आबू रोड: चार दिवसीय राजयोग थॉट लैब ट्रेनिंग का शुभारंभ- थॉट लैब से कर रहे सकारात्मक संकल्पों का सृजन

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थॉट लैब से कर रहे सकारात्मक संकल्पों का सृजन
– चार दिवसीय राजयोग थॉट लैब ट्रेनिंग का शुभारंभ

आबू रोड,राजस्थान। किसी नए आविष्कार का रास्ता प्रयोगशाला (लैबोरेटरी)से होकर जाता है। अंतरिक्ष से लेकर पाताल में वैज्ञानिकों ने नई-नई खोजें कर दुनिया को अचंभित किया। इसमें एक कदम आगे बढ़ाते हुए ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के शिक्षा प्रभाग ने वर्षों तक मानव मन व मतिष्क का अध्ययन करके विचारों की एक अनोखी लैब तैयार की है। इसे नाम दिया है थॉट लैब। जैसे बाहरी लैब में अलग-अलग कैमिकल को मिलाकर एक नया कैमिकल तैयार किया जाता है, वैसी ही इस लैब में किसी भी विचारधारा के विद्यार्थी के विचारों का परिवर्तन कर सकारात्मक विचारों का सृजन किया जाता है। साथ ही ये पूरा कार्य एक प्रक्रिया के तहत होता है। इसके माध्यम से विद्यार्थी को अपनी विचारों की प्रयोगशाला से अवगत कराया जाता है।
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान, शिक्षा प्रभाग के इस अनोखे थॉट लैब प्रोजेक्ट की चार दिवसीय ट्रेनिंग का शुभारंभ मनमोहिनीवन परिसर में किया गया। इसमें देशभर से शिक्षा प्रभाग से जुड़े सदस्य, कार्यकारिणी पदाधिकारी और राजयोग थॉट लैब में भाग लेने के लिए प्रशिक्षाणार्थी भाग लेने पहुंचे हैं। शुभारंभ पर डॉ. सविता दीदी ने कहा कि आप सभी चार दिन तक पूरे मनोभाव से इस ट्रेनिंग का लाभ लें और अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर कॉलेज-यूनिवर्सिटी में थॉट लैब की स्थापना कर विद्यार्थियों की सेवा करें। उन्हें तनाव, चिंता, दुख, परेशानी से बाहर निकलने में थॉट लैब मील का पत्थर साबित होगी।

मुख्य वक्ता मोटिवेशनल स्पीकर प्रो. ईवी गिरीश ने कहा कि यदि हमें थॉट लैब का प्रैक्टिकल उदाहरण देखना है तो जयपुर में जाकर देख सकते हैं। वहां कैसे प्रैक्टिकल में थॉट लैब के अंदर ज्ञान को एप्लाई किया जा रहा है। लैब से ट्रेनिंग लेकर अनेक विद्यार्थियों की सोच बदली है। उनके अंदर सकारात्मक बदलाव आए हैं। जीवन में सदा सरल और साधारण बनकर रहें। जितना हमारा व्यक्तित्व सरल होता है हम उतने हल्के रह पाते हैं। प्रजापिता ब्रह्मा बाबा का जीवन हम सबके लिए आदर्श है। सफलता के लिए जरूरी है कि हम जो सेवा कर रहे हैं उसमें निस्वार्थ भाव अर्थात नाम, मान से परे हो। शिक्षा प्रभाग की बीके सुप्रिया बहन ने संचालन करते हुए कहा कि हमारे जीवन ऐसा हो, जिससे लोग देखकर सीखें। ज्ञान के साथ धारणा में भी जीवन मूल्यनिष्ठ हो। गायक बीके सतीश भाई ने कहा कि हमारे विचार ही हमारा जीवन बनाते हैं, जिन्होंने विचारों का महत्व जान लिया उनका जीवन धन्य हो जाता है। जयपुर में थॉट लैब के संचालक बीके मुकेश ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
बता दें कि थॉट लैब प्रोजेक्ट की शुरुआत सबसे पहले गुरुग्राम की नार्थ कैब यूनिवर्सिटी में पालम विहार सेवाकेन्द्र की ओर से की गई। जहां इसके आश्चर्यजनक रूप से चौंकाने वाले परिणाम आए हैं। प्रोजेक्ट के तौर पर यूनिवर्सिटी में एक साल पहले वर्ष 2018-19 में छात्रों को सकारात्मकता की ओर बढ़ाने, मोटिवेट करने और श्रेष्ठ, उच्च व शक्तिशाली विचारों का सृजन करने के लिए 20 अप्रैल 2018 में थॉट लैब की स्थापना की गई।

थॉट लैब बनाने का उद्देश्य-
इसका मुख्य उद्देश्य युवाओं को अपने थॉट प्रोसेस से अवगत कराना है। थॉट प्रोसेस से उन्हें यह प्रेरणा मिलती है कि अपने भाग्य के निर्माता वह स्वयं ही हैं। वह जैसे विचार (सकारात्मक या नकारात्मक) उत्पन्न करते हैं उसी प्रकार की अनुभूति उन्हें होती है। समय के साथ उसी प्रकार का रवैया बन जाता है, इससे उसी अनुसार कर्म (अच्छे या बुरे) होते हैं। एक ही तरह के ऐसे कर्म जो लंबे समय तक या बार-बार किए गए हो उससे हमारी आदतों को निर्माण होता है। जिसकी जैसी आदतें होती हैं, वैसा व्यक्तित्व निखरकर आता है और इसी व्यक्तित्व से तकदीर का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया को समझने के बाद विद्यार्थियों को भली-भांति यह ज्ञान हो जाता है कि विचार ही हमारे जीवन को सफल-असफल, अच्छा- बुरा या महान बनाते हैं।

क्या है थॉट लैबोरेटरी
थॉट लेबोरेटरी एक विधा है जिसके जरिए किसी के भी विचारों की क्वालिटी को पहचानकर उसे सकारात्मक विचारों के लिए प्रेरित करना होता है। केवल प्रेरित ही नहीं बल्कि अगर माता पिता से अनबन, दोस्तों के बीच मनमुटाव या टीचर के साथ अच्छे सम्बन्ध नहीं है तो उसके लिए कौन -कौन से विचार जिम्मेदार है। उसकी जड़ को समझते हुए उससे निकलने तथा विचारों की क्वालिटी के लिए काउसलिंग और फिर मेडिटेशन कराकर श्रेष्ठ संकल्पों के लिए प्रेरित कराया जाता है।

इन बातों को भी रखा जाता है ध्यान…
छात्र को थॉट, फीलिंग, एटीट्यूड, एक्शन, हैविट, पर्सनॉलिटी और डेस्टिनी के स्तर पर थॉट चेक किया जाता है। यदि किसी छात्र को किसी को देखकर कोई नकारात्मक फीलिंग आती है तो उसके लिए भी मेडिटेशन और कॉमेंट्री के जरिए उसे सकारात्मक ऊर्जा के लिए तरीके बताए जाते हैं। इसी तरह जैसे किसी बच्चे में घर या पैरेन्ट के साथ अच्छा क्यों नहीं लग रहा है? माता-पिता को देखते हैं तो किस प्रकार के संकल्प आते हैं। इसकी गहराई से विवेचना कर उसे ठीक करने का प्रयास किया जाता है।

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