अपने अन्दर के विकारों को खत्म कर श्रेष्ठ गुणों को धारण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना है।
अम्बिकापुर,छत्तीसगढ़: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में शिवरात्रि का पावन पर्व उमंग- उत्साह, हर्षोल्लास, गीत- संगीत व नृत्य के साथ बहुत धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ शिव ताण्डव श्लोक नृत्य और गीत से किया गया। कार्यक्रम में संत महेश मुनी जी, दुर्गा मन्दिर के व्यवस्थापक, स्वामी तन्मयानन्द जी विवेकानन्द स्कूल के डायरेक्टर, भ्राता हरिहर सिंह जी सर्वेश्वरी समूह के व्यवस्थापक, भ्राता हुकुुम सिंह जी अध्यक्ष संत केवल आश्रम, भ्राता श्री देवेन्द्र सिंह जी मुख्य ग्रंथी गुरू सिंह सभा गुरूद्वारा, भ्राता अजय तिवारी जी आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक, भ्राता मंगल पाण्डे जी समाजिक कार्यकर्ता और सरगुजा संभाग की सेवाकेन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी जी उपस्थित थ
इस शुभ अवसर पर सरगुजा संभाग की सेवाकेन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी सभी को नगरवासियों को 87 वीं महाशिवरात्रि की शुभकामनायें देते हुये कहा कि महाशिवरात्रि शिव जयन्ती का ये पावन पर्व परमात्मा के अवतरण एवं इस धरा पर आने का दिवस है और वो प्रजापिता ब्रह्मा के तन का आधार लेकर विश्व परिवर्तन का दिव्य कर्तव्य कर रहे है। वर्तमान समय विश्व पतन एवं धर्म ग्लानि का है, जहाँ हर एक मनुष्य दुःखी है और सभी के दुःख का कारण सभी मनुष्य आत्माओं के अन्दर व्याप्त पाँच विकार है, सभी मनुष्य आत्माओं के अन्दर के विकारों को मिटाने के लिये ही परमात्मा अपने वचन के अनुसार इस धरा पर आकर और परमात्म ज्ञान के द्वारा सम्पूर्ण सृष्टि का परिवर्तन करते है। और आगे उन्होंने महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुये कहा कि 1. आज के दिन को शिव पार्वती के विवाह के रूप में मनाया जाता है, जो यादगार है परमात्मा के इस धरा पर आकर सर्व सम्बन्ध निभाने की, 2. उपवास का अर्थ है स्वयं के भीतर की बुराई, मैंपन, अहंकार को सदा के लिये खत्म करना एवं सदा परमात्मा को अपने निकट रखना, 3. अक- धतूरा का अर्थ है – अपने अन्दर के दुःख एवं विकार रूपी काँटे को परमात्मा को अर्पित करना तथा रात्रि जागरण का रहस्य है- स्वयं के आत्म ज्योति सदा के लिये जगाकर सदा श्रेष्ठ कर्म करना।
स्वामी तन्मयानन्द जी विवेकानन्द स्कूल के डायरेक्टर ने शास्त्र के अनुसार पाँच क्लेशों की बात की और उन्होंने ये भी बताया कि इस क्लेशों से मुक्ति शिव को अपनाने से ही होगी।
भ्राता अजय तिवारी आर्ट ऑफलिविंग के संचालक ने शिव को सृष्टि का आधार बताते हुये कहा कि शिव को समा लेने से ही हमारे कण- कण में जो विकार है वह समाप्त हो जायेगा।
संत महेश मुनी जी, दुर्गा मन्दिर के व्यवस्थापक, भ्राता हरिहर सिंह जी सर्वेश्वरी समूह के व्यवस्थापक, भ्राता हुकुुम सिंह जी अध्यक्ष संत केवल आश्रम, भ्राता श्री देवेन्द्र सिंह जी मुख्य ग्रंथी गुरू सिंह सभा गुरूद्वारा, भ्राता मंगल पाण्डे जी समाजिक कार्यकर्ता ने महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं दी।
तत्पश्चात् परमात्म शिव के अवतरण की 87 वीं शिव जयन्ती कैण्डल लाइटिंग, केक कटिंग एवं परमात्म छत्रछाया का प्रतीक शिव ध्वजारोहण कर किया गया। और ब्रह्माकुमारी संस्था से जुडे भाई- बहनें, शिव भक्तों ने तथा शहर के अन्य नागरिकों ने शिव ध्वज के नीचे अपने अन्दर की बुराईयों को त्यागने एवं श्रेष्ठ आचरण करने की प्रतिज्ञा की।
कार्यक्रम में लगभग 500 से अधिक भाई- बहनें और शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
कुमारी सताक्षी वर्मा ने गीत गाया और कुमारी अदिति, कुमारी मणिकर्णिका कुमारी आरोही और बहन प्रज्ञा श्रीवास्तव ने नृत्य किया।
कार्यक्रम का सफल संचालन बी.के. प्रतिमा बहन ने किया।