माता प्रथम गुरू है तो नर्स भी, संस्कार देने का कार्य गर्भावस्था से ही: बीके मंजू
रामजन्म से राज्याभिषेक तक की घटनाओ का बच्चों ने दी मोहक प्रस्तुति
मोबाइल के दुष्प्रभाव को नाटक के जरिये समझाया
बिलासपुर,छत्तीसगढ़: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे पंद्रह दिनों से चल रहे बाल संस्कार शिविर उड़ान का समापन रंगारंग सास्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ। बीके गायत्री ने ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा 21 विंग के माध्यम से की जा रही सेवाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दादी रतनमोहिनी, दादी जानकी, दादी प्रकाशमणि, शिवानी दीदी सहित अनेक वरिष्ठ राजयोगियो को राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपाधि यो से सम्मानित किया जा चुका है। आगे कहा कि भारतवासियों के लिये गर्व की बात है कि विश्वस्तरीय इस संस्था का मुख्यालय माउंट आबू मे है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन की थीम पर आधारित गीत “बदला नही लेना किसी से, बदल के हमको दिखाना है” पर नन्हें बच्चों द्वारा नृत्य से हुआ। बच्चों द्वारा प्रस्तुत रामायण, मोबाईल का दुष्प्रभाव बताती नाटिका, कविता आत्मविश्वास , रानी लक्ष्मीबाई को उपस्थित दर्शको ने खूब सराहा। इनके अलावा तनु बहन, प्रीति बहन, गौरी बहन द्वारा पर्यावरण, माँ, छत्तीसगढ़ महतारी गीतों पर नृत्य ने सभी को भावविभोर कर दिया।
बीके मंजू ने कहा कि हमारे जीवन मे चार माताओ का प्रभाव किसी न किसी रूप मे अवश्य रहता है। प्रथम लौकिक मा की प्रत्यक्ष पालना, दूसरी धरती माँ, तीसरी परमात्मा । लेकिन चौथी मा सिनेमा (पाप की माँ) ने सभी श्रेष्ठ संस्कारों को सफाचट कर दिया है।
आगे कहा कि बच्चों मे श्रेष्ठ संस्कार की नीव गर्भ से ही प्रारंभ हो जाती है। मा ही नर्स की भूमिका भी निभाती है। नर्सों की समर्पित सेवा को भी समाज कृतज्ञता की दृष्टि से देखता है।
कार्यक्रम का सफल संचालन गौरी बहन और प्रीति बहन ने किया। शिविर के प्रतिभागी बच्चों को प्रमाणपत्र, उड़ान मग, टोली देकर सम्मानित किया।
गायत्री बहन ने बताया कि मंगलवार 13 मई से प्रातः एवं सायं साढे छः बजे से आठ बजे तक राजयोग से इफेक्टिव पेरेंटिंग विषय पर सात दिवसीय शिविर प्रारंभ होगा जिसमे बच्चों के माता पिता और अन्य भी भाग ले सकते है।
अंत मे सभी को रूपा बहन समीक्षा बहन ने टोली वितरित किया।