शांति पत्रकारिता से विश्व में आएगी शांति और सद्भाव
– पांच दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन में देशभर से पहुंचे 1500 पत्रकार
– वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए सशक्त मीडिया विषय पर आयोजन
– सुबह- शाम दो सत्रों में 12 सितंबर तक चलेगा सम्मेलन
आबू रोड (राजस्थान)। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के शांतिवन परिसर में आयोजित राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन में देशभर से 1500 से अधिक पत्रकार भाग लेने पहुंचे हैं। इसमें प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया, वेब, रेडियो से जुड़े विभिन्न समाचार पत्रों, टीवी चैनल के संपादक, ब्यूरो चीफ, संवाददाता और रिपोर्टर भाग ले रहे हैं। वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए सशक्त मीडिया विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में सुबह- शाम दो सत्रों में वक्तागण विचार मंथन-चिंतन करेंगे। समापन 12 सितंबर को आयोजित किया जाएगा।
आईआईएमसी नई दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान समाज के 20 अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य कर रहा है। संस्था सर्व समाज के उत्थान, कल्याण और उत्थान के लिए कार्य कर ही है। आत्म सुधार से ही जन सुधार की प्रक्रिया शुरू होती है। पहले हमें अपने में सुधार करना होगा। आज जिस क्षेत्र में हैं, जो आपका कर्तव्य है उसे सही रीति से करना और कर्तव्य बोध के जागरण, आत्म सुधार के लिए ऐसे सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। सारी दुनिया में हिंदुस्तान को यदि आदर्श रूप में देखा जाता है तो उसका कारण है हमारी संस्कृति और मूल्य। आज हमें पत्रकारिता में सकारात्मक और मूल्य निष्ठ पत्रकारिता की आवश्यकता है। पत्रकारिता में मूल्य होंगे तो समाज भी मूल्यवान बनेगा। जब हम नैतिक बनेंगे तो संस्कृति और मूल्यों पर खड़े रहेंगे। मीडिया की शिक्षा आत्मनिर्भरता की शिक्षा है। मीडियाकर्मी कभी सेवानिवृत्त नहीं होते क्योंकि वह विचार की यात्रा पर होते हैं। हम सर्व भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया को लेकर चलने वाले हैं। ब्रह्माकुमारीज़ में मनुष्य बनने की यात्रा पर ले जाया जाता है। आज सभी को राजयोग अपनाने की जरूरत है।
शुभारंभ पर उप्र के बुलंदशहर से आए भाजपा अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और सांसद डॉ. भोला सिंह ने कहा कि मैं 15 साल से ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़ा हूं। यहां आकर जो शांति की अनुभूति होती है वह बाहर की दुनिया में नहीं मिलती है। हम जैसा सोचते हैं, विचार करते हैं, वैसे बनते जाते हैं। यदि हमारे विचारों में शांति है तो हम वैसा ही बोलते हैं। सभी मीडियाकर्मियों से अनुरोध है कि अपने विचारों को सकारात्मक और सशक्त बनाने के लिए जीवन में अध्यात्म और राजयोग अपनाना बहुत जरूरी है। आज समाज को आध्यात्मिक ज्ञान की बहुत आवश्यकता है।
आज विश्व में शांति पत्रकारिता की जरूरत-
छग रायपुर से आए कुशाभाऊ ठाकरे जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. डॉ. मानसिंह परमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति बहुत समृद्ध रही है। हम वसुधैव कुटुम्बकम् की सोच और चिंतन वाले हैं। जब तक एक धरा, एक विश्व और एक परिवार का नारा तभी साकार होगा जब हम शांति की ओर बढ़ेंगे। आज विश्व में शांति पत्रकारिता की जरूरत है। कुछ समाचार पत्र सप्ताह में एक दिन सिर्फ सकारात्मक खबरें ही छापते हैं, यह बदलाव आज समाज में आने लगे हैं। ऐसे बदलावों के लिए ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान का बड़ा योगदान है। जब मीडियाकर्मी सशक्त होंगे तो समाज सशक्त होगा। आज जो पत्रकारिता का स्वरूप है उस पर चिंतन करने की जरूरत है। हमारी पत्रकारिता लोक कल्याण, राष्ट्रीय एकता और अखंडता से ओतप्रोत हो।
सभी एक ईश्वर की संतान हैं-
महासचिव राजयोगी बीके निर्वैर भाई ने कहा कि मेरा मीडिया के भाई-बहनों से अनुरोध है कि विश्व को अपनी कलम से, रिपोर्टिंग से अच्छाई को बढ़ावा दें। परमात्मा ने हम सबको इस धरा पर अच्छा पार्ट बजाने के लिए भेजा है। इसलिए आप सभी आपके पास जो पावर है उसका उपयोग समाज कल्याण, विश्व शांति के लिए करें। संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी डॉ. निर्मला दीदी ने कहा कि हम सभी आत्मिक रूप से भाई-भाई हैं। सभी एक ईश्वर की संतान हैं। आज हम सभी सुख-शांति चाहते हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम आपस में भ्रातत्व की भावना रखें।
यहां पढ़ाया जाता है आत्मा का पाठ-
मीडिया निदेशक राजयोगी बीके करुणा भाई ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ में एक गुरुकुल शिक्षा के रूप में शिक्षा दी जाती है। यहां के ज्ञान से मैंने पहली बार पाठ सीखा कि हम सभी आत्माएं हैं। इसके बाद मेरी सोच बदल गई। संस्था यही संदेश पूरे विश्व में देने के लिए समर्पित है कि हम सभी एक चैतन्य आत्मा हैं और परमपिता परमात्मा की संतान हैं। सर्व आत्माओं के पिता, परमपिता, परमेश्वर शिव ही हैं, जिन्हें सभी धर्मों में किसी न किसी रूप में माना जाता है। ईश्वर एक है। राजयोग मेडिटेशन यहां की मुख्य शिक्षा है। गुजरात वलसाड से आईं बीके रंजन बहन ने राजयोग मेडिटेशन की गहन अनुभूति कराते हुए कहा कि मैं आत्मा सर्व शक्तिमान की संतान… परम पवित्र, शांत स्वरूप आत्मा हूं। परमात्मा की छत्रछाया में प्रेम, शक्ति, आनंद का अनुभव कर रही हूं।