हुडकेश्वर -(नागपुर),महाराष्ट्र:
नैतिक शिक्षा का अर्थ उस शिक्षा से है जो बच्चे में नैतिकता के गुणों का विकास करती है | बच्चों को संस्कारों से जोड़ती है | उन्हें उनके कर्तव्यों का ज्ञान कराती है | परिवार, समाज, समूह के नैतिक मूल्यों को स्वीकारना तथा सामाजिक रीति – रिवाजों, परम्पराओं व धर्मों का पालन करना सिखाती है | उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे| श्री गजानन विद्यालय, हुडकेश्वर में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर कार्यक्रम में बोल रहे थे |
भगवान् भाई ने कहा कि नैतिक शिक्षा का अर्थ और मूल्य जानने के बाद आप यह समझ ही गए होंगे कि नैतिक शिक्षा का हमारे जीवन में क्या महत्व है और यह कितना आवश्यक है | जिन बच्चों को बचपन से ही सच बोलना, सहयोग करना, दया करना, निष्पक्षता, आज्ञापालन, राष्ट्रीयता, समयबद्धता, सहिष्णुता, करुणा, आदि मानवीय गुणों को सिखाते है उन्हीं बच्चों में बाद में चलकर ये ही गुण पुष्पित, पल्लवित, व विकसित होकर चरित्र निर्माण में सहायक होते है |
उन्होंने ने बताया की बचपन से ही बच्चों को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने से उन्हें भले – बुरे, उचित – अनुचित का ज्ञान हो जाता है | वह समझने लगता है कि कौन सा व्यवहार सामाजिक है और कौन सा व्यवहार असामाजिक | किन व्यवहारों को करने से समाज में प्रतिष्ठा, प्रंशसा एवं लोकप्रियता मिलती है और किससे नहीं |
प्रिंसिपल कमलाकर तम्बाखे ने कहा कि नैतिक मूल्यों से ही समस्या का मुकाबला नहीं कर सकते। चरित्र उत्थान और आंतरिक शक्तियों के विकास के लिए आचार संहिता जरूरी है। उन्होंनेे अंत में नैतिक मूल्यों का स्रोत आध्यमित्कता को बताया। जब तक आध्यात्मिकता को नहीं अपनाएंगे जीवन में मूल्यों की धारणा संभव नहीं है।
इस मोके पर बी के मंजू बहन जी प्रभारी ने कहा के वर्तमान में बच्चो को अच्छे संस्कार कि आवश्यकता है उन्होंने बताया कि संस्कारित बच्चे देश कि सच्ची सम्पति है
बी के भगवान् भाई जी ने राजयोग का अभ्यास भी अंत में कराया