ब्रह्माकुमारी संगठन के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की श्रद्धापूर्वक मनाई जा रही है 54 वीं पुण्य तिथी बड़ी संख्या में आए श्रद्धालूओं का लगा तांता। सैकड़ों की तादाद में श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं राजयोगी श्रद्धालू।
राजिम-नवापारा,छत्तीसगढ़: 18 जनवरी परमपिता परमात्मा शिव ने ब्रह्मा के माध्यम को अपनाकर उन द्वारा विश्व के कल्याण का कार्य 1936 में प्रारंभ किया ।परमपिता शिव ने प्रजापिता ब्रह्मा को अपने ही समान नीराकारी,निर्विकारी, निरहंकारी बना दिया। पिताश्री के जीवन में हमने यह तीनों ईश्वरीय गुण विशेष रूप से देखें ।परमात्मा तो सदा ही इन तीनों गुणों के स्वरूप है परंतु उन्होंने जो ज्ञान और योग सिखाया उस द्वारा प्रजापिता ब्रह्मा ने भी वे गुण धारण किए। हम सभी का यह सौभाग्य है कि हम परमात्मा के इनसूक्ष्म गुणों को पिताश्री में देखकर के प्रेरणा लें। यह विचार इंदौर से पधारे धार्मिक प्रभाग के जोनल कोऑर्डिनेटर ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने ओम शांति कॉलोनी में स्थित ब्रम्हाकुमारी सभागृह में ब्रह्माकुमारी संस्था के संस्थापक पिता श्री ब्रह्मा बाबा के चोपन वी पुण्यतिथि के अवसर पर नगर वासियों को संबोधित करते हुए बताया। इस अवसर पर मुंबई से पधारे महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद सरस्वती जी ने बताया की अगर शक्ति चाहिए तो शक्ति की जननी शांति है और शांति का आधार है मनसा पवित्रता। जितना हमारी मनसा पवित्र विचार वाली होगी उतना ही हमारे अंदर शांति का गुण आएगा और जितनी हमारे जीवन में शांति होगी उससे शक्ति पैदा होती है और शक्ति से जीवन में सामर्थ्य आता है ।कर्मों में श्रेष्ठता आती है। यही पिता श्री ब्रह्मा के प्रति श्रद्धांजलि है । सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्मा कुमारी पुष्पा बहन ने श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि ब्रह्मा बाबा का जीवन अंदर बाहर दर्पण की तरह था उनके कथनी करनी एक थी जो वह कहते थे वह अपने जीवन के स्वरूप के द्वारा करके दिखाते थे ।ब्रह्मा बाबा हमारे जीवन के आदर्श मुर्त है ।कार्यक्रम में सभी ने ब्रह्मा बाबा के शांति स्तंभ पर पुष्पांजलि दी । इसके बाद बाबा के कमरे में जाकर के त ध्यान किया और फिर इसके पश्चात सभी को प्रसाद वितरण किया गया। आज के दिन सभी राजयोगी भाई-बहन साइलेंस में रहकर परमात्मा मिलन की दिव्य अनुभूतियों में रहकर अपनी कमियों को स्वाहा कर ब्रह्मा बाबा के समान बनने की प्रेरणा लेंगे।