कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभु स्मृति के सुन्दर गीत से हुआ। अतिथियों का मंच पर आगमन व स्थान ग्रहण पश्चात् पुष्प गुच्छ, बैज व तिलक से स्वागत हुआ।
सोनीपत,हरियाणा: माननीय श्री श्री १००८ डा. स्वामी दयानंद सरस्वती जी महाराज – राम कृष्ण साधना केंद्र, मुरथल सोनीपत ने अपने सम्बोधन में कहा कि मानव को गीता को समझना पड़ेगा। परमात्मा बोले तो वेद मंत्र लेकिन जब परमात्मा बोल रहे थे सुन कितने रहे हैं? गीता का मूल है नष्टोमोह लेकिन सुनने के बाद भी कोई असर नहीं। तोते की भांति बस लोग पढ़ते रटते जा रहे हैं। अगर जीवन में उन्नति चाहिए तो गीता को अमल में लाना होगा। गीता अध्यात्म चेतना को जाग्रत करने का ग्रंथ है। ब्रम्हा कुमारीज के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्होंनेे कहा कि कई लोग मुझसे मिलते हैं और कहते हैं कि वहाँ जाने से मेरा जीवन सुधर गया है। मेरे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया है। मैंने अपनी फलां फलां बुराइयो को छोड़ दिया है और मैं उन्मुक्त कण्ठ से आपकी प्रशंसा करता हूँ। समाज को सुधारने और प्रभु के मार्ग पर ले जाने के लिए आपने अपने जीवन का होम कर दिया है।
डा. आबिद अली जी असिस्टेंट प्रोफेसर मास कम्युनिकेशन एंड मीडिया, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने अपने सम्बोधन में कहा कि गीता का उपदेश कहता है कि मैं इस सृष्टि का मूल हूँ और सब पन्थ इस बात को मानते हैं। अतः इस बात को स्वीकार करना पड़ेगा कि भगवान एक है। हम सबको आपस स्नेहपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। गीता हमें सबके साथ हिल मिल कर रहने का पाठ पढ़ाती है। अपने स्वागत से अभिभूत उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि अतिथि देवो भवः को आज मैं अपने जीवन में पहली बार देख रहा हूँ।
श्री जसबीर सिंह दुग्गल जी राष्ट्रीय अध्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार न्याय परिषद ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज दुनियाभर के बंदो को देखिये तो वो अपने अंदर एक महाभारत लिए घूम रहे हैं। अंदर ही अंदर वो अनेक युद्ध लड़ रहा है। गीता का ज्ञान मात्र अर्जुन के लिए नहीं बल्कि हर एक मानव के लिए है। हमें अहंकार से बचना चाहिए इसलिए ही गीता में कहा गया है निष्काम रहो।
मुख्य अतिथि माननीय प्रोफेसर सुदेश जी कुलपति भक्त फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय अपने सम्बोधन में कहा कि हमें आत्मा की उन्नति के लिए कर्म करना चाहिए न कि शरीर की सुन्दरता के लिए। गीता हमें निष्काम कर्म का उपदेश देती है। और उसे जीवन में उतारने की कला आप सिखाते हैं। उन्होंने मुक्त कण्ठ से ब्रम्हा कुमारीज की और उसके कार्यों की सराहना की।
मुख्य वक्ता – राजयोगिनी ब्रह्मा कुमारी वीणा दीदी (गीता विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका) ने अपने सम्बोधन में कहा कि ॐ शांति का मंत्र अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का मंत्र है। भगवद् गीता का सार वाह जिन्दगी वाह। गीता का उपदेश है समाज में सीधे चलो। गीता उदास मन को भी उद्यमी बनाने का शास्त्र है। जीवन भगवान की देन है और गीता हमें उस जीवन को जीने की कला सिखाती है। जिन्दगी हमें खुशी से जीना चाहिए क्योंकि हम ह्यूमन बीइंग हैं न कि ह्यूमन डुइंग। खुद का उद्धार करना सीखो। भगवान अनुभव करने की चीज है न कि दिखने की चीज। धरती पर एक ही ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। गीता भगवान का उद्गार है और हमें उसके ज्ञान को जरूर अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
माननीय डा. श्रीप्रकाश मिश्र, संस्थापक मातृभूमि सेवा मिशन, कुरुक्षेत्र ने अपने सम्बोधन में कहा कि गीता अवसाद से उत्साह की जाने का ग्रंथ है। लोभ, लालच को त्याग दें तो हम जीवन के अच्छे मार्ग पर चलने लगेंगे और सुखमय जीवन जीएँगे। भारत की उन्नति का रास्ता गीता से गुजरता है। विश्व को जीने की राह भारत ही दिखाता है। सद्कर्म की प्रेरणा हमें गीता सिखाती है। गीता ही भारत का प्रतिनिधित्व है। आप लोगों ने गीता के उपदेशों को जन जन तक पहुँचाने व लोगों के जीवन को उससे जोड़ने का जो महती कार्य अपने हाथों में लिया है उसके आप प्रशंसा के पात्र हैं।
भारी संख्या में उपस्थित जन समूह ने कार्यक्रम का लाभ उठाया और अपना जीवन गीता के उपदेशों के अनुरूप बनाने की प्रेरणा ली।
कार्यक्रम का सफल संचालन ब्रम्हा कुमारी सुशील बहन ने किया व विश्व कल्याण सरोवर के प्रबंधक ब्रम्हा कुमार सतीश भाई जी ने अतिथियों व उपस्थित लोगों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
कर्नाल से आए बीके विजय भाई जी ने अपने गीतों से सभी का भरपूर मनोरंजन किया व कुमारी वंशिका ने अपने नृत्य से सभी का मन मोह लिया।