सुशासन व टिकाऊ प्रगति के लिए प्रशासकों के सशक्तिकरण पर ब्रहमाकुमारीज संस्था द्वारा मोहाली में कार्यक्रम आयोजित

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मोहाली,पंजाब। अनासक्ति, दया, करुणा, दृढ़ इच्छा शक्ति और भगवान में अटूट आस्था से किसी भी समस्या का हल आसानी से निकल जाता है। प्रशासकों में इन गुणों का होना अनिवार्य है जिस से वे बड़ी से बड़ी चुनौती से पार पा सकते हैं। यही कुछ प्रमुख बिंदु आज यहाँ आयोजित एक कार्यक्रम में उभर कर आये । राजयोग शिक्षा शोध फाउंडेशन और प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के प्रशासक प्रभाग द्वारा दया व करुणा के लिये अध्यात्मिक विषय पर सुख शांति भवन फेज 7 मोहाली द्वारा आयोजित उक्त कार्यक्रम में उच्च अधिकारियों व बड़ी संख्या में ब्रह्माकुमारीज संस्था से जुड़े लोगों ने हिस्सा लिया। पंजाब के अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित् एवं कराधान) के ए पी सिन्हा मुख्य अतिथि थे। इस दौरान प्रशासकों, उच्च अधिकारीयों और प्रबंधकों के लिए सशक्तिकरण अभियान का श्री गणेश भी किया गया।

श्री सिन्हा ने इस अवसर पर कहा कि प्रशासक का निर्णय समाज पर प्रभाव डालता है। अगर वे अध्यात्मिक रूप से सशक्त है तो लोगों को भी अध्यात्म का बल मिलता है। आत्मा आध्यात्मिकता से ही शांत होती है।

उन्होने प्रशासकों की सफलता के लिए 5 सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। उन के अनुसार ये 5 सिद्धांत हैं दृ कथनी-करनी में फर्क न होना, भगवान में सच्ची आस्था, कोई भी वस्तु स्थाई नहीं है, कर्म ही योग है और पूर्वाग्रह या पक्षपात से रहित होना। श्री सिन्हा ने युधिष्ठिर – यक्ष संवाद का संदर्भ देते हुए जीवन में करूणा का महत्व रेखांकित किया। साथ ही मनुष्य में समानता के सिद्धांत और विनम्रता पर जोर दिया।

ब्रहमाकुमारीज संस्था के प्रशासक सेवा प्रभाग की अध्यक्षा और ओम् शांति रिट्रीट सैंटर दिल्ली की निर्देशिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने कहा कि समाज के लिए प्रशासक वर्ग का कार्य युक्तियुक्त, सुखदाई व सहज होना चाहिए। चुनौतियों से व्यक्ति के अंदर छिपी शक्तियां, गुण और योग्यताएं जागृत हो जाती हैं।

उन्होंने कहा की संतुलन प्रशासन की खूबी है। अच्छे प्रशासक को बाहरी दबावों, प्रभावों व् धारणाओं से मुक्त होना चाहिए। उसकी मानसिक कंडीशनिंग जरूरी है तभी वह कठिन से कठिन समस्या का हल निकाल सकता है। कठिनाई की स्थिति में कुछ देर खामोश रह कर ध्यान लगाना चाहिए -जो हुआ सो हुआ कल की कल देखेंगे।

आशा दीदी ने कहा की तीन एस ओ एस (स्टैन्डबैक, ऑब्जर्व और स्टीयर) बहुत आवश्यक हैं। अपने मन का कंप्यूटर खोलिये, जिस तरफ मन को ले जाना चाहते हैं, आराम से उसी ओर मोड़ लीजिये। सकारात्मकता बनाये रखिये और परमात्मा को मित्र बना लें। अनासक्ति वृति भी अत्यंत अनिवार्य है। ऐसे अभ्यास से टिकाऊपन और इच्छाशक्ति बढ़ती है। आध्यात्मिकता और ध्यान के अभ्यास से मन के भीतर विचारों का यातायात नियंत्रित होता है।

पंजाब के विशेष सचिव (गृह और न्याय) विनय बुब्लानी ने कहा की अफसर शाही नित नयी चुनौतियों से दो चार होती है। ऐसे में उसे संतुलन बनाये रखना बहुत जरूरी है। भगवान् के आशीर्वाद से कोई भी चीज कभी भी बदल सकती है। उसमे

दयालुता का भाव हो तो और भी बढ़िया है। पंजाब सतर्कता ब्यूरो के संयुक्त निर्देशक गौतम सिंघल ने कहा की आपका कार्य और उससे प्रतिबद्धता ही आध्यात्मिकता है। उन्होंने महिलाओं को पूरा सम्मान देने पर भी बल दिया। आगरा के पूर्व मंडल आयुक्त सीताराम मीणा ने कहा की आध्यत्मिकता का अध्ययन और जीवन में उसका अभ्यास अत्यंत अनिवार्य है। ब्रह्माकुमारीज संस्था की पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड व चंडीगढ़ की प्रभारी ब्रह्माकुमारी प्रेमलता बहिन ने कहा कि आज के समय में दया, करुणा, सहानुभूति और ईश्वर स्मरण बहुत महत्वपूर्ण हैं। मोहाली के सहायक आयुक्त तरसेम चंद, माउंट आबू से पधारे प्रशासकीय प्रभाग मुख्यालय समन्वयक, ब्रह्माकुमार हरीश और मोहाली रोपड़ सर्किल मोहाली की प्रभारी ब्रह्माकुमारी प्रेम बहन ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। कुमारी कोमल ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया।

सुशासन और टिकाऊ प्रगति के लिए प्रशासकों के सशक्तिकरण विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम का मंच संचालन लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नयी दिल्ली की प्रोफेसर डॉक्टर सविता ने किया। वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका और मोटिवेशनल स्पीकर ब्रह्माकुमारी सपना (चीन) ने राजयोग ध्यान का अभ्यास कराया। कार्यक्रम में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, चंडीगढ़, दिल्ली, माउंट आबू और राजस्थान के अन्य विभिन्न स्थानों से आये लोगों ने हिस्सा लिया।

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