ब्रह्माकुमारीज़ में शिक्षाविदों का हुआ सम्मान

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दया और करुणा का भाव रखना सिखाती है आध्यात्मिकतासंस्कार और संस्कृति का संरक्षक है शिक्षक- बीके शैलजा बहन जी

 छतरपुर,मध्य प्रदेश। लोग हमारी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं लेकिन हमें सही रास्ता नहीं दिखा सकते हैं इस दुनिया में शिक्षक ही एक सच्चा मार्गदर्शक है जो हमें सही दिशा दिखाता है। संस्कारों से संस्कृति बनती है और उन संस्कारों का सृजन हमारे अंदर शिक्षक ही कर सकता है। वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार आज आध्यात्मिकता की महती आवश्यकता है क्योंकि दया और करुणा का भाव रखना हमें आध्यात्मिकता ही सिखाती है आध्यात्मिक रूप से सशक्त शिक्षक ही देश को एक अच्छा नागरिक प्रदान कर सकता है।उक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय छतरपुर किशोर सागर द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव स्वर्णिम भारत की ओर थीम के अंतर्गत शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षाविदों के सम्मान समारोह में छतरपुर सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी शैलजा बहन जी द्वारा व्यक्त किए गये।इस सम्मान समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में जिला परियोजना समन्वयक, छतरपुर भ्राता आर. पी. लखेर जी, विशिष्ट अतिथि प्रभारी प्राचार्य शासकीय शिक्षा महाविद्यालय छतरपुर बहन डॉ रेखा शर्मा, प्राचार्य शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय क्रमांक 1 भ्राता एस. के. उपाध्याय, प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 2 बहन डॉ पुष्पा शशि सिंह, एम एल बी प्राचार्य बहन सविता अग्रवाल, उप प्राचार्य सीएम राइज स्कूल भ्राता राजकुमार शर्मा उपस्थित रहे।कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अतिथियों का एवं सभा में उपस्थित सभी शिक्षकों का तिलक, वैज, उपर्णां उढ़ाकर सम्मान किया गया तत्पश्चात बीके रमा बहन द्वारा शब्दों के द्वारा स्वागत एवं कुमारी राजनंदिनी और शिवांशी गुप्ता द्वारा स्वागत नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इसी तारतम्य में दीप प्रज्वलन किया गया।कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए बीके रीना बहन द्वारा विद्यालय का परिचय दिया गया कि यह विद्यालय नैतिक मूल्यों की पुनः स्थापना के लिए विगत 86 वर्षों से कार्य कर रहा है और इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।
इस मौके पर मंचासीन सभी अतिथियों ने शिक्षक दिवस के बारे में अपने विचार व्यक्त किए और समस्त शिक्षाविदों के सम्मान में ब्रह्मा कुमारीज़ द्वारा किए गए कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा की।कार्यक्रम के अंत में सभी को ईश्वरीय सौगात एवं प्रसाद भेंट स्वरुप प्रदान किया गया। इस अवसर पर 300 शिक्षकों ने भाग लिया। मंच संचालन करते हुए बीके कल्पना बहन ने अंत में सभी को कॉमेंट्री के द्वारा राजयोग का अभ्यास कराया एवं देश प्रेम की भावना जागृत करने के लिए सभी से मातृभूमि के लिए पत्र लिखवाये।

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