नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ब्रह्मा कुमारी संस्था की वार्षिक योजना का भारत मंडपम में किया राष्ट्रीय शुभारंभ

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“ब्रह्माकुमारी संस्थान विश्व बन्धुत्व के विस्तृत और सुदृढ़ आधार पर खड़ा है, जो पंथ और धर्मों के सीमाओं से परे है”- द्रौपदी मुर्मू

-राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ब्रह्मा कुमारी संस्था की वार्षिक योजना ‘आध्यात्मिक सशक्तिकरण से स्वच्छ और स्वस्थ समाज’ का राष्ट्रीय शुभारंभ किया –

नई दिल्ली :

ब्रह्माकुमारी संस्था की वार्षिक योजना ‘स्वच्छ और स्वस्थ समाज के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण’ का शुभारंभ प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में हुआ। मंडपम के प्लेनरी सभागार में इस योजना का द्वीप प्रज्वलन कर शुभारंभ करते हुए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म ने कहा कि यह संस्थान आध्यात्मिक बंधुता यानी विश्व बंधुत्व व वसुधैव कुटुंबकम् की महान आदर्श और सुदृढ़ आधार पर खड़ा है, जो कि पंथ और धर्मों की परिभाषाओं से सीमित नहीं है। 

उन्होंने कहा की अक्टूबर 2023 में राष्ट्रपति भवन में आयोजित ‘इंटरफेथ मीट’ का उद्देश्य भी प्रेम, करुणा, शांति, पवित्रता, सत्य और अहिंसा जैसे मूल्यों पर आधारित था, जो सभी धर्मों में विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना के अनुरूप ‘एक ईश्वर एक विश्व परिवार’ की चेतना को ब्रह्माकुमारी संस्थान ने पूरे विश्व में प्रसारित किया है। धार्मिक सद्भावना व मानवीय एकता पर आधारित ब्रह्मा कुमारी संस्था की यह आध्यात्मिक चेतना व वार्षिक परियोजना एक स्वच्छ और स्वस्थ समाज की पुनः स्थापना में सफ़ल होगी, श्रीमती मुर्मू ने बताया।

महर्षि वेदव्यास के एक कथन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा की मनुष्य परोपकार से जैसे पुण्य का भागी बनता है, वैसे दूसरों को कष्ट देने से पाप का भी भागी बनता है। उन्होंने आगे कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा मनुष्यों में पनप रही नकारात्मकता तथा निराशा को सकारात्मकता एवं शुभ आशा में परिवर्तित कर व्यक्तिगत जीवन को सुखमय बनाने में सार्थक भूमिका निभा रही है। उन्होंने अपना व्यक्तिगत जीवन की उदाहरण देते हुए कहा कैसे उन्होंने ब्रह्मा कुमारी संस्था की आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग ध्यान अभ्यास द्वारा सशक्त होकर प्रबल पीड़ा के दौर से बाहर निकल आई और सक्रियता से समाज सेवा के मार्ग पर आगे बढ़ सकी।

उन्होंने कहा कि युवाओं में आध्यात्मिक जागृति तथा महिला सशक्तिकरण जैसे कार्यक्रमों से ब्रह्माकुमारीज ने अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्राथमिक शिक्षा में बच्चों के अंदर सादगी, सत्यनिष्ठा और सेवा भाव जागृत करना स्वस्थ पीढ़ी के निर्माण के लिए अनिवार्य है। महात्मा गांधी की आत्मकथा का जिक्र करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि शरीर की शिक्षा शरीर के व्यायाम द्वारा, बुद्धि की शिक्षा बुद्धि के व्यायाम द्वारा, तथा आत्मा की शिक्षा आत्मा के व्यायाम द्वारा ही संभव है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मोहित गुप्ता ने “संकल्प, साधना और सिद्धि” विषय पर अपने विचार दिए। अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके जयंती ने “आंतरिक शक्तियों का विकास” विषय पर सभी को प्रेरणा दी।

मध्यकालीन सत्र में राष्ट्रीय महिला सम्मेलन में वक्ता के रूप में अध्यक्षा AIWC कल्याणी राज, अधिवक्ता उच्चतम न्यायालय प्रियदर्शिनी राहुल, अध्यक्षा राष्ट्रीय महिला आयोग रेखा शर्मा तथा अतिरिक्त सचिव कोयला मंत्रालय रुपेन्द्र बरार थे। मुख्य वक्तव्य माउंट आबू से पधारीं संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके सुदेश ने दिया । महिला प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्षा बी के चक्रधारी ने आशीर्वचन तथा राष्ट्रीय संयोजिका डा. सविता ने महिला प्रभाग की सेवाओं पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय संयोजिका बी के शारदा ने मंच का कुशल संचालन किया।

सायंकालीन सत्र में ‘समय की पुकार’ विषय पर परिचर्चा में अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका बी के जयंती, अतिरिक्त महासचिव बी के ब्रजमोहन तथा लंदन से प्रसिद्ध लेखक तथा पत्रकार नेविल हौजकिन्सन उपस्थित रहे। परिचर्चा का संचालन वरिष्ठ पत्रकार, नारायणी गणेश ने किया।

अंत में संगीत संध्या की सुमधुर संगीत के लहरियों का सभी ने आनंद लिया। जिसमें प्रसिद्ध आध्यात्मिक गीत गायिका बहन अस्मिता, बहन रीना, किरण बहन, चांद मिश्रा, जयगोपाल आदि उपस्थित थे।

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