पीपलखेड़ा: जड़ देवियों की तरह घर की चैतन्य देवियों का भी सम्मान करें- ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी

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पीपलखेड़ा,मध्य प्रदेश। चैतन्य नव देवियों की झांकी का आयोजन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय ए-33 मुखर्जी नगर द्वारा पीपलखेड़ा में आयोजित किया गया। जिसमें बिलासपुर छत्तीसगढ़ से सुप्रसिद्ध गायक सुभाष भाई जी ने गीतों की प्रस्तुति दी एवं इंदौर के बाल कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया। ब्रह्माकुमारी रुकमणी दीदी ने चैतन्य देवियों का अध्यात्मिक  अर्थ बताते हुए कहा कि नवरात्रि का पर्व सभी के जीवन में एक अहम भूमिका निभाता है। पर्व की महत्ता इस हद तक है कि लोग नौ दिन तक संपूर्ण पवित्र रहते, संपूर्ण सात्विक भोजन करते हुए घर में अशुद्धि का पूर्णतया बहिष्कार करते हैं। निश्चित ही कितना महत्वपूर्ण त्यौहार इसको माना जा सकता है जो जीवन परिवर्तनीय है। आप अपने जीवन से इन बुराइयों को सदा के लिए दूर क्यों नहीं कर सकते देवियां सिर्फ नौ दिन के लिए हमें इन बुराइयों से व्रत नहीं सिखाती है। बल्कि वह हमारे जीवन में सदा के लिए परिवर्तन चाहती हैं। इस कलयुगी रूपी रात्रि में खुद को जगाने से ही और अपनी शक्तियों को जगाने से ही हम उस देवी स्वरूप दुर्गा, काली, गायत्री, कात्यायिनी, चंद्रघंटा आदि माताओं के जैसा बन पाएंगे। जितनी भी देवियों के नाम हैं सारे ही या तो गुणवाचक है या कर्तव्य वाचक हैं। किसी ना किसी गुण व विशेषता के आधार से उस देवी का नामकरण किया गया तो विशेषताएं सारी आपकी हैं वह परिस्थितियों सारी आपकी हैं। जिन माताओं कन्याओं द्वारा परमात्मा के ज्ञान को चारों और फैलाया गया उसका प्रचार- प्रसार हुआ, उसकी यादगार आज नवरात्रों में कन्या को पूजना, उनको भोग खिलाना, उसके पैर आदि धोना है समाज उन्हीं धारणाओं को याद रखता है जिसको कभी ना कभी हमने किया है। जितनी भी अर्चन, पूजन और गायन की विधियां हैं वो परमात्मा द्वारा किए गए कार्यों की यादगार ही है सिर्फ बिना अर्थ त्योहार मनाना उस त्योहार के साथ पूर्णता न्याय ना होना है। अतः बुराइयों को सदा के लिए स्वयं के जीवन से छोड़ना ही सच्ची नवरात्रि मनाना है। हजारों भाई- बहनों ने चैतन्य देवियों के दर्शन कर पुण्य का लाभ लिया।

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