नेपाल व भारत से पधारे समाजसेवी संस्थाओं के प्रमुख समाजसेवियों ने रखे अपने वक्तव्य……।आध्यात्मिकता सिखाती है संयमित जीवन जीने की कला : डॉ. जैन
आबू रोड, राजस्थान। इंदौर से आये Dist. Governor, Rotary Club-3040, Bhopal डॉ. जिनेन्द्र जैन ने कहा कि यह सत्य है कि आध्यात्मिकता के फलस्वरूप प्रत्येक व्यक्ति के अंदर संयमित जीवन जीने की कला आ जाती है। सर्व के सुखी जीवन के लिए संस्था के जो सफल प्रयास हैं उनके लिए मेरी ओर से हार्दिक बधाई। परमपिता परमात्मा शिव के द्वारा स्थापन की गई इस संस्था की विशेष बात यह है कि संस्था का संचालन प्रमुख रूप से नारी शक्ति के द्वारा किया जाता है। मातृ शक्ति सम्मान के योग्य है जो विश्व में शांति व सद्भाव स्थापित करने के कार्य में जुटी है। सुखी, श्रेष्ठ समाज की स्थापना के लिए कार्य करने वाले समाजसेवी श्रेष्ठ व वंदनीय है, परम सौभाग्यशाली हैं। यह बात उन्होंने ब्रह्माकुमारीज के मनमोहिनीवन स्थित ग्लोबल ऑडिटोरियम में समाज सेवा प्रभाग द्वारा आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।
विज्ञान से भी ऊपर है ब्रह्माकुमारीज़ का ज्ञान : श्री भगत
दिल्ली से आये Saint Hardayal Education Society Founder श्री गिरधर प्रसाद भगत ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज का आध्यात्मिक ज्ञान, विज्ञान से भी ऊपर है इसकी आज के समाज को सख्त जरुरत है। विद्यालयों में नैतिक मूल्यों के ज्ञान का अभाव है। एक समय था जब श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को अपने कन्धों पर उठाकर सभी तीर्थ यात्रायें कराई लेकिन आज के श्रवण कुमार अपने वृद्ध माता पिता को ऑटो में बिठाकर कहीं भी अनजान जगह छोड़कर आ जाते हैं। यहाँ कई प्रकार के समाजसेवी बैठे हैं जो देश और दुनिया में कई प्रकार की समाज सेवा कर रहे हैं लेकिन आज जरूरत है सभी को जागरूक करने की, आध्यात्मिक ज्ञान की, जो लोगों के अंदर के मूल्यों को जगाये। आखिर कितने वृद्धाश्रम खोले जायेंगे, कितने समाज सेवी संस्थाएं खोली जाए! जरुरत है एक ऐसे ज्ञान की जो लोगों को लाचार और बीमार होने से बचाये। हम सभी समाज सेवकों की जो जिंदगी है गुलाब के पौधों जैसी है, जिसमें बहुत सारे कांटे हैं लेकिन अथक परिश्रम से उन काँटों के बीच जो फूल निकलता है तो काफी सुन्दर लगता है, जिस दिन हम सभी समाज सेवियों के अंदर आध्यात्मिक चेतना और नैतिक मूल्य आ जायेंगे उस दिन समाज भी गुलाब की खुशबू से महकेगा।
जीते जी देख लिया स्वर्ग : श्रीमती त्रिवेदी
इंदौर से पधारी श्रीमती सुषमा त्रिदेवी ( Chairperson, Saraswati Vidya Vikas Samiti, Indore) ने कहा कि अपने माता-पिता के प्रति सेवा, जन जागृति व समाज सेवा के जिस पाठ को ब्रह्माकुमारीज़ संसथान में दिया जा रहा है ऐसी शिक्षा को हर विद्यालय में देने की जरुरत है, जिससे बच्चा बचपन से ही सेवा भाव के प्रति सजग रहे। उन्होंने कहा कि लोग तो मरकर स्वर्ग जाते हैं लेकिन हमने जीते जी स्वर्ग देख लिए। यहाँ आने के बाद जिस तरह का स्वर्गमय वातावरण मिला इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे। उन्होंने अपने बारे में बताया कि 1984 में उन्होंने वृद्धाश्रम खोले ये देखते हुए कि किस तरह से घरों से वृद्धों को निकालकर लाचार हालात में सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। ऐसे समय में वो आखिर कहाँ जाएँ, फिर उनके लिए एक आश्रम की स्थापना की और उनके बच्चों को बुलाकर अपने माता-पिता की सेवा के प्रति शिक्षाएं भी दी।
आध्यात्मिक उत्थान का सन्देश
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के महासचिव राजयोगी बीके निर्वैर ने विडिओ सन्देश के माध्यम से समाज सेवियों में आध्यात्मिक उत्थान का सन्देश दिया।
प्रारूप को बदलने की जरुरतब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बी के बृजमोहन ने कहा कि वर्तमान में समाज सेवा के प्रारूप को बदलने की जरुरत है। पेड़ लगाने वालों की संख्या में और पेड़ काटने वालों की सख्या में, बीमारी और लाचारी मिटाने वालों की संख्या में और बीमारी और लाचारी बढ़ाने वालों की सख्या में बहुत बड़ा अंतर है। समाज सेवा तभी गतिमान होगी जब जीवन में अध्यात्मिकता व नैतिकता का समावेश किया जाए।
त्याग के बिना सेवा नहीं हो सकती
समाज सेवा प्रभाग की अध्यक्षा बी के संतोष दीदी ने कहा कि समाज सेवा वही कर सकते हैं जिनके अंदर त्याग है, त्याग के बिना कभी सेवा नहीं हो सकती। समय, श्वांस, संकल्प, तन, मन और धन निःस्वार्थ रूप से सेवा में लगाने वाले समाज सेवी ही समाज को सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। समाज सेवा के लिए स्व परिवर्तन बहुत जरुरी है, क्योंकि जो स्वयं में परिवर्तन लाता है वही समाज में परिवर्तन ला सकता है।
सम्मेलन के उद्देश्यों की जानकारी दी
समाज सेवा प्रभाग उपाध्यक्ष बी के प्रेम भाई ने सम्मलेन के उदेश्य की जानकारी देते हुए कहा कि समाज सेवा दो प्रकार की है – एक वो जो रोटी, कपडा, मकान, विद्या और औषधि देता है, जिस दिशा में आज हज़ारों-लाखों संस्थाएं कार्य कर रही हैं और आवश्यक भी है। दूसरा है समाज सुधारक, ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान भी समाज सुधारक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही है। इसी उदेश्य के साथ यहाँ सम्मलेन आयोजित किया गया है जिससे हर समाज सेवी समाज सेवा के साथ एक समाज सुधारक भी बन सके। ईश्वरीय नियमों को जीवन में आत्मसात करने वाले समाजसेवी निरंतर समाज उत्थान में अहम योगदान दे सकते हैं
स्वर्णिम समाज की परिकल्पना होगा साकार
अतिथियों का स्वागत करते हुए समाज सेवा प्रभाग के राष्ट्रीय संयोजक बी के अवतार भाई ने कहा कि यही समाज पूर्व में सुसंस्कृत, समृद्ध और संपन्न हुआ करता था जहाँ कोई समाज सेवाओं की जरुरत नहीं थी लेकिन द्वापर के बाद समय ने करवट ली। धार्मिक उन्माद, राज्यों की सीमाओं की विस्तार की भावना, लालच आदि ने जन्म लिया और वैचारिक मतभेद उत्पन्न होने लगे। यह वैचारिक मतभेद इतना बढ़ गया कि रक्तपात में बदल गया। लेकिन पूर्व में जैसा समाज था मूल्यनिष्ठ एवं दैवी समाज जिसे स्वर्णिम दुनिया या सतयुग आदि नामों से भी जानते हैं। एक ऐसे ही समाज की परिकल्पना करते हुए परमात्मा शिव ने इस संस्थान की स्थापना की। आवश्यकता है हमें स्वयं में बदलाव लाकर आध्यात्मिक जीवन शैली अपनाने की।
धन्यवाद ज्ञापित किया :- प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बी के बीरेंद्र भाई ने अतिथियों के सामने अपने धन्यवाद वक्तव्य रखे एवं सम्मेलन के उद्देश्यों को स्पष्ट किया।
यह भी रहे सम्मेलन के सहभागी
सम्मेलन में श्री पल्लवी पोरवाल (Chairperson, Child Welfare Committee, Indore), मनोज कुमार दुबे (Policy Governance Professional), सतीश कुमार चावला (Chairman, Sewa Bharti, Haryana), निषाद मेहता (Giants Club, Special Committee Member, Kutch), पूजा कालरा (Founder & President, Ek Rahat Foundation, Delhi), कुंवर जी टोंक (Rashtriya Pramukh Gujjar Samaj, Kutch), डॉ. वर्षा देशमुख (Principal, Dr. Panjabrao Deshmukh College of Law), जगदीश चंद्र शर्मा (Deputy Chief Warden Civil Defence, Kota), विनोद शिरभाते (Jiladhyaksh Kreeda Bharti, Nashik), पूनम शर्मा (Delhi), उषा गिरी (Psychologist, Hyderabad), भीम पराजुली (Central Member, Nepali Congress) आदि ने भी शिरकत की।
इन्होंने भी किये विचार व्यक्त
विशेष रूप से Stage Co-Ordinator के रूप में बी के वंदना बहन, माटुंगा (Addl National Coordinator, Social Service Wing), बी के शिवलीला बहन (गुलबर्गा), बी के भावना बहन (गुरुग्राम), बी के सरिता बहन (गुरुग्राम), बी के अंकिता बहन (अजमेर), बी के अन्नपूर्णा बहन (इंदौर), दिल्ली ओआरसी से बीके विजय बहन, डूंगरपुर से बीके विजयलक्ष्मी बहन, दिल्ली खानपुर से बीके आशा बहन, करनाल से बीके प्रेम बहन, अमरावती से बीके सीता दीदी, छतरपुर से बीके शैलजा दीदी, मधुबन से बीके राजू भाई, नडियाद से बीके पूर्णिमा बहन, बिराटनगर नेपाल से बीके गीता बहन, अजमेर से बीके शांता दीदी, मुंबई से बीके गिरीश भाई आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।
सम्मेलन में अमरावती और दिल्ली पश्चिम विहार से पहुंचे कल्चरल ग्रुप ने सांस्कृतिक कार्यक्रम व नाटक द्वारा सभा में समां बांध चार चाँद लगा दिये।
इससे पूर्व सम्मेलन की शुरुआत दीप प्रज्वलन से की गई। सम्मेलन में देश के कोने-कोने से करीब 600 समाजसेवियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया।