प्रतापगढ़ (राजस्थान) : खेलकूद से भी हमारा स्वस्थ अच्छा रहता है | शारीरिक स्वस्थ के साथ वर्तमान समय मन को स्वस्थ और चरित्रवान बनाने हेतु भौतिक शिक्षा के नैतिक शिक्षा कि भी आवश्यकता है |नैतिक शिक्षा से हम रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन परिवार, समाज, कार्यस्थल में परेशानी या चुनौती का मुकाबला नहीं कर सकते उन्होंने कहा कि युवा उच्च शिक्षा प्राप्त करके डॉक्टर, इंजीनियर बनकर धनोपार्जन कर सुख-सुविधा युक्त जीवन निर्वाह करना चाहते हैं, परंतु जब उनका उद्देश्य पूर्ण नहीं हो पाता तो उनका मन असंतुष्ट हो उठता है और मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है। शिक्षा से प्राप्त उपलब्धियां उन्हें निर्थक प्रतीत होती हैं। उक्त उदगार माउंट आबू के ब्रह्माकुमारी के बी के भगवान भाई ने कहे वे ए.पी.कालेज के खेलकूद मैदान एकत्रित युवाओं को सकारात्म्क विचार , नैतिक मूल्यों से सशक्त युवा विषय पर बोल रहे थे |
भगवान भाई ने कहा की नैतिक मूल्यों से व्यक्तित्व में निखार, व्यवहार में सुधार आता है।नैतिक मूल्यों का ह्रास व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय समस्या का मूल कारण है। समाज सुधार के लिए नैतिक मूल्य जरूरी है।उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा की धारणा से, आंतरिक सशक्तीकरण से इच्छाओं को कम कर भौतिकवाद की आंधी से बचा जा सकता है। व्यक्ति का आचरण उसकी जुबान से ज्यादा तेज बोलता है। लोग जो कुछ आंख से देखते हैं। उसी की नकल करते हैं।
पुलिस उप निरीक्षक ओमप्रकाश विशनोई जी ने बताया की वर्तमान युग में लड़का हो या लड़की, सभी स्वावलंबी होना चाहते हैं, मगर बेरोजगारी की समस्या हर वर्ग के लिए अभिशाप सा बन चुकी है। मध्यम वर्ग के लिए तो यह स्थिति अत्यंत कष्टदायी होती है। जब इस प्रकार की स्थिति हो जाती है तो जीवन में आए तनाव से मुक्ति पाने के लिए वे आत्महत्या जैसे कदम उठाने को बाध्य हो जाते हैं। ऐसे समय पर सकारात्मक चिंतन से स्वयं को सशक्त बनाना जरुरी है |
अतिरिक्त जिला कलेक्टर-शर्माजी जी ने कहा कि हमारे जीवन में श्रेष्ठ मू््ल्य है तो दूसरे उससे प्रमाणित होते हैं।जीवन में नैतिक मूल्य होंगे तो आदमी लालच, हिंसा, झूठ, कपट का विरोध करेगा और समाज में परिवर्तन आएगा। उन्होंने कहा नैतिकता से मनोबल कम होता है।उनहोंने कहा कि मूल्यों की शिक्षा से ही हम जीवन में विपरीत परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। जब तक हम अपने जीवन में मूल्यों और प्राथमिकता का निर्धारण नहीं करेंगे, अपने लिए आचार संहिता नहीं बनाएंगे तब तक हम चुनौतियों का मुकाबला नहीं कर सकते।
बी के मीना बहन जी ने ब्रह्माकुमारी सस्था का परिचय दिया।
प्रिंसिपल –संजय जील जी ने कहा कि तनाव मुक्त रहना हैं तो साहसी बने, क्षमा करें और भूल जाए, किसी की भी गलती को चित्त पर लें। यह संसार परिवर्तनशील है इसलिए किसी पर यह लेबल लगाए कि ये बदल नहीं सकता।