्रह्मांड के इतिहास भूगोल की जानकारी हमें देता है. आज दुनिया में लोगों को देखकर हमें हंसी आती है कि लोग आखिर क्या कर रहे हैं और उन्हें क्या करना चाहिए!  यह संसार धीरे-धीरे प्रतिदिन और और पुराना होता जा रहा है.  महत्वपूर्ण प्रश्न है कि संसार नया कैसे बनेगा? लोग प्रयत्न तो कर रहे हैं मगर उनको सफलता नहीं मिल रही है.

विश्व में प्रतिदिन वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है. लाख कोशिशें के बावजूद इसमें सुधार नहीं हो रहा. फिर नए युग का क्या मतलब? कुछ भी नया नहीं हो सकता.ब्रह्मांड निरंतर पुराना होता जा रहा है. हमारे पास एकमात्र शास्त्र है गीता जिसमें जिक्र है की नई सृष्टि नए विश्व की स्थापना कैसे होगी. यह मनुष्यों का कार्य नहीं है. पुरानी दुनिया को नया बनाने का काम परमात्मा का है. आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर परमात्मा इस कांटों के जंगल को नई सतयुगी सृष्टि में परिवर्तित करते हैं. इसके लिए हमें अपना आत्मिक दृष्टिकोण लागू करना होगा. भौतिकवाद को त्याग कर आत्मिक  दृष्टिकोण अपना कर हम यह कर पाएंगे.

ब्रह्मा कुमारीज साइंटिस्ट इंजीनियर आर्किटेक्ट प्रभाग के अध्यक्ष राजयोगी मोहन सिंघल ने भी उक्त अवसर पर अपने विचार रखें. आपने बताया कि आज वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन डे है. बड़ा अच्छा अवसर है.विज्ञान ने पदार्थ से पदार्थ का संचालन और नियंत्रण तो कर लिया है. परंतु आज हमें जरूरत है कि हम मानसिक शक्ति के द्वारा पदार्थ पर नियंत्रण प्राप्त कर सकें.  राजयोग के अभ्यास के आधार पर ऐसा संभव है. हम सभी ने पुष्पक विमान की चर्चा सुनी हुई है. सतयुगी संसार में देवी देवताएं पुष्पक विमान पर अपना पूर्ण नियंत्रण मानसिक शक्ति के आधार पर रखते रहे हैं.  वन अर्थ वन फैमिली की परिकल्पना भी तभी साकार होगी जब हम अपनी आंतरिक प्रकृति और इस  वैश्विक प्रकृति का समायोजन सही तरीके से कर पाएंगे. आज वैश्विक प्रकृति बुरी तरह परेशान है. ग्लोबल वार्मिंग क्लाइमेट चेंज आदि नाम हम प्राय: सुनते रहते हैं. प्रतिदिन इनका स्वरूप विकराल होता जा रहा है और एक दिन यह विनाशक हो जाएगा. हमें अपनी आंतरिक प्रकृति को इस बाहरी प्रकृति के साथ एकरूपता में लाना होगा.  हम मनुष्यों में तथा इस प्रकृति में अटूट नाता है.

निम्नलिखित वक्तव्य से इसे समझ सकते हैं

जैसे छोटा बच्चा मां के साथ चिपका रहता है, हमारा वनस्पति जगत भी पृथ्वी माता के साथ चिपका रहता है.  छोटा बच्चा थोड़ा बड़ा होते ही पेट के बल घिसट-2 कर चलता है .अर्थात इस वनस्पति जगत में सरी सृप नामक जितने प्राणी हैं वह भी ठीक इसी प्रकार जीवन यापन करते हैं. बच्चा और बड़ा होता है तो वह अपने दोनों हाथ और दोनों घुटनों के बल से चलने लगता है. अर्थात एक प्रकार से वह चौपाया बन जाता है.यह स्थिति वनस्पति जगत, इस विश्व जगत के सारे चौपाया जानवरों से मिलती है. इस प्रकार मनुष्य का इस प्रकृति से अत्यंत ही घनिष्ट संबंध है. सर्वश्रेष्ठ स्थिति मनुष्यों की है. मनुष्यों को इस प्रकृति का पूरा-पूरा ख्याल रखना होगा. अपने आंतरिक स्वभाव को श्रेष्ठ बनाकर ही हम प्रकृति का संरक्षण कर पाएंगे. आंतरिक प्रकृति अर्थात आंतरिक स्वभाव की श्रेष्ठता के लिए परमात्मा ने हमें आत्मिक ज्ञान दिया है और राजयोग का अभ्यास करवाया है. इस नए दृष्टिकोण को अपनाकर हम नया युग लाने में सफल होंगे.

संजीव कुमार जी टीसीआईएल, भारत सरकार नई दिल्ली के सीएमडी ने भी आज के अवसर पर अपने विचार रखें. आपने बताया यह इंडस्ट्रियल युग है, डिजिटल युग है. पूरी दुनिया और भारत इसका भरपूर लाभ उठा रहा है. जीवन उनकी मदद से सुविधाजनक और आसान बना है मगर हमारा इमोशनल कनेक्ट, हमारा स्पिरिचुअल कनेक्ट बहुत-बहुत कम हो गया है. धार्मिक होने के लिए धार्मिक बने रहने के लिए और श्रेष्ठता को धारण करने के लिए हमें एक श्रेष्ठतम दृष्टि कोण आत्मिक दृष्टिकोण को अपनाना होगा. आत्मिक दृष्टिकोण के आधार पर ही हम अपनी आंतरिक भावनाओं को शुद्ध करके नए युग का निर्माण कर पाएंगे. बड़ौदा से पधारे हुए आइओसीएल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ब्रदर राहुल ने  अपनी बातें इस प्रकार रखीं. वैज्ञानिक इंजीनियर आर्किटेक्ट विभाग दुनिया के कल्याण के लिए बहुत कुछ कर रहा है इस बात की हमें खुशी है. इस सम्मेलन में आकर के मैं प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं. दुख इस बात का है कि हम अपनी आंतरिक प्रकृति और वाह्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने में विफल रहे हैं. अब यही वह आयाम है जब हमें अपनी आंतरिक प्रकृति को समझ कर आध्यात्मिकता की मदद से  स्व को श्रेष्ठ बनाकर विश्व को एक नया विश्व बनाना होगा.

UK से पधारे हुए ब्रदर नेविल हॉडकिंसन ने भी अपनी बातें सम्मेलन में रखी.  आपने कहा मैं विगत 40 वर्षों से ब्रह्माकुमारीज़ की शिक्षाओं को धारण करने का प्रयत्न कर रहा हूं. विदेश में 100 से भी अधिक देशों में हजारों लोग इस शिक्षा को धारण करके अपने जीवन को सुखमय और शांतमय बना रहे हैं, बना चुके हैं.

आध्यात्मिकता और राजयोग के अभ्यास से जीवन को श्रेष्ठ बनाना सुखमय बनाना संभव है.

ब्रह्मा कुमारीज साइंटिस्ट इंजीनियर आर्किटेक्ट प्रभाग के नेशनल कोऑर्डिनेटर राजयोगी भारत भूषण ने भी उक्त अवसर पर अपनी बातें कहीं. आपने मनुष्य जीवन में पॉजिटिव दृष्टिकोण के महत्व को बताया. सकारात्मक दृष्टिकोण हमें जीवन प्रदान करता है जबकि नकारात्मक दृष्टिकोण से हम इस कीमती जीवन को भी खो देते हैं.

राज योग प्रशिक्षण की वरिष्ट शिक्षिका राजयोगिनी डॉक्टर सविता ने सम्मेलन में पधारे हुए लोगों को राजयोग पर प्रशिक्षित किया तथा राजयोग का अभ्यास करवाया. सुखद अनुभूति करवाई. साइंटिस्ट इंजीनियर आर्किटेक्ट प्रभाग से संबद्ध दिल्ली से पधारे बीके पीयूष तथा बड़ौदा से पधारे बीके नरेंद्र ने भी अपनी बातें सम्मेलन में रखी.

 इससे पहले ब्रह्माकुमारीज़ की मुख्य प्रशासिका दादी रतन मोहिनी जी का संदेश भी सभा को पढ़कर सुनाया गया. ब्रह्माकुमारी माधुरी बहन ने कार्यक्रम का संचालन किया.

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