अलीराजपुर: ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका जगदंबा सरस्वती को श्रद्धांजलि

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अलीराजपुर,मध्य प्रदेश। इस विराट सृष्टि नाटक में कभी-कभी ऐसे दृश्य उपस्थित होते हैं जो सभी के मन को विचलित कर देते हैं। इस धरा पर ऐसी आत्माएं अवतार लेती है जिससे वर्तमान समय कलयुग तमो प्रधान सृष्टि पुनः सतो प्रधान  सृष्टि बन जाती है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका जगदंबा सरस्वती जो होवनहार विश्व महारानी लक्ष्मी थी, जिसकी सारा जगत दुर्गा,  सरस्वती के रूप में पूजा करते थे। वह आत्मा इस धरा पर अवतरित होकर एक महान कार्य करके जगत को संदेश देकर अपने कर्तव्य पथ पर चलकर 24 जून 1965 को अव्यक्त हो गई । इस विश्व परिवर्तन के कार्य में कितने विरोधी लोग आए संस्था की ग्लानी की, संस्था को बुरा भला कहा, बहनों के ऊपर बंधन डाले लेकिन मम्मा के सामने जब आते थे तो झुक जाते थे। वह यह मान जाते थे कि यह तपस्विनी है, योगिनी है, साक्षात देवी है । जिसे हम मां जगदंबा सरस्वती के नाम से पुकारते थे। वह जगत की अंबा सरस्वती जिसको भक्त जन्म जन्मांतर याद करते हैं जिसको विद्या की देवी मान कर उनसे विद्या मांगते हैं, शीतलता के लिए शितला देवी के रूप में उसका गायन करते हैं। संतोषी माता की गोद में उसने हमारे सब पापों को हर लिया। मम्मा सदा कहती थी कि स्वयं को देखो दूसरे को नहीं ।हमसे कोई गलती भी हो जाती है तो हम दूसरे को ही दोषी ठहराते हैं उसने यह कहा इसलिए मुझे क्रोध आ गया, परंतु मम्मा कहती थी कि नहीं सदा अपने को देखो। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने मां जगदंबा सरस्वती की 58 वी पुण्यतिथि के अवसर पर दीपक की चौकी पर स्थित ब्रम्हाकुमारी के सभागृह  में आए हुए नगर वासियों को व ब्रह्माकुमार कुमारियों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्मा कुमारी माधुरी बहन ने बताया  मम्मा की मनसा सभी के प्रति सदा शुभचिंतक वाली रही, उनके मन में कभी यह ख्याल नहीं आया कि यह तो सुधरेगा ही नहीं। भल संगठन में वैरायटी संस्कार वाले बच्चे थे। उनके वैरायटी संस्कारों को समझ उनसे मदद ली। उन्हें सहयोगी बनाया। जितना हद में वह चल सके उतना उन्हें चलाया। कभी नाउम्मीद नहीं हुई। ऐसे हर एक के संस्कारों को, उनकी विशेषताओं को परखकर उन्हें सहयोगी बनाना है। इस अवसर पर समाजसेवी रतनलाल राही ने बताया कोई तन से मददगार बनेगा, कोई मन से, तो कोई धन से। एम यही रखना है कि सबका कल्याण हो। विश्व कल्याण की भावना से अपने जीवन को सफल करना है । ब्रम्हाकुमारी प्रमिला बहन ने बताया कि मम्मा हमेशा हर एक के अंदर विशेषताओं कोई देखती थी ।कभी भी किसी के अवगुण चित् में नहीं रखे जिससे इतना बड़ा विशाल संगठन एकमत वाला बना पाई है। कार्यक्रम के अंत में समाजसेवी अरुण गहलोत ने बताया मम्मा हमेशा गुन ग्राह दृष्टि वाली थी। सभी की विशेषताओं का वर्णन करती थी। कोई कैसा भी कमजोर अवगुण संस्कार वाला था  उनका विशेषताओं का वर्णन करके देवता बना दिया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने मम्मा के छायाचित्र पर श्रद्धांजलि के स्वरूप पुष्पमाला अर्पित की और सभी को भोग वितरित किया गया।

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