८० किसानों को अपेडा के सेन्द्रिय प्रमाणपत्रों का हुआ वितरण
नांदेड,महाराष्ट्र: सेन्द्रिय खेती करना जितना कठीन है उससे भी अधिक कठीन कार्य उसका प्रमाणिकरण करके विश्व स्तर पर उसका विपणन करना है परन्तु मालेगांव (नांदेड) की शेतकरीमित्र किसान उत्पादक कम्पनीने ८० किसानों का अपेडा अन्तर्गत प्रमाणिकरण कराके उन किसानों के लिए विश्व स्तर के बाजार के द्वार खोल दिए हैं – इन शब्दों में नांदेड के जिलाधिकारी भ्राता डॉक्टर राहुल कार्डिले इन्होंने महाराष्ट्र कृषि दिवस निमित्त आयोजित सेन्द्रिय प्रमाणपत्र वितरण कार्यक्रम में शेतकरीमित्र किसान उत्पादक कम्पनी के कार्य की प्रशंसा की।
महाराष्ट्र के भूतपूर्व मुख्यमंत्री तथा हरितक्रन्ति के प्रणेता आदरणीय वसंतरावजी नाईक इनकी जयन्ती पर महाराष्ट्र में कृषि दिन मनाया जाता है। इस कार्यक्रम को सम्बोन्धित करते हुए जिलाधिकारी महोदय ने शेतकरीमित्र किसान उत्पादक कम्पनी के द्वारा कार्यन्वित किए गए मुफ्त बीज तथा जैविक खाद वितरण, किसानों को मार्गदर्शन, दोबारा बुआई के समय ट्रैक्टर हमारा डिझल आपका, अपेडा अन्तर्गत किसानों का सेन्द्रिय प्रमाणिकरण आदि किसान हितैषी योजनाओं की भरपूर सराहना की।
कार्यक्रम में नांदेड जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी बहन मेघना कावळीजी, जिला अधिक्षक कृषि अधिकारी भ्राता दत्तकुमार कळसाईत, जिला परिषद के कृषि अधिकारी भ्राता सचिनजी कपाळे, कृषि विज्ञान केंद्र के शास्त्रज्ञ भ्राता डॉ. देविकांतजी देशमुख, कृषि विज्ञान केंद्र तोंडापूर के वरिष्ठ शास्त्रज्ञ भ्राता शेळकेजी, भ्राता निलेशजी देशमुख आदि ने सहभागिता की। कार्यक्रम का २०० से अधिक किसानों ने लाभ लिया।
जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी बहन मेघनाजी कावळी इन्होंने किसानों से कहा कि उन्होंने भविष्य को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय की मांग के अनुसार नये तंत्रज्ञान को भी अपनाकर लाभादायी खेती करनी चाहिए। अच्छे स्वास्थ के लिए किसानों ने सेन्द्रिय खेती अपनाकर उसका प्रमाणिकरण भी करना चाहिए।
भ्राता हर्षलजी जैन इन्होंने सेन्द्रिय प्रमाणिकरण करने के लिए आवश्यक कागजाद तथा प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी।
शेतकरीमित्र किसान उत्पादक कम्पनी की तरफ से सेन्द्रिय कृषिभूषण ब्रह्माकुमार भ्राता भगवान इंगोले ने शाश्वत योगिक खेती पद्धती तथा उसके लाभों से किसानों को अवगत कराते हुए कहा कि राजयोग साधना के अभ्यास से किसानों का मनोबल बढता है जिससे विपरित परिस्थितियों का सामना करने में सहजता होती है, योग साधना से प्रकृति के पांच तत्वों का भी खेती में सहयोग मिलता है। समूह खेती के लिए किसानों को सदा काल के लिए संगठित रहने के हेतु जिन मूल्यों की आवश्यकता होती है वे मूल्य भी आध्यात्मिकता से ही प्राप्त तथा वृद्धिंगत होते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को यह बात पक्की समझ लेनी चाहिए कि शाश्वत योगिक तथा सेन्द्रिय खेती पद्धती से भूमि की उर्वरकता बढती है और उत्पादन भी कम नहीं होता है। कार्यक्रम में जिला परिषद की तरफ से किसानों के लिए चलाई जानेवाली योजनाओं की भी किसानों को जानकारी दी गई।











