भोरा कलां: शिक्षाविदों के लिए तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ

0
361

 शिक्षाविदों के लिए हुआ तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ
– विश्वविद्यालय के कुलपतियों सहित प्रोफेसर, डीन, रजिस्ट्रार, व्याख्याता एवं अध्यापकों ने की शिरकत
– ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ आयोजन
– शिक्षा में आध्यात्मिक मूल्यों के समावेश पर दिया गया बल

भोरा कलां, गुरुग्राम,हरियाणा:
ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में शिक्षाविदों के लिए तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ। संस्था के शिक्षा प्रभाग के द्वारा आयोजित ‘एजुकेटर्स क्रिएटिंग लीडर्स फॉर फ्यूचर’ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। सेमिनार के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए
जीडी गोयनका विश्वविद्यालय के कुलपति सत्यनारायण ने कहा कि आज के मशीनी और डिजिटल युग में मानव मूल्यों का ह्रास हुआ है। आज पूरे विश्व में अच्छे लीडर की खोज है। ऐसे में आवश्यकता है शिक्षा को मानवता का मूल केंद्र बनाने की।

– बुराइयों ने मानव को नहीं बल्कि मानव ने बुराइयों को पकड़ा है

नासिक मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव सोनवणे ने कहा कि शांति हमारा स्वाभाविक गुण है। लेकिन आज हमें शांति के लिए प्रयास करने पड़ रहे है। जिसका कारण मानव निर्मित समस्याएं हैं। आज बुराइयों ने मानव को नहीं बल्कि ने मानव ने बुराइयों को पकड़ रखा है। उन्होंने कहा कि उनका विश्वविद्यालय ब्रह्माकुमारीज के साथ मिलकर मूल्य आधारित शिक्षा पर कार्य करता रहेगा।

झारखण्ड, केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेपी लाल ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज ने योग की साधना को बहुत सरल करके लोगों के सामने रखा है। उन्होंने कहा कि आज वो समय आ गया है, जब भारत समूचे विश्व का मार्गदर्शन कर सकता है। ब्रह्माकुमारीज संस्था 137 देशों में भारत की संस्कृति और राजयोग का डंका बजा रही है।  

– स्वयं का लीडर बनना ही है सबका लीडर बनना

संस्था के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि आज शिक्षा तो है लेकिन उसका मूल नहीं है। ऐसे में ब्रह्माकुमारीज के द्वारा शिक्षा का वो मर्म बताया जा रहा है, जिससे हम सशक्त हो सकें। आज विज्ञान की शिक्षा ने विश्व को विनाश के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। सबसे पहले जरूरत है, स्वयं का लीडर स्वयं बनने की। जिसका स्वयं पर संयम अथवा नियंत्रण है, वही दूसरों का लीडर बन सकता है।

– परिवर्तन के लिए उच्चारण से ज्यादा आचरण जरूरी

ओआरसी की निदेशिका आशा दीदी ने कहा कि आज अच्छे लीडर्स तैयार करने की जरूरत है। एक अच्छा लीडर वो है, जो दूसरों के दिल पर राज करता है। उन्होंने कहा कि संस्था के संस्थापक ब्रह्मा बाबा ने हमें वास्तविक लीडर के गुण सिखाए। शिक्षाविद बच्चों को चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं। लेकिन उसके लिए शिक्षा के साथ-साथ शक्ति की आवश्यकता है। जो कि स्वयं के सशक्तिकरण से ही संभव है। आज के परिवेश में शिक्षाविदों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। परिवर्तन के लिए केवल उच्चारण नहीं बल्कि आचरण की जरूरत है।

– सच्चा शिक्षक वो जिसके जीवन में है श्रेष्ठ संस्कारों का समावेश

दिल्ली, हरीनगर सेवाकेंद्र निदेशिका राजयोगिनी शुक्ला दीदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि शिक्षक वास्तव में एक प्रकाश स्तंभ है। शिक्षक एक शिल्पकार है, जो अनगढ़ पत्थर को सुंदर मूर्ति में परिवर्तन करता है। शिक्षक संस्कृति का प्रतिनिधि होता है। एक सच्चा शिक्षक वही है, जिसके जीवन में श्रेष्ठ संस्कारों का समावेश हो। आध्यात्मिक चेतना के द्वारा ही शिक्षा जीवन को बेहतर दिशा प्रदान कर सकती है। ब्रह्माकुमारीज शिक्षा में उसी मूल भाव को जगाने का प्रयास कर रही है।

– अपने खुशनुमा जीवन से दूसरों को प्रेरणा देना है सबसे बड़ी शिक्षा

ब्रह्माकुमारीज के नेपाल सेवाकेंद्रों की निदेशिका बीके राज दीदी ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान हमारा सबसे बड़ा शिक्षक है। ब्रह्माकुमारीज में ईश्वरीय शिक्षाओं के द्वारा आज अनेकों का जीवन परिवर्तन हुआ है। शिक्षा केवल शब्दों से ही नहीं बल्कि हम अपने खुशनुमा जीवन से भी दे सकते हैं।

– ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय बनाता है मानव को देवता

ब्रह्माकुमारीज के शिक्षा प्रभाग के अध्यक्ष बीके मृत्युंजय ने कहा कि शिक्षा को हमने केवल भौतिक प्रगति का साधन समझ लिया है। जबकि शिक्षा का असली उद्देश्य एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण करना है। शिक्षा में लॉ के साथ लव होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि दुनिया के विश्वविद्यालय डॉक्टर, इंजीनियर और साइंटिस्ट बनाते हैं। लेकिन ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय मानव को देवता बनाता है।

बीके पांडियामणी ने संस्थान के शिक्षा प्रभाग द्वारा की जा रही सेवाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा ब्रह्माकुमारीज संस्थान ने देश-विदेश के 37 विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। जिनके माध्यम से अनेक मूल्य आधारित पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं।

शिक्षा प्रभाग के दिल्ली की संयोजिका बीके सुदेश ने अपने वक्तव्य से सभी का स्वागत किया। बीके सुमन एवं बीके दिव्या ने मंच संचालन किया।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें