भोरा कलां : ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में सुरक्षा सेवा प्रभाग के नेशनल डायलॉग का शुभारम्भ

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– मन की शांति के लिए आध्यात्मिकता ही एकमात्र उपाय
– भारतीय सेना एवं सुरक्षा बलों के अधिकारियों तथा जवानों के लिए हुआ नेशनल डायलॉग का शुभारम्भ
– ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ कार्यक्रम
– संस्थान के सुरक्षा सेवा प्रभाग ने किया आयोजन

भोरा कलां , गुरुग्राम, हरियाणा । ब्रह्माकुमारीज विश्व शान्ति के लिए अद्भुत कार्य कर रही है। उक्त विचार उत्तर प्रदेश, अग्निशमन के महानिदेशक अविनाश चन्द्र ने व्यक्त किए। ब्रह्माकुमारीज के भोराकलां स्थित ओम शान्ति रिट्रीट सेंटर में आयोजित कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए उन्होंने ये बात कही। इस अवसर उन्होंने प्रेरणादाई नेतृत्व एवं स्व-सशक्तिकरण विषय पर भारतीय सेना एवं सुरक्षा बलों के अधिकारियों तथा जवानों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय मन को शांत और स्थिर बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। वैश्विक स्तर पर हो रहे युद्ध यही दर्शाते हैं कि मानव अशांति के भंवर में फंसा हुआ है। मानव चाहे कितना भी धन कमा ले, मान-शान और प्रतिष्ठा प्राप्त कर ले लेकिन शान्ति के बगैर सब बेकार है। मन की शान्ति के लिए आध्यात्मिकता ही मात्र एक उपाय है।

– शारीरिक सुरक्षा से भी अधिक महत्वपूर्ण है मानसिक सुरक्षा

ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने अपने प्रेरणादायक वक्तव्य में कहा कि आज शारीरिक सुरक्षा से पहले मानसिक सुरक्षा जरूरी है। काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे मन के विकृत भाव ही मानव के सबसे बड़े शत्रु हैं। उन्होंने कहा कि परिवर्तन की शुरुआत हमें स्वयं से करनी है। तभी हम विश्व को प्रेरणादाई नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं।

भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ओम प्रकाश ने अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा की वो काफी समय से राजयोग का अभ्यास कर रहे हैं। राजयोग से उनके दृष्टिकोण में एक महान परिवर्तन आया। उन्होंने कहा कि सेना में धर्म के प्रति बड़ी आस्था है। लेकिन आध्यात्मिकता के द्वारा ही हमें स्वयं की सही पहचान मिल सकती है।

कमोडोर अरविन्द शुक्ला ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज विश्व में एकमात्र संस्था है, जो सुरक्षा बलों के सशक्तिकरण का कार्य कर रही है। जिसके लिए सुरक्षा प्रभाग का गठन किया गया है। उन्होंने कहा की आध्यात्मिक ज्ञान जीवन में समर्पण भाव पैदा करता है। आध्यात्मिकता कर्म से विमुख नहीं करती बल्कि कर्म को और ही बेहतर और कुशल बनाने का ढंग बताती है।

कार्यक्रम में अपने आशीर्वचन व्यक्त करते हुए राजयोगिनी शुक्ला दीदी ने कहा कि ओम वास्तव में भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है। ओम हमें स्वयं से परिचित कराता है। ओम के उच्चारण मात्र से ही मन शांति की अनुभूति करता है। आवश्यकता है तो सिर्फ उसके अर्थ स्वरूप में टिकने की। उन्होंने कहा कि आत्मिक बोध ही वास्तव में आध्यात्मिकता है। आध्यात्मिक सशक्तिकरण से ही हमारी सुषुप्त शक्तियां जागृत होती हैं।

भारतीय नौसेना के पूर्व वाइस एडमिरल एसएन घोरमड़े ने कहा कि वो वर्ष 2011 से राजयोग का नियमित अभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आंतरिक चेतना की शुद्धि ही वास्तव में सबसे बड़ी शुद्धि है।

संस्थान के मुख्यालय माउंट आबू से पधारे पूर्व स्क्वाड्रन लीडर एवं सुरक्षा प्रभाग के अध्यक्ष अशोक गाबा ने भी कार्यक्रम के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सेना और सुरक्षा बलों के मनोबल बढ़ाने के लिए ऐसे कार्यक्रम जरूरी हैं।

कार्यक्रम में मुंबई से पधारी बीके दीपा ने राजयोग के अभ्यास से शांति की गहन अनुभूति कराई। बीके पुरुषोत्तम ने गीत के द्वारा सबका स्वागत किया।
कार्यक्रम का संचालन भारतीय सेना के पूर्व कर्नल बीसी सती ने किया। कार्यक्रम में काफी संख्या में सेना एवं सुरक्षा बलों के अधिकारियों तथा जवानों ने शिरकत की।

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