होशियारपुर: हमारे बड़े,वयोवृद्ध हमें दौलत नहीं देंते लेकिन संस्कार तो अवश्य ही देंगे-भगवान भाई

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होशियारपुर,(पंजाब ):

जीवन के 60 वर्ष गुजरने के बाद जीवन में सकारात्मक रूप में जीना और भविष्य के जीवन हेतु श्रेष्ठ कर्म कि पूंजी जमा करनी है| बीती हुई बातो कि नकारात्मकता को भुलाना है|उन्हों कहा कि मै आत्मा अजर अमर अविनाशी हु इस स्म्रुर्ती से मृत्यु का डर ख़त्म करना है |उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से पधारे हुए बी के भगवान भाई ने कहे | वे रामपुर कालोनी में  वृध्दाआश्रम  बुजुर्गो के लिए बुजुर्गो का जीवन अभिश्राप नहीं बल्कि वरदान विषय पर कार्यक्रम में बोल रहे थे |

उन्हों कहा कि स्वयम को अकेला महसूस नही करना बल्कि परमात्मा पिता मेरे साथ है यह याद रखना है| उन्होंने कहा परिवार के साथ मेरा मेरे पिछले जन्मो का हिसाब पूरा हुआ अब परिवार के साथ बहुत प्यार का सम्बन्ध निभाकर तनाव मुक्त रहाना है | भावी जीवन को बहुत अच्छा बनाने की कुछ करने की तीव्र इच्छा है वर्तमान में प्रभु चिंतन करना है |

भगवान भाई जी ने कहा सुखी रहने के लिए तीन बातो को याद रखने हेतु बताया 1 किसी को कुछ बोलो नहीं 2.किसी को तोको नहीं ३. किसीसे उम्मीद नहीं रखो |उन्होंने कहा कि अपने को कभी अपने को रिटायर्ड न समझना |अभी तक का जीवन तो हमारा व्यवस्था में ही गुजर गया ,असली आनंद लेने का समय तो अभी आ गया है |

उन्होंने कहा कि 60 वर्ष के बाद हमें अपनी श्रेष्ठ कर्म की पूंजी जमा करने हेतु  जो टाइम मिला है उसका सफल करना है |जितना बड़ा वृक्ष होता है उसे अपने आंगन में ही रहने दीजिये ,वो फल नहीं दे रहा है लेकिन छाया तो दे रहा है | हमारे बड़े वयोवृद्ध हमें दौलत नहीं देंगे लेकिन संस्कार तो अवश्य ही देंगे |संस्कारो से हमारा संसार अच्छा बनता है |

स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र की राजयोग शिक्षिका बी के लक्ष्मी  बहन जी ने राजयोग की विधि बताते हुआ कहा कि स्वंम को आत्मा निश्चय कर चाँद, सूर्य, तारांगण से पार रहनेवाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना, मन-बुद्धि द्वारा उसे देखना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग हैं । राजयोग के द्वारा हम परमात्मा के मिलन का अनुभव कर सकता हैं । उन्होनें कहा की राजयोग के अभ्यास द्वारा ही हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, नफरत आदि मनोविकारों पर जीत प्राप्त कर जीवन को अनेक सद्गुणों से ओतपोत व भरपूर कर सकते हैं।

वार्डन नरेंद्र कौर   जी ने कहा कि  यदि हमारे विचार सकारात्म है तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा । उन्होंने बताया कि जीवन को रोगमुक्त,दीर्घायु, शांत व सफल बनाने के लिए हमें सबसे पहले विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए।

रिटायर SDO सुरेन्द्रकुमार जी ने कहा की अपने जीवन में आशावादी बनकर रहना कभी भी जीवन में निराश न होना भगवान् पर भरोसा रखना |

अंत में मेडिटेशन भी किया | बीके रमेशचंद्र शर्मा भी उपस्थित थे|

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