मुंबई-मुलुंड, महाराष्ट्र: मुलुंड सबज़ोन ने 2 अक्टूबर को अपना वार्षिक जन्मदिन मनाया और यह भाइयों और बहनों के खुशी, आध्यात्मिक ज्ञान और एकता से भरा कार्यक्रम था। कार्यक्रम में कई गतिविधियाँ शामिल थीं, जिनमें दीपप्रज्वलन,केक काटना, संगीत और नृत्य प्रदर्शन तथा ब्रह्माकुमारीज़ की सम्मानित वरिष्ठ बहन राजयोगिनी बी.के.आशा दीदीजी के नेतृत्व में एक विशेष आध्यात्मिक ज्ञानसत्र शामिल था।
इस शाम का मुख्य आकर्षण दीपप्रज्वलन और केक काटना था, जो ज्ञान के प्रकाश और आध्यात्मिक ज्ञान की मिठास का प्रतीक है। मनमोहक नृत्य प्रदर्शन और मधुर संगीत ने उत्साही माहौल को और भी जोश से भर दिया। इस कार्यक्रम में कई गतिविधियाँ शामिल थी जो समुदाय को खुशी और एकता की भावना से एक साथ लायीं।
कार्यक्रम में आध्यात्मिकता का स्पर्श जोड़ते हुए, ब्रह्माकुमारीज़ की सम्मानित वरिष्ठ बहन, तथा प्रशासनिक विंग के अध्यक्ष और ओम शांति रिट्रीट सेंटर, गुड़गांव, दिल्ली के निदेशक, आदरणीय राजयोगिनी बी.के. आशा दीदीजी द्वारा एक विशेष आध्यात्मिक ज्ञान सत्र का संचालन हुआ।
आशा दीदी की क्लास के बिंदुओं का सारांश:
आशा दीदी का सुझाव था कि यह विश्व के रंगमंच पर अपना पार्ट और दैनिक गतिविधियाँ समाप्त करने और घर लौटने का समय है। उन्होंने बाबा के साथ आध्यात्मिक यात्रा पर होने का उल्लेख करते हुए जीवन में मुक्ति की अवधारणा पर चर्चा की। “सृष्टि चक्र” (सृष्टि का चक्र) की प्रगति का तात्पर्य है कि जैसे-जैसे यह चक्र आगे बढ़ेगा, विभिन्न स्थितियाँ और परिस्थितियाँ बढाती जाएँगी। परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है। दीदीजी ने प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि का उल्लेख किया, जो संभवतः लोगों के मूल्यों और व्यवहार से जुड़ी हैं। उन्होंने एक छत के नीचे रहने में असमर्थ परिवारों की छवि के साथ परिवारों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की।
आशा दीदी आध्यात्मिक शिक्षा की प्रगति के बारे में बात करती हैं, यह दर्शाती हैं कि जैसे-जैसे कोई पढ़ाई जारी रखता है, चुनौती का स्तर बढ़ता जाता है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने उल्लेख किया कि जैसे-जैसे समय बीतता है परीक्षाएं अधिक व्यापक या जटिल होती जाती हैं। जिसका अर्थ है कि जैसे-जैसे व्यक्ति अपनी पढ़ाई में आगे बढ़ता है, शैक्षिक आवश्यकताएं और अपेक्षाएं बढ़ती हैं। मुलुंड सबझोन के जन्मदिनपर आशा दीदी ने सबको स्वमान का गिफ्ट दिया, “मैं कल्प कल्प की विजय आत्मा हूं,” जिसका अभ्यास करने से हर एक कई परीक्षाओं में एक विजयी आत्मा के रूप में उभरते है। उन्होंने सेवा या जीवन के प्रति दृष्टिकोण में नवीनता या ताजगी की आवश्यकता पर बल दिया। आशा दीदी ने कहा कि छात्र जीवन में, होमवर्क अनिवार्य है, और जब छात्र अच्छी तरह से तैयार होते हैं तो परीक्षा अधिक प्रभावी होती है। यह शैक्षिक सफलता के लिए होमवर्क और संपूर्ण तैयारी के महत्व को रेखांकित करता है। इसलिए रोज की मुरली में बाबा के दिए हुए होमवर्क को करना अनिवार्य है।
आशा दीदी ने बताया कि हर व्यक्ति के जीवन में चार प्रकार की परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। इन परीक्षाओं का वर्णन इस प्रकार है:
• पिछले संस्कार, पिछले व्यवहार और प्रवृत्तियाँ फिर से उभर सकती हैं और उन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है।
• आपके करीबी लोग, जिन पर आप भरोसा करते हैं उनसे धोखा या विश्वासघात की संभावना है।
• प्राकृतिक आपदाएँ और चुनौतियाँ अप्रत्याशित रूप से घटित हो सकती हैं।
• बुरी आत्माओं या नकारात्मक प्रभावों तथा प्रलोभनों का सामना करना पड़ेगा
उनहोंने कहा की परिस्थिति सबके जीवन में आएगी ही। इसलिए सदा बाप की छात्रछाया में रहें तथा बहुत कल का पुरुषार्थ करके निम्नलिखित आध्यात्मिक बल को जमा करें।
1. पहला बल है ‘ज्ञान का बल’ उस ताकत को उजागर करता है जो ज्ञान और समझ से आती है, खासकर किसी भी परिस्थितियों को समझने में।
2. दूसरा बल है ‘योग का बल’, जिसके लिए प्रतिबद्धता और अनुशासन की आवश्यकता होती है। योग का बल जमा करने का मन्त्र है बाबा को सदा साथी बनाये रखें।
3. ‘सत्यता का बल’ उस ताकत पर जोर देता है जो सच्चाई, अखंडता, और अविनाशी सत्य के प्रति अटूट प्रतिबद्धता से आती है।
4. ‘निश्चय का बल’ चुनौतियों का सामना करने में दृढ़ संकल्प की शक्ति को रेखांकित करता है।
5. ‘पुण्य कर्म का बल’ बताता है कि पुण्य कर्म अपनी ताकत और सकारात्मक परिणाम उत्पन्न करते हैं।
6. ‘दुवाओं का बल’ दूसरोंसे मिले आशीर्वाद की शक्ति को दर्शाता है।
दीदीजी ने हर एक को अगले जन्मदिन तक होमवर्क दिया – each one teach two !
सार रूप में उन्होंने सद्गुणों, ज्ञान और दृढ़ संकल्प के महत्व पर जोर देते हुए, जीवन में ताकत, लचीलापन और आध्यात्मिकता के निर्माण पर मार्गदर्शन दिया।
दीदीजी के विशेष आध्यात्मिक व्याख्यान ने दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा, जिससे उन्हें आत्म-खोज और आंतरिक शांति की यात्रा शुरू करने की प्रेरणा मिली। कार्यक्रम के अंत में माननीय बहन राजयोगिनी बी.के. आशा दीदीजी ने कहा, “मुलुंड सबज़ोन का वार्षिक जन्मदिन कार्यक्रम एकता, संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक अद्भुत उत्सव था। ब्रह्माकुमारीज़ समुदाय को एक साथ आकर इतने उत्साह के साथ जन्मदिन मनाते हुए देखना खुशी की बात है ।”
ब्रह्माकुमारीज़ मुलुंड सबज़ोन की संचालिका आदरणीय राजयोगिनी डॉ. बी.के. गोदावरी दीदीजी का आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ।
प्रशासनिक विंग के मुख्यालय समन्वयक के रूप में कार्यरत आदरणीय भाई राजयोगी बी.के. हरीशजी ने मुलुंड सबज़ोन के शिक्षकों और छात्रों को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। उनके ज्ञान और मार्गदर्शक शब्दों ने इस कार्यक्रम में गहरा आध्यात्मिक आयाम जोड़ा, तथा प्रेम, शांति और एकता के मूल्यों को मजबूत किया।
जन्मदिन का जश्न सिर्फ एक सभा नहीं थी; यह मुलुंड सबज़ोन ब्रह्माकुमारीज समुदाय के खुशी, प्रेम और आध्यात्मिक विकास की सामूहिक अभिव्यक्ति थी। भाई-बहन न केवल अस्तित्व के एक और वर्ष, बल्कि आध्यात्मिक विकास के एक और वर्ष का जश्न मनाने के लिए एक साथ आए।
मुलुंड सबज़ोन, सभी प्रतिभागियों, आयोजकों और विशेष रूप से माननीय बहन राजयोगिनी बी.के. आशा दीदी जी एवं आदरणीय राजयोगिनी डॉ. बी.के. गोदावरी दीदीजी के प्रति इस आयोजन को वास्तव में यादगार और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध अनुभव बनाने के लिए अपना हार्दिक आभार व्यक्त करता है। इस यादगार शाम ने न केवल सबज़ोन का जन्मदिन मनाया बल्कि एकजुटता और सामुदायिक भावना को भी बढ़ावा दिया।