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कादमा: राष्ट्रीय बालिका दिवस कार्यक्रम

कादमा (हरियाणा):-सुसंस्कारित बेटियां घर का श्रृंगार जहान का दीपक होती है जो समाज को सही दिशा देकर दिव्य व श्रेष्ठ बना एकता की सूत्र में बांध सकती हैं  यह उदगार राष्ट्रीय बालिका दिवस पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की कादमा शाखा में आयोजित  नृत्य, फैंसी ड्रेस व कविता आदि प्रतियोगिताओं का शुभारंभ पर सरपंच चांदपति व ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन ने व्यक्त किए। प्रतिभागियों को  संबोधित करते हुए  सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन ने  कहा कि हमें बहुत खुशी है कि आज हर क्षेत्र में बेटियां हिस्सा लेकर आगे बढ़ रही है लेकिन आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प और निर्भीकता के साथ हर क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए। बहन वसुधा ने कहा की बेटी अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचान ले तो वह कोई भी असंभव काम को संभव कर सकती है लेकिन यह तभी होगा जब हम अपनी किताबी शिक्षा के साथ-साथ व्यवहारिक व आध्यात्मिक शिक्षा को जीवन में धारण करें तभी हम मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण हो सकते हैं जो जीवन में आगे बढ़ने में हमें मदद करेंगे।इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि  सरपंच चांदपति  ने  अभिभावकों से आग्रह करते हुए कहा कि हमें बेटा बेटी में भेदभाव नहीं करना चाहिए और कन्या भ्रूण हत्या जैसी घिनौनी घटनाओं से बचना चाहिए। आज बेटियां बेटों से कम नहीं है। उन्होंने कहा ब्रह्माकुमारी बहने सशक्त बेटियों की मिसाल है जो विभिन्न कार्यक्रमों प्रतियोगिता के द्वारा बालिकाओं में सुसंस्कारों के साथ-साथ उनका चारित्रिक और मानसिक विकास कर रही हैं। बेटियों में दया, करुणा, सहनशीलता, सरलता आदि गुण कूट-कूट के भरे हुए होते हैं ब्रह्माकुमारी संस्था में दी जाने वाली शिक्षा अध्यात्म की कसौटी पर यह गुण प्रत्यक्ष कर रही है। ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन ने बताया कि प्रतियोगिता में लगभग 38 बालिकाओं ने भाग लिया जिसमें नृत्य में सोफिया प्रथम हंसिका, हिमानी द्वितीय तथा दिव्या ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। कविता में नव्या ने प्रथम तो ममता ने द्वितीय स्थान तथा फैंसी ड्रेस में प्राची पूर्वी व ईशु प्रथम द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। सभी प्रतिभागियों को सरपंच चांदपति व ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन ने पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया और कहा कि प्रतियोगिताओं से मन की एकाग्रता के साथ हमारी सोच भी सकारात्मकता की ओर चलती है । इसके साथ ही उन्होंने बेटियों को आगाह करते हुए कहा कि अध्यात्म ही एक ऐसा सुरक्षा कवच है जिससे हम अपनी आत्मरक्षा कर सकते हैं। इसलिए अपने सब स्कूली पढ़ाई के साथ-साथ आध्यात्मिक पढाई को जीवन में अवश्य धारण करना चाहिए। तभी हम अपने घर परिवार व समाज का नाम रोशन कर सकते हैं।

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