छतरपुर: ब्रह्माकुमारीज द्वारा ग्राम बरकोंहा में नशा मुक्त भारत अभियान के तहत समृद्ध किसान देश की शान विषय पर आयोजित कार्यक्रम

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ऋषि तपस्या करता है भगवान की और कृषक तपस्या करते हैं अपने परिश्रम के द्वारा समग्र मानव संसार की 

   समृद्ध संस्कार ही घर की समृद्धि का आधार है- ब्रह्माकुमारी

छतरपुर,मध्य प्रदेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय किशोर सागर द्वारा ग्राम बरकोंहा में नशा मुक्त भारत अभियान के तहत ब्रह्माकुमारीज के ग्राम विकास प्रभाग के अंतर्गत किसानों में जागृति लाने और उन्हें अपनी भारतीय कृषि पद्धति से जुड़े रखने के लिए समृद्ध किसान देश की शान विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
 इस कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करते हुए बीके कल्पना ने कहा कि ऋषि संस्कृति से हमारी कृषि संस्कृति जुड़ी हुई है। ऋषि तपस्या करता है भगवान की और कृषि अर्थात कृषक तपस्या करते हैं परिश्रम के द्वारा समग्र मानव संसार की लेकिन आज हम किसान अपने ऋषित्व के गुण को भूलते जा रहे हैं जिन खेतों को हम मंदिर समझकर वहां अगरबत्ती की खुशबू फैलाते थे, पूजा करते थे आज उन्ही खेतों में जाकर हम बीड़ी का धुआं फैलाकर अपनी धरती माता के ऊपर बीड़ी का टुकड़ा, शराब की बोतले और तंबाकू गुटखा के पाउच फेंक रहे हैं और उसे दूषित बना रहे हैं। हमारे जो समृद्ध संस्कार थे उन्ही संस्कारों के कारण हमारे घर में भी समृद्धि थी लेकिन आज संस्कारों की समृद्धि को खोते जा रहे हैं और इसी कारण हमारे घर की समृद्धि भी गायब हो रही है और हम गरीब हो रहे हैं।
इस अवसर पर नशा मुक्ति की प्रदर्शनी के माध्यम से बीके मोहिनी ने सभी को नशा मुक्ति का संदेश दिया तत्पश्चात ब्रह्माकुमारीज द्वारा नशा मुक्ति का संदेश देने के लिए एक नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई जिसमें बीके पंकज, बीके अल्लू,रामपाल भाई, राम, ज्ञानू और पवन भाई ने अहम भूमिका निभाई। इस नृत्यनाटिका को सभी ग्राम वासियों ने बहुत सराहा और कई ग्रामवासियों ने कभी नशा न करने की प्रतिज्ञा की। इसी तारतम्य में शिवांशी गुप्ता द्वारा शिव महिमा का एक नृत्य प्रस्तुत किया गया।
इस मौके पर ग्राम में चल रही भागवत कथा के कथा व्यास रूद्र देव जी महाराज,  ग्राम सरपंच प्रीतम यादव और ग्रामवासी भाई और माताएं बहनें उपस्थित रहे।
 ग्राम सरपंच ने इस कार्यक्रम में विशेष सहयोग प्रदान किया और ब्रह्माकुमारीज द्वारा इस प्रकार के प्रयास के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि सुना था जब भगवान आते हैं तो पहले वह अपने फरिश्तों को भेजते हैं आज ऐसा ही लग रहा है कि जैसे यहां भगवान के फरिश्ते ही आए हैं और भगवान का संदेश हम सब तक पहुंचा रहे हैं इन सब बातों का अनुकरण करना हमारी जिम्मेवारी है।
कार्यक्रम के अंत में सभी को प्रसाद वितरित किया गया और ईश्वरीय साहित्य भेंट स्वरूप प्रदान किया गया।

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