आबू रोड , राजस्थान। दादी प्रकाशमणि जी के व्यक्तित्व की अमिट छाप सदा ही हमारे दिलों पर छपी रहेंगी । वे लोग किसी महान भाग्यशाली आत्माओं से कम नहीं हैं जिन्होंने दादी के आध्यात्मिक ओज युक्त सूरत को देखा हैं और जिन्हें उनके के साथ का अनुभव प्राप्त हुआ हैं इन्ही महान आत्माओं ने उनके साथ बिताये पलों की यादों को “बुद्धि की तिजोरी” में बड़े ही प्यार से संजोकर रखा हैं I एक तरफ वे पिताश्री ब्रह्मा बाबा के बाद सभी ब्राह्मणों के लिए आदर्श थीं तो दूसरी तरफ मम्मा की शिक्षाओं का मिसाल और साथ ही एक सच्ची रत्न भी जिनमें सभी आदि रत्नों के सभी गुण समाहित थे । शायद यही वह वजह है कि उनके अव्यक्तारोहण के 16 साल बाद भी उनकी प्रासंगिकता सतत बढ़ती जा रही है और सभी को ऐसा ही महसूस होता है कि वे सदा ही हमारे साथ हैं।
गॉडलीवुड स्टूडियो 25 अगस्त को उनके 16वें स्मृति दिवस पर बंगाली विभाग द्वारा बनाए गए एक खूबसूरत गीत “तुम तो तब भी साथ थे..” के माध्यम से दादी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। आइए हम उनके दिव्य गुणों को आत्मसात कर और दृढ़ संकल्प से उनके स्मृति को मन में जीवंत कर उनकी प्यार भरी पालना का रिटर्न दे।
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