रीवा: सप्त दिवसीय गीता ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन रीवा के ऐतिहासिक मानस भवन के विशाल सभागार

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*शहर के मुख्य मार्गों पर निकली गई गीता ज्ञान यज्ञ की भव्य कलश यात्रा* 

 *नगर वासियों को मूल्यनिष्ठ सदाचारी और नशा मुक्त समाज बनाने के लिए दिया गया ईश्वरीय संदेश*

 *मनुष्य की मनःस्थिति के अलावा पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय व वैश्विक स्थिति का समाधान भी श्रीमद् भागवद् गीता में है।* 

रीवा (म प्र): प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय शांति धाम झिरिया रीवा के द्वारा विंध्यवासियों की बहु प्रतीक्षित मांग के अनुरूप सप्त दिवसीय गीता ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन रीवा के ऐतिहासिक मानस भवन के विशाल सभागार में आयोजित हो रहा है।जिसका शुभारंभ नगर में विशाल कलश यात्रा निकाल कर किया गया। कलश यात्रा ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र से प्रारंभ होकर कॉलेज चौराहा,सिरमौर चौराहा,अमहिया,अस्पताल चौराहा,प्रकाश चौराहा ,शिल्पी प्लाजा होते हुए मानस भवन पर समाप्त हुई। योग शक्ति राज योगिनी बीके भारती दीदी और ब्रह्माकुमारी रीवा की क्षेत्रीय संचालिका राज योगिनी ब्रह्माकुमारी निर्मला दीदी की अगुवाई में इस शोभायात्रा के द्वारा जन-जन को नशा मुक्त समाज,सदाचारी और श्रेष्टाचारी बनने का संदेश दिया गया।शहर के प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा जगह-जगह इस शोभायात्रा का पुष्प वर्षा,जलपान,फल वितरण कर स्वागत किया गया।

भगवत गीता के प्रथम दिन स्वागत सत्र में मानस मंडल के अध्यक्ष श्री सुभाष बाबू पांडेय, डॉ सूर्य प्रकाश जी कुलसचिव माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय रीवा परिसर, श्रीमती संगीता राजेश यादव जनपद अध्यक्ष रीवा,श्री लाल बहादुर सिंह पूर्व जनपद अध्यक्ष रायपुर कर्चुलियान रीवा,डॉक्टर के के परोहा वरिष्ठ समाजसेवी, प्रोफेसर सुरेश कुमार,डॉ विमल दुबे,श्री शेर बहादुर सिंह परिहार सेवानिवृत्ति मुख्य अभियंता,श्री लक्षपति कुशवाहा, डॉ विकास श्रीवास्तव,श्री रामचंद्र गुप्ता, डॉ प्रभाकर तिवारी प्राचार्य, डॉ डी एस मिश्रा, वीडी मिश्रा और शिव क्रिएशन के डायरेक्टर श्री शिव कुशवाहा ने दीप प्रज्वलन किया।कथावाचक दीदी आदरणीय राजयोगिनी योग शक्ति  भारती दीदी जी का रीवा के मानस भवन मेंभव्य स्वागत किया गया। मंच का संचालन विंध्य क्षेत्र के सुप्रसिद्ध गायक नीलेश श्रीवास्तव ने बहुत सुंदर रीति से प्रभु प्रेम में मगन कर देने वाले गीतों के आधार से किया।

प्रथम दिवस के गीता ज्ञान यज्ञ के उद्घाटन अवसर पर योग शक्ति राजयोगिनी भारती दीदी ने कहा कि श्रीमद भगवत गीता सर्व शास्त्रमय शिरोमणि है। जिसमें डायरेक्ट परमात्मा के महावाक्य उच्चारित है। अर्जुनभाव, आस्था, विश्वास रूपी साधन को साथ लेकर गीताज्ञान यज्ञ की यात्रा करें। पांडव प्रीतबुद्धि थे और कौरव विपरीत बुद्धि। पांडवों की परमात्मा से प्रीत बुद्धि थी। इसलिए उनकी विजय हुई। वही कौरवों की परमात्मा से विपरीत बुद्धि थी। इसलिए उनका विनाश हुआ। आगे पांच पांडव का अर्थ बताते हुए दीदी ने कहा कि अर्जुन अर्थात जिसके मन में अर्जन करने का भाव हो। युधिष्ठिर अर्थात युद्ध जैसी परिस्थिति में भी स्वयं को स्थिर बनाने वाला, सहदेव अर्थात धार्मिक कार्य में अपना सहयोग देने वाला। भीम अर्थात शक्तिशाली मनोबल वाला नकुल अर्थात अच्छी बातों की, श्रेष्ठ बातों की नकल करने वाला। हमें जीवन में इन बातों को धारण करना है। तब ही हम सच्चे अर्थों में पांडव कहलाएंगे।

उक्त चैतन्य गीता ज्ञान यज्ञ रूपी गंगा में प्रतिदिन 1000 से अधिक लोग उक्त ईश्वरी ज्ञान से लाभान्वित होकर अपने जीवन को सदाचारी श्रेष्ठ सुखी बनाकर जीवन में शांति की अनुभूति कर रहे हैं। ब्रह्माकुमारी संस्थान रीवा के मुख्य प्रवक्ता एवं नशा मुक्त भारत अभियान के नोडल निदेशक राजयोगी बीके प्रकाश भाई ने विंध्य क्षेत्र वासियों से अधिक से अधिक संख्या में पधार कर इस ईश्वरीय ज्ञान अमृत को श्रवण करके अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए खुले दिल से अवाहन किया है।

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