आबू रोड: राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि की 16 वीं पुण्यतिथि

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देशभर से पहुंचे 18 हजार लोगों ने अर्पित की दादी को पुष्पांजली
– विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई गई राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि की 16वीं पुण्यतिथि
– अलसुबह से लेकर रात तक चलता रहा साधना का दौर

आबू रोड (राजस्थान)।
 ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि को श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए देशभर से 18 हजार लोग पहुंचे। लोगों ने लाइन में लगकर दादी को अपनी भावभीनी पुष्पांजली अर्पित की।
सुबह 8 बजे सबसे पहले मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, महासचिव राजयोगी बीके निर्वैर भाई, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी सहित वरिष्ठ बीके भाई-बहनों ने प्रकाश स्तंभ पर पहुंचकर पुष्पांजली अर्पित की। इसके बाद लाइन में लगकर लोगों ने दादी को याद करते हुए नमन किया। दादी की 16वीं पुण्यतिथि शुक्रवार को भारत सहित विश्व के 137 देशों में विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई गई। संस्थान के आठ हजार सेवाकेंद्रों पर दादी के जीवन चरित्रों को याद करते हुए ब्रह्माभोजन का आयोजन किया गया।
डायमंड हाल में आयोजित विश्व बंधुत्व कार्यक्रम में मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि दादीजी के साथ बालपन से ही अंग-संग रहने का मौका मिला। दादीजी इतना आज्ञाकारी थीं कि बाबा का कहना और दादीजी का करना। दादी सदा विश्व कल्याण के प्रति सोचती थीं। उनके मन में सदा एक ही चिंतन चलता था कि मेरे देश-दुनिया के भाई-बहनों को सुख-शांति का संदेश, परमात्मा का संदेश, राजयोग का संदेश कैसे पहुंचाएं।

दादीजी में क्षमताओं को देखते हुए बाबा ने बागडोर सौंपी-
महासचिव राजयोगी बीके निर्वैर भाई ने कहा कि दादीजी में अद्भुत क्षमताओं को देखते हुए ब्रह्मा बाबा ने उन्हें इस विश्व विद्यालय की बागडोर संभाली। बाबा ने दादीजी से जो अपेक्षा रखी वह उस पर उम्मीद से अधिक खरी उतरीं। लाखों लोगों को एक साथ लेकर चलना और सभी को संतुष्ट करना यह दादीजी ही कर सकती थीं। संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि मुझे दादी के अंग-संग वर्षों तक  साथ रहकर सेवा करने का मौका मिला। दादीजी से जो सीखा है उसे सेवा में यूज करती हूं।  उनकी समझानी, शिक्षाएं आज भी हमारा मार्गदर्शन करती हैं। ज्ञान सरोवर की निदेशिका व संयुक्त मुख्य प्रशासिका डॉ. निर्मला दीदी ने कहा कि दादी ने ही मुझे लंदन में सेवा के लिए भेजा। पत्र के माध्यम से दादी को सेवा का समाचार भेजते थे।

दादियों की मेहनत की बदौलत आज विद्यालय इस मुकाम पर है-
कार्यक्रम में प्रयागराज से पधारीं धार्मिक प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्षा राजयोगिनी मनोरमा दीदी ने दादीजी के साथ के अनुभव बताते हुए कहा कि दादी सुनातीं थीं कि एक रुपये में दस लोग भोजन करते थे। जब कोई ब्रह्माकुमारीज़ को जानता नहीं था तब दादियों ने देश के कोने-कोने में जाकर परमात्मा का ज्ञान दिया। दादियां बालु में बैठकर ज्ञान सुनाती थीं। उस दौर में उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में लोगों को अध्यात्म का संदेश दिया। अथक मेहनत, त्याग, समर्पण भाव और परमात्मा के प्रति अटूट प्रेम का ही परिणाम है कि आज यह विश्व विद्यालय इस मुकाम पर है। दादी सभी संत-महात्माओं का बहुत सम्मान करतीं थीं। इस मौके पर मीडिया निदेशक बीके करुणा भाई, कार्यकारी सचिव बीके डॉ. मृत्युंजय भाई, मीडिया विंग के उपाध्यक्ष बीके आत्म प्रकाश भाई, बीके गीता दीदी, बीके प्रकाश भाई सहित देशभर से आए लोग मौजूद रहे। मधुरवाणी ग्रुप ने गीत प्रस्तुत किया।    

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