अलीराजपुर ,मध्य प्रदेश। विचार करे संसार से मिलने वाली खुशी ज्यादा देर टिकने वाली नही है क्योकि संसार ही टिकने वाला नही है। संसार हर पल बदल रहा है तो उस बदलने वाले संसार से मिली हुई खुशी कैसे स्थिर रह सकती है।संसार से मिलने वाली खुशी जितनी ज्यादा होगी उस खुशी मे दुख की सम्भावना भी उतनी ही ज्यादा होगी।जो खुशी बिना कारण अंदर से आती है आपके अस्तित्व से आपके होने से आती है वो खुशी सदा सर्वदा है और कभी जाने वाली नही है! ये बिल्कुल आपके श्वांस के साथ हर पल रहेगी ! इस खुशी की अनुभूति तब होगी जब आपके विचार आपका ध्यान बाहरी वस्तुओ से विचारो से हटेगा, जब आप स्वस्थ होंगे स्वयम् में स्थित होंगें, जब आपके हृदय रूपी सरोवर में विचारो की तरंगे शांत होंगी। संसार की सबसे मूल्यवान चीज है तो खुशी। खुशी है तो जहान है खुशी नहीं तो सब कुछ होते हुए भी बेकार है ।सच्ची खुशी का आधार श्रेष्ठ चिंतन, शुद्ध विचार ,सकारात्मक चिंतन है। सकारात्मक चिंतन का आधार श्रेष्ठ ज्ञान ,ईश्वरीय ज्ञान है । जिनका मन एनर्जेटिक सकारात्मक है उन्हें विद्यार्थी का मन एकाग्र शांत चित्त रह सकता है ,वह एक अच्छी सफलता को प्राप्त कर सकता है । खुशी से हमारा मस्तिष्क शक्तिशाली रहता है एक अच्छी एकाग्रता के लिए मस्तिष्क का शक्तिशाली होना आवश्यक है मेडिटेशन हमारे मस्तिष्क को शक्तिशाली भी बनाता है और एकाग्र चित भी। खुशी के विचार हमारे स्वास्थ्य ,तंदुरुस्ती एवं खेल के लिए आवश्यक है ।यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला की प्रणेता ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर स्थानीय विवेकानंद विद्यापीठ सीबीएसई स्कूल में भारत सरकार युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के सहयोग से स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती एवं खेल युवा के लिए एजेंडा ब्रह्मा कुमारीज को साथ लेकर अखिल भारतीय स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत युवाओं को स्वस्थ, तंदुरुस्त एवं खेल के प्रति जागरूक कर उन्हें सशक्त बनाने एवं उनकी आवाज को पूरे विश्व तक पहुंचना है। इस अवसर पर ब्रम्हाकुमारी ज्योति बहन ने बताया कि आप भौतिक शरीर नहीं बल्कि इस भौतिक शरीर को चलाने वाली चैतन्य आत्मा है, जब यह ज्ञान स्वयं को हो जाता है तो जीवन में अविनाशी खुशी स्वत ही बनी रहती है। इस सत्य विचार से मन में खुशी एकाग्रता स्वत बनी रहती है । समाजसेवी अरुण गहलोत ने बताया कि संपूर्ण जिले में युवाओं को व्यसन मुक्त करने के लिए सभी शैक्षणिक संस्थानों में यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक किया जा रहा है। अनेक छात्र छात्राओं ने प्रतिज्ञा कर अपने जीवन को निर्व्यसन मुक्त बनाने का दृढ़ संकल्प किया। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय प्राध्यापक आलोक गोयल ने करते हुए बताया विद्यार्थी जीवन में एकाग्रता का बड़ा महत्व है एकाग्रता एक अच्छे योग अभ्यास से आती है ।पढ़ाई के साथ साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी जरूरी है जो हमें डर ,भय, चिंता से मुक्त कर मन को शक्तिशाली बनाती है ।कार्यक्रम के अंत में ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने सभी बच्चों से हाथ खड़ा करा कर व्यसन मुक्त जीवन जीने की प्रतिज्ञा कराई और उनको प्रेरणा दी।
मुख पृष्ठ आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अलीराजपुर: 20 के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर आयोजित विवेकानंद स्कूल में...