लखनऊ जानकीपुरम,उत्तर प्रदेश: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय जानकीपुरम लखनऊ सेवाकेंद्र ने जानकीपुरम विस्तार के सेक्टर 8 प्ले ग्राउंड में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 5 मई से 13 मई तक 9 दिवसीय हैप्पीनेस प्रोग्राम और अलविदा तनाव शिविर आयोजित किया जिसका उद्घाटन ब्रह्मा कुमारिस के लखनऊ इंचार्ज बी के राधा दीदी, क्षेत्र के पार्षद खुशबु मिश्रा और लखनऊ बार कौंसिल की अध्यक्ष मधुलिका यादव एवं क्षेत्र के प्रधान बृजेन्द्र मिश्रा के द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता बी के पूनम दीदी ने बताया की कैसे हर घर का वातावरण तनाव ग्रस्त हो गया है । हर परिस्थितियों में खुश रहने का स्वभाव आज की दुनिया में बनाना ही होगा। क्योंकि दिनोदिन परिस्थितियाँ बढ़नी है पर आप अपने को समर्थ बना लें आप बारिस को नहीं रोक सकते पर छाता व रेनकोट इस्तेमाल कर सकते है।सारे रास्तों पर कालीन नहीं बिछा सकते पर जूते व चप्पल पहन कर कंकड़ व कांटों से स्वयं को बचाया जा सकता है। दूसरी बात परिस्थितियाँ सदा एक जैसी नही रहती, सदा भी नही रहेगी जिस तरह से आयी थी उसी तरह एक दिन चली जायेगी। समय अनवरत रूप से चलता रहता है तो उसका घटनाक्रम भी बदलता रहता है। बदलती परिवेश में कुछ भी स्थाई नहीं है इस सत्यता को जानने से सदा खुश व तनाव मुक्त रह सकते है। हर ताले का एक चाभी जरूर होती है उसी प्रकार हर समस्या का समाधान है अवष्य होता है बस षांति के साथ थोड़ा धीरज रखकर हल खोंजें। समस्याओं से न घबराये न किसी को घबराने दें, अपनी स्थिति को न बिगड़ ने दें परिस्थिति तो हल ही हो जायेगी, सुखी जीवन जिये सुखमय परिवार बनायें। जैसे प्रतिदिन हम शरीर को सुदृढ़ व स्वस्थ रखने के लिए भोजन करते है। वैसे ही संगीत भी मन को सुकून देकर एक प्रकार से भोजन का ही कार्य करता है। संगीत हमारी ऊर्जा को बढ़ाकर हमारी कार्यक्षमता को बढ़ाता है और मन को खुशी प्रदान कर उसे हल्का रखकर तनाव से बचाता है। संगीत तो प्रकृति के पेड़-पौधों पर भी प्रयोग करके देख गया है अपनी दिनचर्या में प्रतिदिन अगर थोड़ा सा भी समय अगर संगीत को दे और तनाव की स्थिति में भी अगर हम सुमधुर संगीत का रखकर अगर हम करें तो भी तनाव की मुक्ति किसी सकती है। तनाव के कारण स्वभाव में नीरसता व उदासी, चिड़चिड़ापन आ जाने से अत्यन्त भावुकता आ जाती है। बात-बात में रोना, गुस्सा, नफरत घृणा, ईर्ष्या स्वभाव ही बन जाता है। कई बार तो जोश में आकर ही बड़े से बड़ा अपना ही नुकसान कर लेते है। जिससे तनाव मन दोनों का बैलेंस बिगड़ सकता है। इस सारी बातों का अगर कही-कही अवलोकन न किया जाये तो तनाव से पनप रही अत्यन्त घातक स्थिति का पता चलता है।
9 दिवसीय शिविर में हर रोज अलग अलग उत्सवों मनाया गया जैसे की चिंता रहित जीवन शैली, खुशियों का उत्सव, अलौकिक जन्म उत्सव , आनंद उत्सव गुडबाय टेंशन उत्सव आदि। शिविर में हर रोज स्पीरिचुअल इंजेक्शन के रूप में ब्लेसिंग कार्ड्स दिए जाते थे। इस शिविर से लगभग 2500 लोग लाभान्वित हुये और 200 लोग राजयोग का एडवांस कोर्स कर रहे है।