मोर्शी : मनुष्य विकोरो के वश होने से भूले करता है – भगवान भाई

0
126

मोर्शी (महाराष्ट्र):

एक दुसरे से बदला लेने के बजाए स्वयं को बदलना है बदला लेने से समस्या और ही बद जाती है  | विकार मानव  के दुश्मन है |हमारे जीवन से काम ,क्रोध,लोभ , मोह अहंकार, इर्ष्या, नफरत आदि बुराई  को अपने जीवन से खदेड़कर हमें अपने आंतरिक बुराईयों को निकालना हैं इन विकारो के कारण हमारे भूले हुए है | उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से आये हुए  ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे | वे खुले जेल कारागृह में  कैदियों को कर्म गति और व्यवहार शुद्धि विषय पर बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि कारागृह के इस एकांत स्थान पर बैठकर स्वयं को परिवर्तन करनेके लिए सोचों कि मैं इस संसार में क्यों आया हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या हैं, मुझे परमात्मा ने किस उद्देश्य से यहां भेजा है? मैं यहां आकर क्या कर रहा हूं। ऐसी बातों का चिंतन करने से संस्कार, व्यवहार परिवर्तन होगा। उन्होंने कहा कि यह कारागृह आपके जीवन को सुधार लाने हेतु तपोस्थल है।

उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल होता है। उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ ऐसा ही नहीं गंवाना चाहिए। मजबूरी को परीक्षा समझकर उसे धैर्यता और सहनशीलता से पार करना हैं, तो अनेक दुख और धोखे से बच सकते हैं। जीवन में परिवर्तन लाकर श्रेष्ठ चरित्रवान बनने का लक्ष्य रखना है। तब कारागार आपके लिए सुधारगृह साबित होगा। अंहमारे जीवन से काम ,क्रोध,लोभ ,मोह अहंकार, इर्ष्या, नफरत आदि बुराई  को अपने जीवन से खदेड़कर हमें अपने आंतरिक बुराईयों को निकालना हैं। 

यदि आप किसी व्यक्ति से अच्छा व्यवहार चाहते हैं और उसे बदलना चाहते हैं, तो उसे दुआएं दो उसके प्रति अच्छा सोचें, तो वह भी आपको दुआ देगा। यदि आपके अन्दर किसी के प्रति नफरत है और आप उसके प्रति बुरा चाहते हैं तो वह आदमी भी आपके बारे में बुरा सोचेगा तथा आपसे नफरत करेगा। जो दूसरों को दुख देता है उसे कभी सुख नही मिलता तथा जो दुसरों को सुख देता है उसे सदैव सुख मिलता है। उन्होंने बन्दियों को बताया कि बीती बात को भुला देना चाहिए तथा आगे की सोचनी चाहिए कि हे परमात्मा मेरे से कोई बुरा कार्य न हो। गलती करने वाले से माफ  करने वाला बडा होता है। बदला लेने वाला दूसरों को दुख देने से पहले अपने आप को दुख देता है। सभी इंसान ईश्वर की संतान है तथा सभी एक महान आत्मा है, सभी संसार में अपना-अपना कर्तव्य करने के लिए आते हैं। अत: प्रत्येक व्यक्ति को यही सोचना चाहिए कि मुझे अच्छे कर्म करने के लिए संसार में जन्म लिया है, न कि बुरे कर्म करने के लिए। अत: हमें सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए।

जेल  अधीक्षक-ज्ञानेश्वर खरात ने भी अपने सम्बोधन में बन्दियों को बताया कि आप जैसा सोचोगे वैसा ही बन जाओगे। अत: हमें सदैव अच्छा सोचना चाहिए तथा बुरी आदत को छोड़ देना चाहिए। उन्होंने बताया कि बताई बातों को अपने जीवन में प्रयोग करोगे तो अवश्य ही आप बुरी आदतों को छोड दोगे तथा अपने आप अच्छा सोचने लगेंगे और जेल से छुटने के बाद अच्छे नागरिक की तरह जीवन यापन करेंगे।  अंत में उन्होंने ब्रह्माकुमारीज सस्था ऐसे कार्यक्रमों के लिए   धन्यवाद किया भविष्य में ऐसे कार्यक्रम करने हेतु ब्रह्माकुमारी को निमन्त्रण भी दिया

बी के पारी बहन जी ने माउंट आबू से आये हुए बी के भगवान भाई का परिचय देते हुए कहा की भगवान् भाई जी ने भारत के 1००० से भी अधिक जेलों में जाकर और  9००० से भी अधिक स्कुलो जाकर आपराध   मुक्त बनने  का पाठ पढ़कर इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके है |

जेलर -उत्तरेश्वर गायकवाड जी ने  कहा की ब्रह्माकुमारी द्वारा  बताई बातों को अपने जीवन में प्रयोग करोगे तो अवश्य ही आप बुरी आदतों को छोड दोगे तथा अपने आप अच्छा सोचने लगेंगे और जेल से छुटने के बाद अच्छे नागरिक की तरह जीवन यापन करेंगे। 

कार्यक्रम में बी के जया बहन जी,जेल स्टाफ भी उपस्थित था |

बी के भगवान् भी द्वारा ईश्वरीय भेंट और सभी को प्रसाद भी वितरण कराया | कुछ साहित्य भी कैदियों को दिया |

कार्यक्रम के अंत बी के भगवान भाई ने सभी कैदी बंधुओ को मेडीटेशन भी कराया |

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें