नरसिंहपुर: शिक्षक दिवस पर राष्ट्र निर्माता शिक्षाविदों का हुआ सम्मान

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नरसिंहपुर म. प्र.: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय दिव्य संस्कार भवन में शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर संध्या 6:00 बजे से नगर के प्रबुद्ध शिक्षाविदों का सम्मान कार्यक्रम रखा गया ।  कार्यक्रम की शुरुआत परमात्मा की मधुर स्मृति के साथ की गई । इसके उपरांत कु वैष्णवी, कु पूर्वा ने शानदार स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया।  अतिथिगण भ्राता एस एल दुबे जी सेवानिवृत प्राचार्य, भ्राता प्रो डॉ यतींद्र महोबे जी शासकीय श्याम सुंदर नारायण मुशरान महिला महाविद्यालय, भ्राता प्रो डॉ धीरज झा शासकीय श्याम सुंदर नारायण मुशरान महिला महाविद्यालय, बहिन प्रो चित्रा द्विवेदी जी पीजी कॉलेज,बहिन नव्या गिरदोनिया , ब्र कु कुसुम दीदी जी, ब्र कु वंदना दीदी के साथ सभी शिक्षाविदों ने  शुभ संकल्पों के दीप प्रज्वलित किए।

इसके उपरांत श्रद्धेय दीदी जी ने आशीर्वचन में सभी शिक्षाविदों को शिक्षक दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिक्षक राष्ट्र की धरोहर हैं। किसी राष्ट्र का निर्माण शिक्षा मंदिर में ही होता है। शिक्षक वह कुंभकार हैं जो कच्ची मिट्टी को अंदर से सहारा दे बाहर से ठोकर मार कर सुंदर घड़े का रूप बना देते हैं। 

जैसे किसी  बेला को पुष्पित पल्लवित होने के लिए लाठी के सहारे की आवश्यकता होती है ऐसे ही व्यक्ति के जीवन में गुणों के विकास के लिए शिक्षक की परम आवश्यकता होती है। आज देखा जा रहा है शिक्षित  होते हुए भी संस्कृति और संस्कार पीछे छूटते जा रहे हैं। उन्होंने बहुमुखी प्रतिभा के धनी पूर्व राष्ट्रपति सर्वश्री डॉ राधाकृष्णन सर्वपल्ली जी को याद करते हुए कहा कि आज ऐसी महान विभूतियों की पुनः जरूरत है।

वर्तमान  शिक्षा में मूल्यों के समावेश की अति आवश्यकता है।

आगे दीदी जी ने कहा की शिक्षकों के भी परम शिक्षक परम पिता परमात्मा हैं जो कि वर्तमान में प्रजापिता ब्रह्मा के तन में अवतरित होकर ब्रह्माकुमारी बहनों को आध्यात्मिक शिक्षक बनाकर मूल्य निष्ठ संसार के नवनिर्माण का कार्य कर रहे हैं। आइए सभी शिक्षाविद मिलकर परमात्मा के इस कार्य को पूर्ण करने में अपनी अपनी विशेषताओं रूपी उंगली का सहयोग दें।

ब्र कु वंदना दीदी ने लाल प्रकाश में धीमी मधुर ध्वनि के साथ राजयोग कमेंट्री के द्वारा सभी को कुछ छण आत्म अनुभूति,परमात्म अनुभूति एवम् गहन शांति की अनुभूति कराई।

अतिथियों ने भी दी शुभकामनाएं_

सेवानिवृत प्राचार्य भ्राता एस एल दुबे जी ने कहा कि मैं यहां की अवस्था और व्यवस्था को देखकर के अति प्रसन्न हूं। ब्रह्मा कुमारीज की टीम बहुत अच्छा कार्य कर रही है ।आप सभी को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।

प्रो चित्रा द्विवेदी जी ने कहा कि मैं व्यस्तता के कारण ज्यादा समय तो नहीं दे पाती हूं लेकिन दीदी जी के आग्रह पर मैं जब भी ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र आती हूं तो मुझे बहुत शांति की अनुभूति होती है।

मैं इतना जरूर कहूंगी की आज बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ श्रेष्ठ संस्कारों की भी जरूरत है।

प्रो डॉ यतींद्र महोबे जी  ने कहा कि श्रेष्ठ भारत के निर्माण के लिए श्रेष्ठ संस्कारों की आवश्यकता है।

प्रो डॉ धीरज झा जी ने कहा कि मैं मनोविज्ञान पढ़ाता हूं । मैंने अनुभव किया है कि तनाव चिंता बीमारियों से मुक्त रहने के लिए तथा जीवन में सुखद अनुभूति के लिए  सबसे अच्छा साधन राजयोग है।

भ्राता टेक सिंह पटेल, भ्राता राजेश नेमा ने कविता के रूप में शुभकामनाएं दी। 

भ्राता रामगोपाल नेमा जी ने आगंतुक शिक्षाविदों का आभार व्यक्त किया।

अंत में कार्यक्रम में पधारे लगभग 80 शिक्षाविदों का माला, पेन, ईश्वरीय वरदान से सम्मान कर प्रभु प्रसाद दिया गया।

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