बीमारियों को आमंत्रित करते हैं नकारात्मक संकल्प
चिकित्सक सम्मेलन का स्वागत सत्र
माउंट आबू, राजस्थान। 8 सितम्बर।
अंतर्राष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर, अवेकनिंग विद् ब्रह्माकुमारीज़ फेम राजयोगिनी बीके शिवानी बहन ने कहा कि अधिकतर व्याधियों की उत्पति मानव अपने कमजोर मन से करता है। नकारात्मक संकल्प बीमारियों को आमंत्रित करते हैं। सकारात्मक सोच व दृष्टिकोण से मन में अलौकिक ऊर्जा की रचना बढ़ती है। यह बात उन्होंने शुक्रवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में संगठन के चिकित्सा सेवा प्रभाग द्वारा माइंड, बॉडी, मेडिसन विषय पर आयोजित सम्मेलन के स्वागत सत्र में भारत व नेपाल से आए चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इस संसार के विचारों की दुनिया से परे निर्विचार की दुनिया की अनुभूति करने से कर्मक्षेत्र के हर कर्म यथार्थ होने लगेंगे। आध्यात्मिक विचारों के आकाश में उड़ान भरने से अद्भुत परमात्म शक्तियों की वर्षा होने से मन का मैल धुलने लगेगी। वसुधैव कुटुम्बकम की इच्छाओं को मन में स्थान देने से विश्वकल्याण की भावनाओं को मूर्तरूप दिया जा सकता है। मन को कलुषित करने वाले आदतें व संस्कारों के प्रभाव से शारीरिक व्याधियों को बल मिलता है। इसलिए मन को उन आदतों से किनारा करने के लिए ईश्वरीय चिन्तन की नई आदतों को प्राथमिकता देनी होगी।
मौन से प्रकट होता है सत्य
मोटिवेशनल स्पीकर शिवानी ने कहा कि जीवन में सत्य की खोज केवल किताबी ज्ञान से ही संभव नहीं है। इसके लिए मन को व्यर्थ विचारों के मौन की आवश्यकता है। अपने मन में मौन के संकल्पों को स्थान देने से अदभुत अलौकिक शक्ति का अवतरण होगा। आत्म-अनुभूति करना ही धर्म की वास्तविक परिभाषा है। देह के धर्मों में स्थित होकर सत्य को नहीं खोजा जा सकता है। मुंबई से आए नशामुक्ति विशेषज्ञ डॉ. सचिन परब ने कहा कि सुप्रीम सर्जन परमात्मा शक्तियों की अनुभूति करने को मन को अध्यात्मिक विचारों की दुनिया में जीने की परिपाटी बनानी होगी।इस मौके पर वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षक बीके सूर्या, मुंबई से आए मनोचिकित्सक डॉ. गिरीश पटेल, वारंगल से आये रोटरी प्रांतपाल डॉ. चंद्रशेखर आर्य, डॉ. वाई. पदमा आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
सम्मेलन में होगी चिकित्सकों की चर्चा
माइंड, बॉडी, मेडिसन विषय पर चार दिन तक चलने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में देश विदेशों से पांच सौ से अधिक चिकित्सा विशेषज्ञ भाग ले रहे हैें। जो सम्मेलन के दौरान विभिन्न सत्रों में चिकित्सा जगत से संबंधित विभिन्न विषयों पर वर्तमान परिवेश में बढ़ती बीमारियों पर अंकुश लगाने को लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे।
मेडिसन का कार्य करता है मेडिटेशन – डॉ. अग्रवाल
तीन दिवसीय राष्ट्रीय चिकित्सा सम्मेलन आरंभ
माउंट आबू, 9 सितम्बर।
इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शरद अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए मेडिटेशन को जीवन का अभिन्न अंग बनाना अनिवार्य हो गया है। मेडिटेशन, मेडिसन की तरह कार्य करता है। ईश्वर से बुद्धियोग जोडऩे की प्रक्रिया को ही मेडिटेशन कहा जाता है। पॉजिटिव इनर्जी प्राप्त होती है। जिससे तन और मन दोनों में स्फूर्ति बनी रहती है। मेडिटेशन से एकता, सहनशीलता, सम्मान, ईमानदारी, प्रेम, शान्ति आदि मूल्यों का आत्मसात करना सुगम हो जाता है। पेशेंट को पेशेंस देना चिकित्सकों का धर्म है। ज्ञान सरोवर में उपस्थित होने से ईश्वरीय शक्ति की महसूसता स्पष्ट रूप से अनुभव होती है। यह बात उन्होंने शनिवार को ब्रह्माकुमारी संगठन के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में संगठन के चिकित्सा सेवा प्रभाग द्वारा माइंड, बॉडी, मेडिसन विषय पर आयोजित सम्मेलन के उदघाटन सत्र में कही।
संगठन की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी डॉ. निर्मला दीदी ने कहा कि मेडिटेशन के माध्यम से स्वयं को सर्वशक्तिमान परमात्मा से जोडकऱ मन को निरंतर शक्तिशाली बनाने की सरल विधि है। मन में उठने वाले विचारों को ईश्वरीय शक्ति के वायब्रेशन मिलने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
प्रभाग के अध्यक्ष, केंसर सर्जन डॉ. अशोक मेहता ने कहा कि बदलती जीवनशैली से बढ़ रही बीमारियों से बचाव के लिए दिनचर्या को सयंमित व आध्यात्मिक बनाये जाने की अहम आवश्यकता है। आत्मा और शरीर दोनों का ज्ञान होने से ही जीवन की वास्तविकता को समझा जा सकता है।
इंदौर से आए रिसर्च इनोवेशन स्टार्टअप युनिवर्सिटी कुलपति डॉ. विजय कुमार सालविया ने कहा कि जैसी सोच होती है उसी के अनुसार स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। निरंतर खुश रहने से अधिकतम बीमारियां अपने आप ही किनारा कर लेती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी बहन ने कहा कि बढ़ती व्याध्यिों पर अंकुश लगाने को राजयोग का अभ्यास संजीबनी बूटी की तरह कार्य करता है।
शिक्षा प्रभाग अध्यक्ष बीके मृत्युजंय ने कहा कि विकटतमक परिस्थितियों में अपने कुशल व्यवहार से मरीजों में सदैव सकारात्मक व आशावादी सोच बनाये रखने वाले चिकित्सक सम्मान के पात्र हैं।
ग्लोबल अस्पताल निदेशक डॉ. प्रताप मिढ्ढा ने अस्पताल की ओर से की जा रही सेवाओं की जानकारी दी।
प्रभाग के सचिव डॉ. बनारसी लाल साह ने तीन दिन तक चलने वाले सम्मेलन की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। प्रभाग की अधिशासी सदस्या बीके मोनिका गुप्ता ने मंच का संचालन किया।
अध्यात्म के बिना चिकित्सा अधूरी – डॉ. मेहता
चिकित्सक सम्मेलन का खुला सत्र
माउंट आबू, 10 सितम्बर। ब्रह्माकुमारी संगठन के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में संगठन के चिकित्सा सेवा प्रभाग के बैनर तले माइंड, बॉडी व मेडिसन विषय पर चल रहे राष्ट्रीय चिकित्सा सम्मेलन के दूसरे दिन खुले सत्र में देश-विदेश से आए चिकित्सकों ने नित नई बढ़ती व्याधियों पर रोकथाम लगाने को लेकर किए जा रहे अनुसंधान पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।
चिकित्सा प्रभाग के अध्यक्ष, केंसर सर्जन, डॉ. अशोक मेहता ने कहा कि अध्यात्म के बिना चिकित्सा अधूरी है। चिकित्सा पर किए जा रहे शोध कार्य सरानहीय हैं लेकिन अध्यात्म के बिना शरीर को चिकित्सा का समुचित लाभ नहीं मिल पाता है। मन में अध्यात्म को नियमित स्थान देने से कई असाध्य बीमारियों से मुक्ति पाने के चिकित्सों की ओर से शोध किए जा चुके हैं। मेडिसन के साथ मेडिटेशन जरूरी है। मेडिटेशन करने पर मन को अलौकिक ऊर्जा मिलती है जो शारीरिक तंतुओं को भी नियंत्रित करने में सहायक होती है।
दिल्ली से आए डॉ. एम.डी गुप्ता ने कहा कि नैतिक व सामाजिक मूल्यों को ताक में रखकर कर्म करने से मानसिक तनाव बढऩे पर शरीर अनेक प्रकार की व्याधियों से ग्रस्ति होता है।
वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका बीके गीता बहन ने कहा कि आहार को शुद्ध व आचरण को चरित्रवान बनाने से मन ऊर्जावान बना रहने पर कई प्रकार की व्याधियों से मुक्ति संभव है।
ग्लोबल अस्पताल निदेशक डॉ प्रताप मिढ्ढा, दिल्ली से आई डॉ मंजू गुप्ता, डॉ किरणा बाला, विजयनगरम से आई लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ एम पदमा कुमारी, पुणे से आए ऑथोपेडिक्स इस्टीच्युट के डीन व अध्यक्ष डॉ पराग कांतिलाल संचेती ने व्याधियों से बचाव को लेकर जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव पर बल दिया।
युग परिवर्तन का कार्य कर रहा ब्रह्माकुमारी संगठन – सिन्हा
ज्ञान सरोवर में राष्ट्रीय चिकित्सा सम्मेलन संपन्न
माउंट आबू, 11 सितम्बर।
बिहार विधानसभा नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि जनसेवाओं, जन आकांक्षाओं के साथ मानवता के कल्याण की जिम्मेवारी को सूक्ष्म रूप से युग परिवर्तन का कार्य ब्रह्माकुमारी संगठन की ओर से किया जा रहा है। इसी धरती पर देवाताओं का वास था। फिर से उस स्वर्णिम संसार की पुनस्र्थापना में भारत राजयोग के माध्यम से अहम भूमिका अदा कर रहा है। वे ब्रह्माकुमारी संगठन के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में माइंड, बॉडी, मेडिसन विषय पर आयोजित सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हम कलियुग और सतयुग की बॉर्डर लाईन पर खड़े हैं। 19वीं सदी में स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 21वीं सदी भारत की होगी। जिसके चलते वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को मूर्तरूप देने का कार्य भारत कर रहा है। शीघ्र ही इस धरा पर महान परिवर्तन दिखाई देने लगेगा। संसार को ब्रह्माकुमारी संगठन से महान प्रेरणायें मिल रही हैं। युग परिवर्तन के कार्य में तत्पर ब्रहाकुमारी संगठन विश्व के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है।
संगठन की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी डॉ निर्मला दीदी ने कहा कि संसार में भौतिक चक्षुओं से जो कुछ दिखाई देता है वह वास्तविक नहीं है। जब मनुष्य स्वयं की वास्तविकता को समझ लेंगे तभी वे अपने व संसार की प्रक्रिया को पूर्णरूप से जानने में सक्षम हो सकेंगे।
चिकित्सा प्रभाग के अध्यक्ष, केंसर सर्जन, डॉ. अशोक मेहता ने कहा कि जब मनुष्य की चेतना संगठित रूप में एक ही प्रकार का संकल्प करती है तो उसकी सामूहिक सोच नि:संदेह ही प्रकृति को भी प्रभावित कर सकती है। वर्तमान परिवेश में मनुष्य तनाव व अवसाद जैसी विकृतियों की मार झेल रहा है।
ग्लोबल अस्पताल निदेशक डॉ प्रताप मिढ्ढा ने कहा कि मानव अपने आंतरिक आत्मा मूलभूत शक्ति, गुण, शंति, आनंद, पवित्रता, प्रेम आदि की स्मृति के साथ संकल्पों को वातावरण में प्रवाहित करने से स्वस्थ, समरस व सुखमय मानवीय संस्कृति, श्रेष्ठ सभ्यता की संरचना का निर्माण हो सकता है। इस अवसर पर प्रभाग के सचिव डॉ बीके बनारसी लाल, ग्लोबल अस्पताल की मुख्य परिचारिका सुश्री बीके रूपा उपाध्याय आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
सहभागियों ने सांझा किए अपने अनुभव
तीन दिन तक चले चिकित्सा सम्मेलन में विभिन्न सत्रों के माध्यम से हुए संवाद, ध्यान, योग, मेडिटेशन में हुए अनुभवों को भारत व नेपाल से आए चिकित्सकों ने सांझा करते हुए राजयोग को जीवनशैली का अभिन्न अंग बनाए जाने पर बल दिया।