माउंट आबू ज्ञान सरोवर ,राजस्थान: ज्ञान सरोवर के हार्मनी हाल में राजयोग एजुकेशन & रिसर्च फाउंडेशन की भगिनी संस्था सुरक्षा कर्मियों की सेवा प्रभाव द्वारा एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ. सम्मेलन का विषय था, आत्म सशक्ति करण द्वारा प्रेरक व्यक्तित्व का निर्माण. सम्मेलन मे इस विषय पर गंभीर चर्चा हुई. इस सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संखया में सैन्य कर्मियों अर्धसैनिक बलों तथा उनके उच्च पदाधिकारियों ने भाग लिया.
दीप प्रज्वलन द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन संपन्न किया गया.
संस्थान के अतिरिक्त महासचिव राजयोगी बृजमोहन भाई ने पधारे हुए सभी सुरक्षाकर्मियों को परमपिता परमात्मा की संतान के रूप में संबोधित किया और कहा कि एक समय था जब भारत में हर प्रकार से सुख संपन्न स्थिति थी तथा आनंदित होने के अनेक कारण थे.
एक बार फिर से भारत को वैसा ही राम राज्य जैसा भारत बनाने के लिए परमपिता परमात्मा ने ब्रह्मा कुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना की है. आपने कहा कि आप सभी पधारे हुए लोग अत्यंत ही पदम पदम भाग्यशाली हैं. करोड़ों करोड़ों संसार वासी हैं मगर आप मुट्ठी भर कुछ लोग यहां पधारने के सौभाग्यशाली बने हैं. सशक्तिकरण का अर्थ कई बार लोग भौतिक सशक्तिकरण मानते रहे हैं. यह सच्चा सशक्तिकरण नहीं है यह विनाशी सशक्तिकरण है. सच्चा सशक्तिकरण है आत्मिक सशक्तिकरण. स्वयं को आत्मा के रूप में अनुभव करते हुए आत्मा का प्रकाश का संपर्क परमपिता परमात्मा से करके स्वयं के अंदर ईश्वरीय शक्तियों को भरना आत्मिक शक्ति कारण है. आत्मिक सशक्तिकरण होने से आत्मा और मनुष्य भरपूर होता है आनंद की स्थिति में होता है. आनंदित अवस्था में वह समाज को और हर व्यक्ति को प्रेरित करता रहता है. सदैव के लिए एक प्रेरक व्यक्तित्व बनाने के लिए स्वयं का सशक्तिकरण अनिवार्य है. आत्मा सशक्तिकरण द्वारा ही हम यह वैसे समाज की भी स्थापना कर सकते हैं जहां कभी किसी को शारीरिक व्याधि नहीं आए और ना ही अस्पतालों की जरूरत पड़े.
भारतीय नौसेना से सेवानिवृत वाईस एडमिरल सतीश घोर्मडे ने भी अपने विचार रखें. आपने बताया कि आप 2006 से ही ब्रह्माकुमारियों के संपर्क में हैं और रेगुलर उनकी शिक्षाओं को ग्रहण करते रहते हैं. आपने कहा कि जीवन में सच्ची सुख शांति और आनंद पाने के लिए यहां की शिक्षाएं बहुत अधिक कारगर हैं. आपने बताया कि यह स्थल स्वर्ग के जैसा प्रतीत होता है और ब्रह्माकुमारीज़ के सारे कार्यकर्ता सदैव आनंदित हर्षित और सक्रिय नजर आते हैं. एडमिरल साहब ने बताया कि विकारों पर विजय प्राप्त करना आसान नहीं है मगर ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शिक्षाओं से आत्म अनुशासन प्राप्त करके विकारों पर भी विजय पाया जा सकता है. यह शिक्षा न सिर्फ हमें बाहरी सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि आंतरिक सुरक्षा भी प्रदान करती है. इस संस्थान में हर कर्मियों द्वारा उनका कार्य सेल्फ मोटिवेशन के आधार पर चलता रहता है. मन शांत रहने से हर कार्य शांतिपूर्वक चलता रहता है.
सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल विनोद खंडारे ने भी अपने विचार प्रकट किए. आपने कहा कि आयोजक मुझे विशिष्ट अतिथि बता रहे हैं मगर मैं स्वयं को इस ईश्वरीय परिवार का एक सदस्य मानता हूं. मैं भी 2005 से ही ईश्वरीय शिक्षाओं को आत्मसात करता चला आ रहा हूं. उन्होंने माना कि इस स्थान पर आने में उन्हें देर हुई. उन्हें काफी पहले ही यहां आना चाहिए था मगर आज पहली बार वे इस सम्मेलन में स परिवार शिरकत कर रहे हैं.
आपने बताया कि इस संस्थान द्वारा एक बहुत ही शक्तिशाली शिक्षा दी गई है. वह है कि इस ब्रह्मांड में होने वाली सारी घटनाएं पूर्व निश्चित है और अपने-अपने समय पर वह घटनाएं रिपीट होती रहती है आपने कहा कि हम सभी को संसार के इस सफर में मुस्कुराते हुए आगे बढ़ाना है और अन्य सभी को भी अपने साथ लेकर चलना है. इन ईश्वरीय शिक्षाओं से यह संभव है. यह शिक्षा हमारा सर्वांगीण विकास करती है. आपने यह भी बताया कि आज दुनिया भारतवर्ष के बारे में गहराई से जानना चाहती है. भारत का आध्यात्म उन्हें हमेशा ही आकर्षित करता रहा है क्योंकि वह इन शिक्षाओं से वंचित हैं.
ज्ञान सरोवर की निर्देशक राज योगिनी प्रभा दीदी ने भी अपने विचार और आशीर्वचन दिए. आपने कहा कि ओम शांति एक महामंत्र है इस मंत्र का जाप करने से अर्थात आत्मा अनुभूति करते रहने से हम सारी समस्याओं से छूट जाते हैं और आत्मा का सशक्तिकरण होता है तथा हमारा व्यक्तित्व आकर्षक और प्रेरक बन जाता है. आत्मा मानसिक रूप से परमपिता परमात्मा से युक्त होकर लगातार उसकी शक्तियां अपने अंदर धारण करती रहती है जिससे जीवन शांत सुखमय और आनंदित हो जाता है. आपने पधारे हुए अतिथियों का आह्वान किया कि आने वाले तीन-चार दिनों में यहां की शिक्षाओं को गंभीरता से सुने समझे और आत्मसात करें.
CGDA, भारत सरकार से देविका रघुवंशी जी ने भी सम्मेलन को संबोधित किया. आपने कहा कि मैं 5 वर्षों से ईश्वरीय ज्ञान को धारण कर रही हूं राजयोग का अभ्यास कर रही हूं. ईश्वरीय ज्ञान की प्राप्ति के पूर्व मेरा व्यक्तित्व कठोर प्रकार का था मगर अब मैं शांतिपूर्वक अपना पूरा कार्य करती हूं और मेरे सहकर्मी इन बातों को महसूस करते हैं.
ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा सिखाया गया राजयोग इतना सहज है कि हर स्थिति में खाते पीते चलते फिरते और अपना कार्य करते हुए भी परमपिता परमात्मा से हम मानसिक तल पर जुड़ जाते हैं और उनकी शक्तियां प्राप्त करते रहते हैं. कोई भी व्यक्ति अगर जीवन में सुख शांति चाहता है तो उन्हें राजयोग का अभ्यास करना चाहिए. यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि राजयोग के अभ्यास से जीवन निर्मल और सुखी बनता है.
सुरक्षा कर्मियों की सेवा प्रभाव के अध्यक्ष पूर्व स्क्वाड्रन लीडर वायु सेना, राज़ योगी अशोक गाबा जी ने भी अपने विचार रखें. आपने पधारे हुए सभी सुरक्षाकर्मियों को अपनी शुभकामना दी और उनके सफल भविष्य की कामना की.
मुंबई से पधारी राज योगिनी दीपा बहन ने राजयोग ध्यान का अभ्यास कराकर शांति की किरणें हर तरफ फैलायी. रिटायर्ड कर्नल, ब्रह्मा कुमार सती ने कार्यक्रम में पधारे हुए सभी सुरक्षा कर्मियों का स्वागत किया. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उनका हार्दिक आभार प्रकट किया.
कैप्टन शिव सिंह ने भी सम्मेलन को संबोधित किया और सुरक्षा प्रभाग द्वारा विगत 20 वर्षों में भारतवर्ष के कोने-कोने में की गई सेवाओं की रिपोर्ट प्रस्तुत की. ब्रह्मा कुमार श्रीनिधि ने आज के कार्यक्रम का संचालन किया.