शिक्षकों का कर्तव्य है ज्ञान रुपी समुद्र से अपनी कश्ती के द्वारा सभी को किनारे तक पहुँचाना
स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज के लिए शिक्षा में मूल्य और आध्यात्मिकता विषय पर शिक्षाविदों के लिए संगोष्ठी का आयोजन
हैदराबाद,तेलंगाना। ब्रह्माकुमारीज़, ग्लोबल पीस ऑडिटोरियम, शांति सरोवर, हैदराबाद, तेलंगाना में शिक्षाविदों के लिए ‘स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज के लिए शिक्षा में मूल्य और आध्यात्मिकता’ विषय पर कांफ्रेंस का आयोजन प्रातः 10 बजे से किया गया, जिसमें हैदराबाद के आसपास के क्षेत्र के लगभग 1000 से भी अधिक स्कूल, कॉलेज व यूनिवर्सिटी शिक्षकों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र में आये हुए सभी मेहमानों का पुष्पगुच्छों द्वारा स्वागत करते हुए श्री भास्कर कला अकादमी, हैदराबाद की कन्याओं द्वारा गणेश नृत्यम प्रस्तुत किया। इसके बाद ब्र.कु. मनीषा बहन ने ‘मूल्य और आध्यात्मिकता द्वारा मानसिक कल्याण’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि स्कूल, कॉलेज व यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों द्वारा हमें जब गुड मोर्निंग करके विश किया जाता है तब हमें उन सभी को स्नेह और सम्मान देते हुए रेस्पोंड करना है।’इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र में आये हुए सभी मेहमानों का पुष्पगुच्छों द्वारा स्वागत करते हुए श्री भास्कर कला अकादमी, हैदराबाद की कन्याओं द्वारा गणेश नृत्यम प्रस्तुत किया। इसके बाद ब्र.कु. मनीषा बहन ने ‘मूल्य और आध्यात्मिकता द्वारा मानसिक कल्याण’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि स्कूल, कॉलेज व यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों द्वारा हमें जब गुड मोर्निंग करके विश किया जाता है तब हमें उन सभी को स्नेह और सम्मान देते हुए रेस्पोंड करना है।
उन्होंने आगे कहा कि भय अथवा प्रेम की मनोस्थिति का प्रभाव हमारे विचारों, व्यवहार तथा व्यक्तित्व पर पड़ता है। इसीलिए हमें अपनी प्रतिक्रिया के माध्यम से विद्यार्थियों को सहज व सरल करना चाहिए ताकि वे सुगमतापूर्वक हमारे संपर्क में आ सकें। किसी भी परिस्थिति में स्थित रहने वाला मनुष्य मन से सदा स्वस्थ होता है। उन्होंने प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपने विषय को विस्तार से स्पष्ट किया और मानसिक स्थिरता और एकाग्रता को बढ़ाने के लिए मेडिटेशन के अनेकों प्रयोगों के बारे में भी बताया।
हैदराबाद की राजयोग प्रशिक्षिका ब्र.कु. सुमनलता बहन ने संस्थान द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों के लिए की जा रही सेवाओं के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि शिक्षकों का कर्तव्य है – ज्ञान रुपी समुद्र से अपनी कश्ती के द्वारा सभी को किनारे तक पहुँचाना। वर्तमान समय में समाज के हर वर्ग का व्यक्ति अपने अन्दर में परिवर्तन का अनुभव करना चाहता है। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की प्रमुख शिक्षा राजयोग जीवन-शैली के माध्यम से हमें अपने व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक परिवर्तन करने की प्रेरणा मिलती है। स्व अनुभूति और परमात्म अनुभूति के द्वारा जब हम ईश्वर के साथ अविनाशी सम्बन्ध का अनुभव करते हैं तब उस कनेक्शन से मिलने वाली शक्तियां हमारे अन्दर की समस्त नकारात्मकता को समाप्त कर सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव कराती है। इस प्रकार मेडिटेशन के वैज्ञानिक अर्थ को स्पष्ट करते हुए सभी को राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कराया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित आदरणीय भ्राता श्री अवन्ती श्रीनिवास जी (चेयरमेन, अवन्ती इंस्टिट्यूशन, हैदराबाद) ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर उन्हें आध्यात्मिक जीवन-शैली द्वारा जीवन में आने वाले सकारात्मक प्रभाव तथा मेडिटेशन के वैज्ञानिक स्वरुप को जानने का अवसर मिला। वर्तमान समय में जहाँ चारों ओर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है ऐसे में स्वयं को इन प्रभावों से बचाने, मानसिक स्थिरता एवं एकाग्रता के लिए हमें नियमित रूप से मेडिटेशन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। सामाजिक जीवन में हमें धर्म की शिक्षा दी जाती है। अपनी-अपनी संस्कृति के अनुसार प्रार्थना करना सिखाया जाता है। परन्तु प्रैक्टिकल रूप में अपने अन्दर सकारात्मक परिवर्तन के लिए आत्मशक्ति की आवश्यकता होती है और उसके लिए हमें ईश्वर के साथ सत्य सम्बन्ध का अनुभव करने की आवश्यकता है।
मैं ब्रह्माकुमारी बहनों का हृदय से धन्यवाद करना चाहता हूँ जो उन्होंने मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया और इस सुन्दर परिसर में जहां हर ओर आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रभाव है उसे अनुभव करने का अवसर प्रदान किया। बहनों द्वारा हैदराबाद के अनेकों स्कूल, कॉलेजेस में कार्यक्रम किये जा रहे हैं जो निश्चित ही विद्यार्थियों को अपने जीवन में मानवीय मूल्यों की पुनर्स्थापना के लिए प्रेरित करेंगे। इस सत्र का सफल संचालन ब्र.कु. लक्ष्मी ने किया।
इसके पश्चात् इस कांफ्रेंस का विधिवत उद्घाटन सत्र दोपहर 12 बजे से आयोजित किया गया। सत्र के आरम्भ में सभी मेहमानों को शाल एवं बुके द्वारा स्वागत किया गया। इसके पश्चात् ब्र.कु. अंजलि बहन के द्वारा सभी का शब्दों के द्वारा स्वागत किया गया।
ब्र.कु. पांड्यामणि जी (निदेशक, मूल्य शिक्षा कार्यक्रम) ने सभा को सम्बोधित करते हुए ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान द्वारा 87 वर्षों से भारत तथा विश्वभर में मूल्य और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में की जा रही सेवाओं से अवगत कराया।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 से भारत के अनेकों विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर, मूल्य शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत अनेकों कोर्सेज को डेवलप करके डिप्लोमा एवं डिग्री कोर्सेज चलाये जा रहे हैं तथा अब तक हजारों विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम के माध्यम से लाभ लिया और मानवीय मूल्यों को समझने तथा जीवन में धारण करने में मदद मिली है।
उन्होंने आगे कहा कि आप अपनी जीवन में क्या चाहते हैं? नित दिन जीवन में परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं। हम समाज में रहते हैं और समाज से जुड़े हुए हैं, हमारे पास हर बात का ज्ञान हैं, समझ हैं, हमने अपने जीवन में बहुत कुछ अर्जित भी किया है परन्तु आज भी जब हम मूल्य आधारित व्यक्तित्व को देखते हैं तब हम मूल्यों की ओर आकर्षित भी होते हैं और ऐसी जीवन का अनुभव भी करना चाहते है अर्थात हर एक मनुष्य अपने जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन चाहता है और उसके लिए प्रयास भी करता है।
राजयोग जीवन-शैली एक प्रभावशाली विधि है जो हमारा आत्म सशक्तिकरण करने के लिए हमें सामर्थ्य प्रदान करती है। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान का मुख्य उद्देश्य समाज में शान्ति, सौहार्द, स्नेह, करुणा, सहयोग आदि मानवीय मूल्यों की स्थापना करना है।
कार्यक्रम में पधारे भ्राता श्री गद्दम् श्रीनिवास यादव जी (चेयरमेन, हैंडावी ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन, हैदराबाद) ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह कार्यक्रम बहुत सुन्दर है और इस शान्ति की ऊर्जा से सम्पन्न परिसर में आकर मैं दिव्यता की अनुभूति कर रहा हूँ। मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मुझे यहाँ आमंत्रित किया। आज के समय में शिक्षण संस्थानों का उद्देश्य कुछ परिवर्तन हुआ दिखाई पढ़ता है। यहाँ प्रोफेशनल स्टडीज़ पर पूरी तरह से फोकस है। एज्यूकेशन में वैल्यूज़ का समावेश न होने के कारण आने वाली जनरेशन में मानवीय मूल्यों और भावनात्मक परिपक्वता का अभाव देखा जा रहा है, डिजिटल एडिक्शन और नकारात्मकता का प्रभाव चारों ओर देखा जा रहा है। इससे विद्यार्थियों के आत्म विश्वास में कमी आती जा रही है।
उन्होंने शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप विद्यार्थियों में नैतिक एवं मानवीय मूल्यों के उत्थान के लिए क्या कदम उठा रहे हैं? केवल प्रोफेशनल एज्यूकेशन देना ही काफ़ी नहीं है। विद्यार्थियों में चारित्रिक मूल्यों का विकास भी आवश्यक है। हम सभी को इसके लिए सतत प्रयास करना होगा। इसके लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का नियमित आयोजन आज के समय की आवश्यकता है जिससे हमें इस विषय में गहन चिंतन-मनन कर वर्तमान शिक्षा की व्यवस्था में परिवर्तन करना संभव हो सकें। मैं अपने 30 वर्षों के अनुभव से यह बता सकता हूँ कि छात्रों का शारीरिक, मानसिक उत्थान भी बहुत आवश्यक है।
इस कार्यक्रम में ब्र.कु. विष्णुप्रिया बहन ने प्रेरणायुक्त गीत भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में पधारे प्रो. डॉ. एन. बी. सुदर्शन आचार्य जी (फाउंडर, लीड इंडिया फाउंडेशन, हैदराबाद) ने कार्यक्रम में अपनी शुभकामनायें दीं।
ब्र.कु. डॉ. मृत्युजंय जी (कार्यकारी सचिव, ब्रह्माकुमारीज़, माउंट आबू) ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी शुभकामनाएं दीं। साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि श्रीमधुसुदन जी (अध्यक्ष, टी.आर.एस.एम.ए., हैदराबाद) ने कार्यक्रम के प्रति अपनी शुभकामना व्यक्त करते हुए कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे आपने इस कांफ्रेंस में आमंत्रित किया। मूल्य शिक्षा के बिना समाज न केवल अधूरा है बल्कि हार्मफुल भी है। वर्तमान समाज में संयुक्त परिवार एकल परिवार के रूप में बँटता जा रहा है। पारिवारिक मूल्यों, सामाजिक मूल्यों तथा व्यावहारिक मूल्यों का ह्रास हो गया है। मानव जीवन में संतोष का अभाव है, संबंधों में स्नेह नहीं रहा है। यह मूल्य ही सामाजिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण है जो हमें सामाजिक इकाई के रूप में जोड़कर रखते हैं। इन्हें प्राथमिकता देते हुए शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनाना वर्तमान समाज की आवश्यकता बन गयी है। मूल्यों के अभाव में मानव जीवन तनावग्रस्त होता जा रहा है। इसके उलट यदि हम मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं तो हमारी निर्णय शक्ति प्रभावशाली रूप से कार्य करती है। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में मूल्य शिक्षा की अत्यंत आवश्यकता है।
राजयोगिनी ब्र.कु. कुलदीप दीदी जी (निदेशिका, ब्रह्माकुमारीज़, शांति सरोवर, हैदराबाद) ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि हमारी व्यावहारिक जीवन में तथा वर्तमान समय में जबकि जीवन मूल्य समाप्त होते जा रहे हैं ऐसे में शिक्षण संस्थान इस मूल्यों के पुर्स्थापना में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभा सकते हैं और इसीलिए प्रदेश सरकार द्वारा ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान को वर्ष 2002 में इस परिसर के निर्माण के लिए सहयोग दिया ताकि आध्यात्मिक ज्ञान एवं मूल्य शिक्षा के प्रसार व शिक्षण के द्वारा एक उत्कृष्ट समाज की संकल्पना को साकार किया जा सके। हम मूल्यों को आचरण में कैसे लाये? क्योंकि व्यक्ति का चरित्र अति मूल्यवान है, चरित्र गया तो जैसे कि सब कुछ गया।
इस प्रकार उन्होंने अपने निजी जीवन के कुछ क्षणों को याद करते हुए सभी मूल्यों को अपनाने की शुभ प्रेरणा देते हुए राजयोग का अभ्यास कराया। अंत में सभी मेहमानों को ईश्वरीय सौगात देकर सम्मानित किया गया।