कुंभकोणम (तमिलनाडु ): वर्तमान कि विभिन्न विपरीत परस्थियाही मन में तनाव पैदा करती है दिन-रात ऐसी अनगिनत घटनाएँ, अवस्थाएँ एवं परिस्थितियाँ सामने आती रहती हैं, जो हमारे लिए अप्रिय ही नहीं असहनीय भी होती हैं। दिन-रात हमें ऐसे सवालों और ऐसी समस्याओं से जूझना पड़ता रहता है, जिनके कारण मन की शांति भंग हो जाती है और मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है, हम परेशान या चिंतित हो उठते हैं।उक्त उदगार ब्रह्माकुमारीज माउंट आबू से पधारे हुए बी के भगवान् भाई ने कह वे इंडियन बैंक शाखा पटीस्वरूप गाव में तनाव मुक्ति सकारात्मक विचार पर प्रोग्राम बोल रहे थे |
भगवान् भाई ने बताया कि मानसिक तनाव इन दिनों जिस तेज़ी से विकराल रूप धारण करता जा रहा है, उसे देखते हुए यह नितांत आवश्यक है कि तनाव-पीड़ितों को इस रोग से मुक्त होने के उपायों की जानकारी दी जाए। । उन्होंने कहा कि उनमें से बहुत से लोग मादक पदार्थ का सेवन कर सुख-शांति प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं, जो अपने दुःखद परिणामों के कारण उन्हें और भी बुरी स्थिति में पहुँचा देते हैं। मादक औरषधियाँ तनाव दूर करने की सामायिक विधि तो हो सकती है; वे स्थायी इलाज नहीं हैं। फिर यह विधि अपने अंतिम परिणाम में पहले से भी अधिक घातक हो जाती है।
बैंक मेनेजर विजय कुमार जी ने कहा की तनावग्रस्त व्यक्ति महसूस तो ऐसा करता है कि वह केवल मानसिक रूप से परेशान है, किंतु उसकी यह मानसिक व्यग्रता धीरे-धीरे उसकी संपूर्ण शारीरिक व्यवस्था को विकृत कर देती है। कितनी ही शारीरिक बीमारियाँ केवल मानसिक तनाव, टेंशन, डिप्रेशन, अवसाद अथवा चिंता के कारण उत्पन्न हो जाती हैं। हम यहाँ एक-एक करके ऐसी शारीरिक बीमारियों का वर्णन करेंगे, जो मूल रूप से मानसिक तनाव के कारण उत्पन्न होती हैं।
बी के नागराज भाई जी ने कहा कि तनाव से मुक्ति चाहते हो तो राजयोग को अपनी दिनचर्या का अंग बना लो राजयोग से विचार शैली सकारात्मक बनेगी जीससे समस्यों का समाधान हो जायेगा और हम तनाव से मुक्ति प् सकेगे| चिंता और परेशानी से भरी यही स्थिति मानसिक तनाव कहलाती है। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवन में जैसे-जैसे जटिलताएँ बढ़ रही हैं, कठिनाइयाँ बढ़ रही हैं, समस्याएँ बढ़ रही हैं, वैसे-ही-वैसे समाज का एक बड़ा वर्ग तनाव जैसे मानसिक रोग से ग्रस्त होता जा रहा है।