मेडिटेशन स्वस्थ भी करता है व रोगों को खत्म भी करता है, असाध्य बीमारी के लिए योग संजीवनी बूटी है – ब्रह्मा कुमार नारायण भाई

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अलीराजपुर,मध्य प्रदेश। मन जब कमजोर हो जाता है तो अनेक रोगों  व असाध्य बिमारियों को आमंत्रित कर लेता है । इस बीमारी को बढ़ाने में हमारा नकारात्मक मन ,सोच महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस पर काबू पाने के लिए जब हम जीवन में दृढ़ संकल्प का इस्तेमाल करते हैं तो उसमें ध्यान रखना है कि कोई भी निगेटिव शब्द न हो। इस समय हमारा दृढ़ संकल्प होगा- मैं पूर्णत: स्वस्थ हूं। अगर किसी को छोटी-मोटी बीमारी है या वायरस से संक्रमित हैं तो उनको यही विचार बनाना है- मेरा शरीर परफेक्ट और हेल्दी है। क्योंकि इस समय हम स्वस्थ रहना चाहते हैं। डर खत्म करना है, तो हमें यह सोचना है कि मैं निडर हूं, मुझमे आत्मविश्वास है। मन की स्थिति के लिए संकल्प करना है कि मैं खुश हूं। मुझे अभी यही संकल्प करना है क्योंकि वातावरण में चिंता है। यह ब्लैक सर्कल है, जिसे खत्म करने का एक ही रास्ता है- उस पर व्हाइट सर्कल बनाना। एक ब्लैक सर्कल खत्म करने के लिए 5-10 व्हाइट सर्कल बनाने होंगे। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रहमा कुमार नारायण भाई ने पुलिस कंट्रोल रूम  में सोच को बदलो तो जीवन बदल जाएगा विषय पर  संबोधित करते हुए बताया कि योग में भरपूर शक्ति होती है रोगों को खत्म करने की ,शरीर को स्वस्थ करने की योग  संजीवनी बूटी का कार्य करता है ।अगर जीवन में तनाव है तो हम यह संकल्प करेंगे कि मैं शांत आत्मा हूं। कमजोर महसूस कर रहे हैं तो संकल्प करेंगे कि मैं शक्तिशाली आत्मा हूं। यदि खुद को किसी भी संक्रमण से बचाना है तो संकल्प करना है- मैं पवित्र आत्मा हूं। मेरे अंदर निगेटिविटी आ ही नहीं सकती है। शरीर के लिए संकल्प करेंगे कि मेरा शरीर निरोगी है और ऐसा ही रहेगा।। तो मुझे उससे बचने के लिए एक दृढ़ संकल्प बनाना होगा। मेरी नौकरी, कारोबार सुरक्षित है और सुरक्षित रहेगा। अब हम ऐसा संकल्प इसलिए कर रहे हैं, नहीं तो सारा दिन हम जो सोचते हैं वही बोलते हैं कि पता नहीं मेरा कल क्या होगा? इस समय मन में ऐसे बहुत सारे ब्लैक सर्कल हैं, जिन्हेंं व्हाइट बनाना है। उसके लिए हमें यही संकल्प करना है- मेरा परिवार सुरक्षित है। मेरा देश सुरक्षित है। ये सृष्टि सुरक्षित हैै। इस समय जो वायरस आया हुआ है उसका नाम नहीं लेना है। उसके लिए हमें यही संकल्प करना है कि वो जो चीज आई है, इस समय वो समाप्त हो चुकी है। नहीं तो हम सारा दिन यही सोच रहे हैं कि देश में कितने संक्रमित होंगे, कितने लोग मरेंगे। आंकड़े इकट्ठा करना हमारा काम नहीं है। आप अपने मन को कोई तारीख नहीं दें कि वो जून अंत में जाएगी या साल के अंत में। हमें यह संकल्प करना है कि वो जा चुकी है। क्योंकि संकल्प से सिद्घि मिलती है। सबसे यही संकल्प करवाना भी है।जब हम कहते हैं कि मिलकर प्रार्थना करो तो हम उच्च ऊर्जा वाले विचार बनाते हैं। इस परिस्थिति में भी उच्च ऊर्जा वाले विचार बनाना है। मेरी प्रार्थना को प्रैक्टिकल में लाना है तो मुझे इसे भी प्रेयर और मेडिटेशन का हिस्सा बनाना पड़ेगा। मुझे हील करना है खुद को, पूरी सृष्टि को। क्योंकि संकल्प से सृष्टि बनती है। एक ही संकल्प कि ‘वो’ खत्म हो चुका है। दो-चार महीने बाद भी कोई बात करे तो आप यही कहो, ‘वो तो खत्म हो चुका है।’ हो सकता है लोग मजाक उड़ाएं। पर आपके ऐसा करने से लोग समझ जाएंगे कि हमें क्या करना है। हमें वातावरण की ऊर्जा बदलना है। मन की एनर्जी वायरस पर सौ प्रतिशत असर करेगी। हम देखते हैं कि हमारे आस-पास जो पशु-पक्षी होते हैं उन पर हमारी सोच का कितना असर पड़ता है। तो क्या हमारी सोच का असर इस वायरस पर नहीं पड़ेगा। एक-दो की सोच का नहीं। अगर सारे लोग मिलकर आह्वान करेंगे, अगर हम बार-बार ऐसा सोचेंगे तो सच में ऐसा हो जाएगा। हमें से सभी संकल्प करने होंगे और इन्हें बार-बार दोहराना होगा। तभी ये सिद्ध होंगे।

ब्रहमा कुमारी प्रमिला बहन ने सभी को राजयोग द्वारा मन की नकारात्मकता को कैसे खत्म करे। मेडिटेशन  में क्या ताकत है?इसका क्या महत्व है. इस पर संबोधित करते हुए बताया कि जब100 लोग एक साथ साधना करते है तो उत्पन्न लहरें 5 कि.मी.तक फैलती है और नकारात्मकता नष्ट कर सकारात्मकता का निर्माण करती है।आज पृथ्वी पर केवल 4% लोंग ही ध्यान करते है। लेकिन बचे 96% लोंगो को इसका पॉजिटिव इफेक्टहोता है। अगर हम भी लगातार 90 दिनो तक ध्यान करे तो इसका सकारात्मक प्रभाव हमारे और हमारे परिवार पर दिखाई देगा।
अगर पृथ्वी पर 10% लोंग ध्यान करनें लगे तो पृथ्वी पर विद्यमान लगभग सभी समस्याओं को नष्ट करने की ताकत ध्यान में है। उदारहण के लिए हम बात करे तो भारत के एक योगी ने सन् 1993 में वैज्ञानिकों के समक्ष यह सिद्ध किया था। हुआ यू कि उन्होने वॉशिंगटन डि सी में 4000 अध्यापको को बुलाकर एक साथ ध्यान(मेडिटेशन) करने को कहा और चमत्कारिक परिणाम यह था कि शहर का क्राईम रिपोर्ट 50% तक कम हो गया। जरुरत है ध्यान से स्वत: को खोजनें की और मेडिटेशन को एक आदत बनाने की।

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