दिफू (आसाम):
वर्तमान की छात्राए भविष्य की नारी है | अगर नारियो को सशक्त बनाना है तो वर्तमान की छात्राओ को नैतिक शिक्षा से सशक्त बनाना होगा | फिर सशक्त नारी समाज का आधार स्तंभ बनेगा । जहां सशक्त नारी वहीं समाज, परिवार, देश राष्ट्र भी सशक्त बनेगा । उक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू से आए राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे। वे गवर्मेंट गर्ल्स सीनियर सेकंडरी स्कुल में नैतिक शिक्षा से सशक्त नारी विषय पर बोल रहे थे।
उन्होंने बताया कि नैतिक और आध्यात्मिक द्वारा हम स्वयं को सशक्त बनाकर फिर पूजनीय बन सकते है। उन्होंने बताया कि राजयोग के अभ्यास द्वारा स्वयं को तनावमुक्त बनाकर सशक्त बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि नारी जागी तो समाज जागा और नारी सोई तो समाज सोया। अब आध्यात्मिक ज्ञान से स्वयं को जागृत सशक्त बनाए।
भगवान भाई ने कहा कि आज के समाज में रूढ़ियां, कुरीतियां, रीतिरिवाज, साम्प्रदायिकता बढ़ने लगी है। इस कुचक्र में नारी फसंती गयी । नारी के अधोपतन से समाज का भी पतन होने लगा है । नारी परिवार की धुरी और समाज की ईकाई है । उन्होंने कहा कि माता संतान की प्रथम गुरू है। वह स्वयं यदि शिक्षित है, गुणवान , चरित्रवान , सर्मथ है, सशक्त है तो स्वयं में आत्मबल आत्म सम्मान महसूस करती है तो वही संस्कार वो संतान को भी देती है।
उन्होंने आगे बताया कि वर्तमान समय यह देखने में आ रहा है कि नारी अपना कर्तव्य करने में पूर्ण सक्षम नहीं है । उन्होंने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति, दूरदर्शन एवं अनेक व्यावसायिक चैनलों एवं पैसों की दौड़ आदि के प्रभाव में नारी आधुनिकता की लहर में अपने नैसर्गिक मूल्यों की अवहेलना कर रही है। इसका प्रभाव समाज पर दिखाई दे रहा है।
उन्होंने कहा कि जी ने भी अपना संबोधन देते हुए कहा वर्तमान परिस्थिति का सामना करने हेतु नैतिक मूल्य आवश्यक है | उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्षा से और सकारात्मक चिन्तन से जीवन की हर समस्याओं का समाधान होताहै।
सीनियर शिक्षक तस्वीर चौहान ने कहा कि भारतीय संस्कृति को याद दिलाते हुए कहा कि प्राचीन संस्कृति आध्यात्मिकता की रही जिस कारण प्राचीन मानव भी वंदनीय और पूजनीय रहा। नैतिकता के बिना जीवन अंधकार में हैं। उन्होंने बताया कि नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक, कुरीतियां व्यसन, नशा, व्यभिचार आदि के कारण समाज पतन की ओर जाता है |
वरिष्ठ भाई जी बी के मनोहरलाल महेश्वरी जी ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि हम अपने भूतकाल में जाते है तो नारी शक्ति के रूप में पूजी जाती थी । अभी हमें अपने सोच बदलने की, विचारों में परिवर्तन लाने की और अपने शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है।
बी केप्रशात भाई जी ने कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया | सभी को सुनी हुई बातो का आचरण करने का अनुरोध किया |
कार्यक्रम की शुरुवात आसामी गमछा से स्वागत किया गया |
कार्यक्रम के अंत में कुछ छात्राओ ने नैतिक शिक्षा और नारी सश्क्तिकरन कार्यक्रम का लाभ और अनुभव सुनाया |
कार्यक्रम के अंत में मेडिटेशन भी कराया गया |