उज्जैन: शिव धाम में ‘अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस’ मानवता के लिए (वसुदेव कुटुंबकम) थीम पर 18 जून को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

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उज्जैन,मध्य प्रदेश।- वेद नगर स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्याल के शिव धाम में ‘अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस’ मानवता के लिए( वसुदेव कुटुंबकम) थीम पर 18 जून को* बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । इस कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन करके किया गया। जिसमें महामंडलेश्वर बाल योगी उमेश नाथ जी ,राजयोगिनी उषा दीदी जी ,ब्रह्मा कुमारी मंजू दीदी, रूपांतरण संस्था के योग गुरु, डॉक्टर सोनी पतंजलि योग, बिंदु सिंह पवार यूनिवर्सिटी योगा प्रोफेसर ,एल आई सी के चीफ मैनेजर दीपक विजयवर्गीय जी, शिवोहम योगा संस्थान से मंजुला व्यास जी, आदि शामिल हुए । *इंटरनेशनल योगा प्लेयर कुमारी अदिति ने* आर्टिस्टिक योग की प्रस्तुति दी।                            
बाल योगी उमेश नाथ जी योग के बारे में बताते हुए कहते हैं कि योगा कर्मसु कौशलम योग को सभी अपने जीवन में धारण अवश्य करें सारे योग प्राणायाम करना तो संभव नहीं लेकिन कम से कम विषम परिस्थितियों वाले समय में स्वास्थ्य के साथ-साथ मन को शांति प्राप्त कराने वाली योग करने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि आज सभी व्यक्ति शांति की तलाश में है ।ज्ञान से बड़ा ध्यान होता है तथा आपने ब्रह्माकुमारी संस्था की सराहना करते हुए कहा यह संस्था बहुत ही अच्छा कार्य कर रही है। जिस प्रकार से अन्य संस्था योग के लिए प्रयास कर रही है उसी प्रकार   ब्रह्माकुमारी संस्था में भी योग के आधार पर समस्त प्रक्रियाएं चलाई जाती है । *राजयोगिनी उषा दीदी जी* ने बताया कि वर्तमान समय योग की आवश्यकता है तन को स्वस्थ रखने के लिए योग जरूरी है। अध्यात्म में योग माना आत्मा का परमात्मा के संबंध मिलन ही योग है तन के स्वास्थ्य के साथ-साथ आत्मिक स्वास्थ्य होना आवश्यक है आत्मा मन बुद्धि संस्कार सहित है। तन के लिए तो सभी जागरूक हैं ।लेकिन मनोरोग बढ़ता जा रहा है। क्योंकि आत्मा में बल समाप्त हो रहा है। परंतु राजयोग जो ब्रह्माकुमारी संस्था में सीख लाया जाता है वह यही बताते हैं कि आत्मबल को कैसे बढ़ाएं ,स्व चिंतन, सकारात्मक चिंतन कैसे करें ,और नकारात्मकता खत्म करके सकारात्मकता कैसे पैदा करें । *रूपांतरण योगा गुरु जी ने कहा* कि भक्ति योग, ज्ञान योग, कर्म योग, जब इन सब का समायोजन हुआ। उसे ही राजयोग कहा जाता है अतः इसका अभ्यास सभी को करना चाहिए। *डॉक्टर सोनी पतंजलि योगा जी* ने कहा कि योगा का शाब्दिक अर्थ है जोड़ना योग माना तन से मन और मन से आत्मा का मिलन फिर आत्मा से परमात्मा का मिलन यही योग की युक्ति है अष्टांग योग में आठ अंग बताते हैं।
 यम सत्य का पालन करना अहिंसा हिंसात्मक गतिविधियों से दूर रहना। ब्रह्मचर्य अपनी इंद्रियों को वश में रखना। अपरिग्रह जो प्राप्त है वही पर्याप्त है आदि आदि। *यूनिवर्सिटी योगा प्रोफेसर बिंदु पवार* ने कहा कि हम अपने जीवन में सारे आसन प्राणायाम तो शामिल नहीं कर सकते। लेकिन छोटी-छोटी चीजें हैं। जिस पर ध्यान दे तो  तन और मन दोनों स्वस्थ रह सकता है। जैसे जब हम बैठते हैं तो अपने रीड की हड्डी को सीधा करके बैठे आपने हमें अनेक प्राणायाम को सही तरीके से करने की जानकारी दी । *शिवोहम योग संस्थान श्रीमान जिला व्यास जी* ने कहा कि अगर आपने अपनी सांसो को साध लिया तो आपने अपने मन को भी साध लिया। योग ईश्वर तक पहुंचने का रास्ता है। ब्रह्माकुमारी संस्था यही कार्य कर रही है। *एल आई सी के चीफ मैनेजर दीपक विजयवर्गीय जी* ने कहा कि मन शरीर और आत्मा का मिलन ही योग है योग करें स्वस्थ रहें । *शैलेंद्र भट्ट जी* ने संगीत के माध्यम से योग करने के लिए गणमान्य को जागृत किया। *ब्रह्माकुमारी मंजू दी जी* ने कुशल संचालन किया।

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