खजुराहो: संस्कार से संस्कृति और संस्कृति से संसार का परिवर्तन ही सच्ची महाशिवरात्रि है – ब्रह्माकुमारी रूपा बहन जी

0
298

खजुराहो ,मध्य प्रदेश। कार्यक्रम का शुभारंभ परमात्मा स्मृति से किया गया, तत्पश्चात ब्रह्मकुमारी बहनों का बैज, तिलक एवं चुनरी पहनाकर सम्मान किया गया। सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी विद्या बहन जी ने सभी का शब्दों से स्वागत किया, तो वही कुमारी रोशनी ने स्वागत नृत्य से सभी का स्वागत किया।बड़ा मलहरा उप सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी रूपा बहन जी ने सभी को विद्यालय के परिचय से अवगत कराया एवं बताया की सभी लोग संसार और संस्कृति के परिवर्तन की बात करते हैं। लेकिन ब्रह्माकुमारी विद्यालय एक ऐसा विद्यालय हैं जो पहले संस्कार परिवर्तन करता हैं और संस्कार से संस्कृति, संस्कृति से संसार स्वत परिवर्तन हो जाएगा ।

 बिजावर उप सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी प्राची बहन जी ने भी सभी को महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि जब हमारे पिता परमात्मा शिव भोलेनाथ हैं वह सब को खुशियां देने वाले हैं सुख देने वाले हैं तो हम भी इस महाशिवरात्रि पर सबको दुआएं देने का सुख देने का खुशियां देने का लक्ष्य रखें क्योंकि शिव परमात्मा का अवतरण एक मूल्य निष्ठ समाज की स्थापना करने के लिए ही होता हैं। परमात्मा शिव मूल्य निष्ठ समाज की नई आशाएं लाते हैं, जब-जब परमात्मा आते हैं एक स्वर्णिम संसार बनाते हैं।

इसी तारतम्य में दीप प्रज्वलन कर परमात्मा शिव ज्योति बिंदु स्वरूप परमात्मा का आवाहन किया गया। एवं शिव ध्वजारोहण भी किया गया ,तत्पश्चात सभी ने प्रतिज्ञाएं कि आज से हम अपनी उन्नति के लिए संस्कार परिवर्तन के लिए कम से कम 1 घंटे का समय अवश्य निकलेंगे ।केक कटिंग करके शिव परमात्मा का अवतरण दिवस मनाया गया ।एवं शिव भोलेनाथ की आरती भी की और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त किया ।

साथ ही छतरपुर से पहुंची रेशु बहन और पल्लवी बहन ने शिव महिमा का नृत्य भी प्रस्तुत किया। 

 सभी गणमान्य मेहमानों ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए जिसमें युवा महिला मोर्चा अध्यक्ष बहन निधि सिंह जी ने कहा ब्रह्माकुमारी आश्रम में बहनों के पास जब भी आई हूं, तो रोते हुए आई हूं, और यहां से खुशियां लेकर गई हूं ,एक मन को जो संतुष्टि मिली है वह यहां की बहनों और इस आध्यात्मिक ज्ञान से मिली हैं यहां जीवन जीने की कला सिखाई जाती हैं।

 तो वही शिल्पी जैन ने भी कहा कि हम सिर्फ सत्संग ही ना करें बल्कि उसको जितना हो सके अपने जीवन में आत्मसात करें।

 सीआईएसफ से भ्राता परमानंद वर्मा जी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सभी ने सत्संग तो किया लेकिन सदा अपने संग इन वचनों को हम कब तक रख पाते हैं, कहां तक हम इनको अपने जीवन में धारण कर पाते हैं यह बात ज्यादा महत्व रखती है सुनने की अपेक्षा सुनते तो सभी हैं पर जीवन में हम कितना धारण कर पाते हैं ,तो आज यहां हम सभी ने जो भी सुना हैं वह अपने जीवन में धारण करने का लक्ष्य रखें ।

 एस बी आई बैंक मैनेजर ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं पहली बार ही आया लेकिन यहां पर एक अलग ही शांति का अनुभव हुआ आते ही ऐसे लगा कि जैसे हम अपने घर में आए हैं प्रेम और अपनापन यहां परमात्मा के घर में हमने प्राप्त किया और हम सदैव परमात्मा से जुड़े रहेंगे।

अंत में सभी को ईश्वरीय सौगात एवं प्रसाद भेंट किया गया।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें