माउंट आबू : अखिल भारतीय जूरिस्ट सम्मेलन का उद्घाटन

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ज्ञान सरोवर (माउंट आबू  ) राजस्थान:
ज्ञान सरोवर के हार्मनी   हॉल में आर इ आर एफ की भगिनी  संस्था ब्रह्माकुमारीज ज्यूरिष्ट विंग  के तत्वावधान में  एक अखिल भारतीय जूरिस्ट  सम्मेलन का दीप  प्रज्वलन द्वारा उद्घाटन किया गया।  सम्मेलन का विषय था , ” आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा न्यायविदों का उत्कर्ष “.   देश के  प्रायः हर भाग से इसमें प्रतिनिधियों ने भाग लिया।  

ब्रह्माकुमारीज़ के प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजयोगी बृज  मोहन भाई जी ने आज के सम्मेलन की अध्यक्षता की।  आपने कहा की जो हमारे पास होगा हम दुनिया को  वही दे पाएंगे।  बिना  किसी भेद भाव के हमें सभी को शुभ भावना- कामना  देनी है।  हम सभी देखते हैं की देवतायें हमेशा देने की मुद्रा में अपना  हाथ सामने रखते हैं।  देवताओं के इसी दातापन के कारण  पूरी दुनिया में उनकी पूजा होती है।  आपने  एक बादशाह की कहानी सुनाई।  उस कहानी का मूलार्थ था की देने में ही सुख मिलता है।  देनेवाल चाहे कोई राजा हो  या फ़क़ीर।  आपने पूछा की आध्यात्मिक सशक्तिकरण कौन कर सकता है ? क्या ऐसा सशक्तिकरण हो पाया ? कौन है सशक्तिकरण का सोर्स ? वह है परमात्मा।  हम सभी परमात्मा की शक्ति लेकर  अपना सशक्तिकरण करते हैं।  उन पर अपना ध्यान लगा कर बल प्राप्त करते हैं।  इस कला को सीख कर हम सभी अपना उत्कर्ष कर पाएंगे।  
ब्रह्माकुमारीज ज्यूरिष्ट विंग की चेयरपर्सन राजयोगिनी पुष्पा दीदी जी ने  ध्यानाभ्यास के बारे में दिशा निर्देश दिए और योगाभ्यास भी करवाया। कहा , सशक्तिकरण के लिए आध्यात्मिकता की अनिवार्यता है।  आध्यात्मिकता के  माध्यम से ही कोई भी अपने जीवन को मूल्यवान बना कर न्याय प्रदान कर पाएगा। 
ब्रदर  बी डी सारंगी जी ओडिसा हाई कोर्ट के जज ने मुख्य अतिथि के रूप अपनी बातें सभा के सामने रखीं।  आपने कहा कि मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि  भारत के अनेक भागों से यहां न्यायविद और एडवोकेट्स पधारे हुए हैं।  मैं कहना चाहता हूँ कि  समाजिक न्याय के लिए जुडिसियल  सिस्टम का सशक्तिकरण होना चाहिए।  मैं अनुरोध करता हूँ की न्यायविदों को समयबद्धता का पालन करना चाहिए।  तब लोगों का उनपर विश्वास बढ़ेगा।   जुडिसियल   सिस्टम सफल बनेगा। न्यायविदों  को हर प्रकार के माया और मोह से खुद को दूर रखना चाहिए।  एम्पावरमेंट की यह पहली शर्त होगी।  
ब्रह्माकुमारीज ज्यूरिष्ट विंग की नेशनल कोऑर्डिनेटर राजयोगिनी लता बहन ने पधारे हुए मेहमानों  का स्वागत किया।  आपने परम पिता परमात्मा को सुप्रीम जूरिस्ट बताया और कहा कि वह जानी जाननहार है और उनको हमारी सारी  जानकारी रहती है।  उनके आशीर्वाद से हम सशक्त बनेंगे।  
डॉक्टर रश्मि ओझा, जूरिस्ट विंग की नेशनल कोऑर्डिनेटर , मुंबई  ने आज के इस सम्मेलन का लक्ष्य  सभी के सामने रखा।  आपने अनेक उदाहरणों  के माध्यम से बताया कि  जब इंसान आध्यात्मिक रूप से सशक्त होता है तभी वह जस्टिस कर पाता है।  अन्यथा गलतियां होती रहती हैं।  सफलता के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण  जरूरी है।  
बी ईश्वरैया , पूर्व मुख्य न्यायाधीश आंध्र हाई कोर्ट ने अपने उद्गार  इस रूप में प्रकट किये।  आपने कहा कि भारत के संविधान  का लक्ष्य है सभी को सामाजिक न्याय देना।  अब जूरिस्ट्स सामाजिक  न्याय किस प्रकार से दे सकेंगे ? जब तक सभी आध्यात्मिक रूप से मजबूत नहीं होंगे ऐसा नहीं हो पायेगा।  शरीर की क्षमताएं सीमित हैं। आत्मा ही सभी कर्मेन्द्रियों को संचालित कर रही है।  अतः आत्मा को सशक्त  और जाग्रत करके ही हम संसार को सामाजिक  न्याय दे पाएंगे।  
बी डी  राठी जी पूर्व जज मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने  विशिष्ट अतिथि की भूमिका में अपने उदगार रखे। आपने कहा की पर्सनॅलिटी  का उदय ही आध्यात्मिक  उदय है।   आध्यात्मिक उदय कैसे हो ? आंतरिक  शक्तियों का जागरण कैसे हो ? जूरिस्ट्स  के पास एकाग्रता की शक्ति होती है।उसी शक्ति के आधार पर हम सही निर्णय ले पाते हैं।  एकाग्रता की शक्ति आती है परमात्मा के  साथ मन को युक्त कर देने से।    इसी का नाम है आध्यात्मिकता।  
ब्रदर पंकज घीया ने अपने उद्गार  रखें।  आपने अपनी शुभकामनाएं इन शब्दों में प्रकट कीं।  आपने कहा गुरु के बिना और आध्यात्मिकता  के बिना कुछ नहीं हो सकता है हमारे जीवन में।  पूर्व जज , कर्नाटक हाई कोर्ट  पच्चपुरे जी ने अपने विचार रखे।  आपने बताया की हम सभी को हमेशा शांत रहना चाहिए तभी हम न्यायविद  न्याय कर पाएंगे।  हमारी  मानसिकता में अगर क्रोध या अशांति ने प्रवेश किया तो न्याय नहीं हो पायेगा।  इस संस्थान से जुड़ने के बाद मैंने ३० वर्षों की अपनी कोर्ट की सेवा में जो कार्य किया , मुझे उसका संतोष है।  
भाई संदीप अग्रवाल जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। मधुर वाणी ग्रुप ने सुन्दर गीत द्वारा सभी का स्वागत  किया।  एक छोटी कन्या ने नृत्य प्रस्तुत किया।  बी के श्रद्धा बहन , जूरिस्ट विंग की मुख्यालय संयोजिका ने कार्यक्रम का संचालन किया।  

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