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लुधियाना: सर्व समस्या समाधान, श्रीमद् भगवद गीता ज्ञान विषय पर दो दिवसीय कार्यक्रम

लुधियाना,पंजाब: कार्यक्रम के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए राजयोगिनी बीके लक्ष्मी दीदीजी ने कहा कि गीता ज्ञान को सही परिप्रेक्ष में समझने की जरूरत है। जिस समय परमात्मा ने गीता सुनाई, उसके बहुत समय पश्चात गीता को धर्मग्रंथ का रूप दिया गया। गीता शास्त्र वास्तव में भगवान द्वारा सुनाए गए ज्ञान का यादगार है। बहुत समय के बाद लिखे जाने के कारण गीता ज्ञान का भाव परिवर्तन हो गया। उन्होंने कहा कि गीता का ज्ञान निराकार परमात्मा शिव ने कलियुग के अंत में दिया। क्योंकि गीता ज्ञान से ही सतयुग की स्थापना हुई।

श्रीमद्भगवत गीता ही ऐसा शास्त्र है, जिसमें भगवानुवाच लिखा है। उन्होंने कहा कि गीता में परमात्म अवतरण की जो विधि बताई है, वो वास्तव में आलौकिक और विचित्र है। पवित्रता के आधार से ही नए विश्व की संकल्पना की जा सकती है। परमात्मा ही आत्मा को पवित्र बनने की शक्ति प्रदान
करते हैं |

हरेक को जीवन में सुख-शांति और पवित्रता चाहिए। जोकि परमात्म श्रीमत के सिवाए मिल नहीं सकती। उन्होंने कहा कि गीता हमें यही संदेश देती है कि आत्मा स्वयं ही अपना मित्र और अपना शत्रु है। फिर कोई दूसरा हमारा शत्रु कैसे हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमें स्वधर्म को समझने की जरूरत है। आत्म ज्ञान के द्वारा ही स्वधर्म में टिक सकते हैं।

दीदी जी द्वारा करवाए गए राजयोग मेडिटेशन द्वारा सभी ने परमानंद की अनुभूति की ।

बहन राशि अग्रवाल जी ने अपने दिल के उद्गार प्रकट करते हुए राजयोगिनी बी के लक्ष्मी दीदीजी एवं ब्रह्माकुमरिज संस्थान का कोटि कोटि धन्यवाद किया |

भाई रंजोध सिंह जी द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता के सार का पंजाबी भाषा में अनुवाद एवं प्रकाशन किया गया है। उन्होंने इसे बीके राजयोगिनी लक्ष्मी दीदीजी को सम्मान प्रतीक के रूप में भेंट किया।

राजयोगिनी बी के सरस्वती दीदी जी ने कार्यक्रम समापन के दौरान अपने आशीर्वचन देते हुए सभी आए हुए अतिथियों का धन्यवाद किया ।

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