नागपुर : विषय पर व्याख्यान – हम मोबाइल के मालिक या मोबाइल हमारा मालिक ??

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हम मोबाइल के मालिक या मोबाइल हमारा मालिक ??   बी.के. विधात्री बहन, दिल्ली

नागपुर महारष्ट्र। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, द्वारा आयोजित इस Digital Wellness विषय पर व्याख्यान वसंत नगर स्थित सेवाकेन्द्र पर संपन्न हुआ। इस समय पर VNIT के डायरेक्टर भ्राता प्रेमलाल जी पटेल, दिल्ली बी.के विधात्री बहन, वर्णिका बहन तथा नागपुर सेवाकेन्द्र की संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी रजनी दीदी जी उपस्थित थे।
दीदी ने अपने शब्द सुमन सभी के प्रती व्यक्त करते हुये कहां कि, यह ओम शांति शब्द बहुत प्यारा है उन्होने सभी युथ के आगमन पर खुशी व्यक्त की। उन्होने कहां की डिजीटल वस्तुओं को प्रयोग में लाने का हर एक का अपना अपना प्रयास है परंतु मानवी शरीर को ही मिट्टी कहां जाता है जो कि मिटटी में ही मिल जाती है उसी तरह मानव निर्मित कोई भी वस्तु विनाशी ही है। जैसे डिजीटल वस्तुओ ने विकास मे जान लायी परंतु यह विनाश कि ओर ना जाये उसके लिये हमारे अंदर कंट्रोलिंग पावर भी हो।

ओम शांति रिट्रीट सेंटर, दिल्ली से पधारी ब्रह्माकुमारी विधात्री बहन ने कहां आज मोबाईल ने अच्छी बाते भी दुनिया के सामने लायी तो बुरी भी लायी है। आज विश्व में, डिजीटल क्रांती की दुनिया में मोबाईल एक अहम किरदार निभा रहा है। गांधीजी के तीन बंदर कहेते थे कि बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो और अभी चौथा बंदर कहेता है कि, वो कुछ देखता नहीं, कुछ सुनता नहीं, कुछ बात नहीं करता क्युंकि अब उसके हाथ में मोबाईल है। सभी अब समझते है हम मोबाईल के मालिक है, मोबाईल से हम कितने काम करवाते है लेकिन आज रियल में यह हो रहा कि मोबाईल जो कह रहा है वह हम कर रहे है। सब काम छोडके पहेले चार्ज करो, यह कॉल आया तुरंत उठाओ, मेल आया पहेले चेक करो, मॅसेज आया अभी पढकर जवाब दो। 

उन्होने कहां कि मन ही एकमात्र कारण है मनुष्य के बंधन या फ्रिडम का। अगर आपको लगता आप बंधन में है तो मन बंधन में है, कोई भी हमे कन्ट्रोल नहीं कर रहा है। जब मन किसी एक इंद्रिय के वश हो जाती है तो मन बंधन में आ जाता है। और बंधन वाले मन के अंदर नये विचार या क्रियेटीवीटी आ नहीं सकती। और वही बात सोते उठते, चलते बात मन में चलती रहती है। और यह बात डिजीटल मार्केट लिडर्स भी इस सायकोलॉजी को जानते है। जब हम एक बार व्हॉटअप स्टेटस देखना शुरु किया तो वह आदत बन जाती है और इसमें बस जाने कि जरुरत है लेकिन उससे बाहर निकलने का रास्ता नहीं है। या उन्होने यु-टयुब के शॉर्टस् के बारे में बताया एक बंद होते ही अपने आप दुसरा शुरु होता है, वह एक कैसे अनेक बन जाता है पता ही नहीं चलता। सिर्फ अंदर हमे एन्ट्री करनी है। इसका ही वर्णन गीता में दिखाया गया की अभिमन्यु चक्रव्युह के अंदर चला जाता है लेकिन बाहर नहीं निकल पाया। आखिर उसका अंजाम वह मारा गया। यही हाल कहीं हमारा तो नहीं जो अंदर जाना तो जानते है लेकिन निकलना नहीं आता। लेकिन हमे अर्जुन जैसा बनना है जो अंदर जाना भी जानते और उससे बाहर निकलना भी जानते। क्युंकि फोकस है अंदर जाकर जो काम करना है वह काम करके तुरंत बाहर आ जाये। जिसका फोकस नहीं वह अंदर तो जाता है लेकिन बाहर नहीं आ पाता। फिर पुछे तो कहेते हमारे पास बाकि और कुछ काम करने के लिये टाइम ही नहीं है, उन्होने बताते हुये कहां वहीं 24 घंटे उसके पास भी है जो दुनिया चला रहा है, वहीं 24 घंटे उसके पास भी है जो देश चला रहा है, वहीं 24 घंटे उसके पास भी है जो एक कंपनी चला रहा है, वहीं 24 घंटे उसके पास भी है जो अपना काम अपना घर चला रहा है हमें तो सिर्फ अपने आपको चलाना है। इसलिये सोशल मिडीया इसलिये बना था ताकि सोशली हम एक जिम्मेवार रह सके। हम जरुरत के समय एक दुसरे के लिये अवायलेबल हो सके। उन्होने सेल्फी एक्सीडेट के वारदाते जो सोसायटी में हो रहीं है उसका कारण बताया क्युंकि उस व्यक्ती का लक्ष्य फिक्स नहीं है। मोबाइल को हम सेलफोन भी कहते है सेल फोन माना प्रिजनर्स वो जो कहता है वैसे करते रहेते है।

उन्होने कहां कि तीन एम बहुत काम के है मोबाइल, माइंड और मेडिटेशन। हमारे माइंड को कोन चला रहा है मोबाईल या माइंड। तीनों का संतुलन होना बहुत जरुरी है। इसीके वजह से हम अपने मन को एकाग्र नहीं कर पा रहे। एकाग्र माना जो काम करने बैठे उसीकी ओर हमारा फोकस हो हमे डिस्टॅक्शन कम करने है। अगर किसी नांव को पानी खुला छोड दिया तो जहा लहेरे जायेगी वहीं कश्ती जायेगी क्योकि लंगर नहीं लगा है इसी तरह  यदि हमने इसको कन्ट्रोल नहीं किया तो मन या बुध्दी भी उसी नांव कि तरह है जो हमे कॅप्चर कर लेंगे।

जैसे हम फुड कॅलरीज् कन्ट्रोल करते उसी तरह डिजीटल कॅलरीज भी कन्ट्रोल करना है। वेलनेस का अर्थ यह नहीं है लेकिन बेहतर हम कि यह हम छोड दे लेकिन डिजीटल मतलब 0 और 1।  0 का मतलब जो चीज हो गयी फुलस्टॉप और 1 माना फोकस। एक समय में एक काम कि ओर फोकस वो पुरा होने के बाद दुसरा काम करे। कार्यक्रम के पश्चात बी.के. वर्णीका दीदी ने मेडिटेशन का अनुभव कराया। कार्यक्रम का संचालन बी.के. शुभांगी दीदी ने किया ।

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